समकालीन जनमत

Author : गोपाल प्रधान

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प्रो. गोपाल  प्रधान अम्बेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली में प्राध्यापक हैं. उन्होंने विश्व साहित्य की कई महत्वपूर्ण पुस्तकों का अनुवाद , समसामयिक मुद्दों पर लेखन और उनका संपादन किया है
जनमतशिक्षा

शिक्षा और मार्क्सवाद

गोपाल प्रधान
शिक्षा का सवाल मार्क्सवाद के भीतर महत्वपूर्ण होते हुए भी बहुधा उपेक्षित रहा है लेकिन क्रमश: इस मामले में भी दोनों के बीच जीवंत संवाद...
साहित्य-संस्कृति

साहित्य की पारिस्थितिकी पर खतरा

गोपाल प्रधान
साहित्य की पारिस्थितिकी आखिर है क्या ? इसका सबसे पहला उत्तर किसी के भी दिमाग में यह आता है कि समाज ही साहित्य की पारिस्थितिकी...
जनमतशख्सियतस्मृति

प्रेमचंद के स्त्री पात्र: प्रो.गोपाल प्रधान

गोपाल प्रधान
प्रेमचंद का साहित्य प्रासंगिक होने के साथ साथ ज़ेरे बहस भी रहा है । दलित साहित्य के लेखकों ने उनके साहित्य को सहानुभूति का साहित्य...
साहित्य-संस्कृति

किसान के क्रमिक दरिद्रीकरण की शोक गाथा है ‘गोदान’

गोपाल प्रधान
सन 1935 में लिखे होने के बावजूद प्रेमचंद के उपन्यास ‘गोदान’ को पढ़ते हुए आज भी लगता है जैसे इसी समय के ग्रामीण जीवन की...
जनमतपुस्तक

आक्सफ़ोर्ड की मार्क्स सहायिका

गोपाल प्रधान
2019 में आक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस से मैट विडाल, टोनी स्मिथ, तोमास रोट्टा और पाल प्रेव के संपादन में ‘द आक्सफ़ोर्ड हैंडबुक आफ़ कार्ल मार्क्स’ का...
जनमतपुस्तक

लोकतंत्र और मार्क्स-एंगेल्स

गोपाल प्रधान
 2000 में स्टेट यूनिवर्सिटी आफ़ न्यू यार्क प्रेस से अगस्त एच निम्ज़, जूनियर की किताब ‘ मार्क्स ऐंड एंगेल्स: देयर कंट्रीब्यूशन टु द डेमोक्रेटिक ब्रेकथ्रू...
जनमतस्मृति

‘पूंजी’ की लेखन प्रक्रिया और व्यवधान

( कार्ल मार्क्स के जन्म दिन पर विशेष )   मार्क्स ने ग्रुंड्रिस की लिखाई को अंतिम रूप मानचेस्टर में एंगेल्स के पास रहकर दिया...
जनमत

गोरख: राई भर का साथ पहाड़ भर का काम

गोपाल प्रधान
गोरख पांडे से कुछेक बार की ही मुलाकातें रहीं लेकिन इतने से ही जो रिश्ता बना उसने बड़ी भारी जिम्मेदारी दे दी । तीन बार...
पुस्तकसाहित्य-संस्कृति

पद्धति संबंधी कुछ जरूरी स्पष्टीकरण

गोपाल प्रधान
( 2018 में ब्लूम्सबरी एकेडमिक से मार्चेलो मुस्तो की इतालवी किताब का अंग्रेजी अनुवाद ‘एनादर मार्क्स: अर्ली मैनुस्क्रिप्ट्स टु द इंटरनेशनल’ प्रकाशित हुआ है. अनुवाद...
पुस्तकसाहित्य-संस्कृति

पूंजी और उससे पैदा विक्षोभ

गोपाल प्रधान
2011 में पी एम प्रेस से साशा लिली की किताब ‘ कैपिटल ऐंड इट्स डिसकांटेन्ट्स: कनवर्सेशंस विथ रैडिकल थिंकर्स इन ए टाइम आफ़ ट्यूमल्ट’ का...
पुस्तक

