समकालीन जनमत

Tag : Godan

साहित्य-संस्कृति

किसान के क्रमिक दरिद्रीकरण की शोक गाथा है ‘गोदान’

गोपाल प्रधान
सन 1935 में लिखे होने के बावजूद प्रेमचंद के उपन्यास ‘गोदान’ को पढ़ते हुए आज भी लगता है जैसे इसी समय के ग्रामीण जीवन की...
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