मार्क्स कोश

गोपाल प्रधान
2011 में कांटीन्यूम इंटरनेशनल पब्लिशिंग ग्रुप से इयान फ़्रेजर और लारेन्स वाइल्डे की किताब ‘ द मार्क्स डिक्शनरी ’ का प्रकाशन हुआ। सबसे पहले लेखक...
पुस्तक

एनादर मार्क्स: अर्ली मैनुस्क्रिप्ट्स टु द इंटरनेशनल : अर्थशास्त्र की आलोचना

गोपाल प्रधान
मार्क्स ने पाया कि सभी युगों के चिंतक अपने समय की विशेषता को शाश्वत ही कहते आए हैं. अपने समय के राजनीतिक अर्थशास्त्रियों के बनाए...
पुस्तक

दो सौ साल बाद मार्क्स का अर्थशास्त्र

गोपाल प्रधान
2018 में लुलु.काम से माइकेल राबर्ट्स की किताब ‘ मार्क्स200: -ए रिव्यू आफ़ मार्क्स इकोनामिक्स 200 ईयर्स आफ़्टर हिज बर्थ ’ का प्रकाशन हुआ. किताब...
पुस्तक

फ़ासीवाद की ओर यात्रा: चौराहे पर अमेरिका

गोपाल प्रधान
बड़े व्यवसायी, तानाशाह सरकार और फौजी ढांचे का यही संयुक्त मोर्चा सभी देशों में फ़ासीवादी शासन के उभार के वक्त नजर आया है. इसके अलावे...
पुस्तक

एनादर मार्क्स: अर्ली मैनुस्क्रिप्ट्स टु द इंटरनेशनल : अर्थशास्त्र संबंधी काम की तैयारी

गोपाल प्रधान
मार्चेलो मुस्तो की किताब ‘एनादर मार्क्स: अर्ली मैनुस्क्रिप्ट्स टु द इंटरनेशनल’ का दूसरा खंड राजनीतिक अर्थशास्त्र संबंधी मार्क्स के अध्ययन पर केंद्रित है जिसकी शुरुआत...
ज़ेर-ए-बहसदुनियापुस्तकशख्सियत

एक और मार्क्स: वर्तमान को समझने के लिए मार्क्स द्वारा उपलब्ध कराए गए उपकरणों की जरूरत

गोपाल प्रधान
  2018 में ब्लूम्सबरी एकेडमिक से मार्चेलो मुस्तो की इतालवी किताब का अंग्रेजी अनुवाद ‘एनादर मार्क्स: अर्ली मैनुस्क्रिप्ट्स टु द इंटरनेशनल’ प्रकाशित हुआ । अनुवाद...
जनमत

किसान के क्रमिक दरिद्रीकरण की शोक गाथा है ‘ गोदान ‘

गोपाल प्रधान
प्रेमचंद ने गोदान में उपनिवेशवादी नीतियों से बरबाद होते भारतीय किसानी जीवन और इसके लिए जिम्मेदार ताकतों की जो पहचान आज के 75 साल पहले...
पुस्तक

राजनीति में अतिवादी मध्य मार्ग

गोपाल प्रधान
2015 में वर्सो से तारिक अली की पतली सी किताब ‘ द एक्सट्रीम सेन्टर: ए वार्निंग’ का प्रकाशन हुआ । पतली होने के बावजूद किताब...
जनमत

हिटलर और फ़ासीवाद का नया उभार

गोपाल प्रधान
सोवियत संघ के पतन और विश्व अर्थतंत्र में आए बदलावों के चलते तेजी से उभरी नवफ़ासीवादी सक्रियता फिलहाल अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की सबसे खतरनाक प्रवृत्ति बन...
जनमतदुनियाशख्सियतस्मृति

कार्ल मार्क्स : एक जीवन परिचय

दुनिया के मजदूरों के, सिद्धांत और कर्म दोनों मामलों में, सबसे बड़े नेता कार्ल मार्क्स (1818-1883) का जन्म 5 मई को त्रिएर नगर में हुआ...
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