विश्वविद्यालयप्रशासन ने हॉस्टल नहीं दिया और मकान मालिक कमरा खाली करने का दबाव बना रहा था
इलाहाबाद. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र रजनीकांत यादव ने कल रात आत्महत्या कर ली. रजनीकांत आजमगढ़ जिले के रहने वाले थे और इलाहाबाद विश्वविद्यलय के बीए प्रथम वर्ष के छात्र थे. अल्लापुर में किराये पर कमरा लेकर रह रहे थे. उनके कमरे से सुसाइड नोट मिला है। सुसाइड नोट से पता चलता है कि रजनीकांत पिछले कई महीनों से परेशान चल रहे थे. कारण विश्वविद्यालय प्रशासन और मकान मालिक. सुसाइड नोट में रजनीकांत ने लिखा है कि पिछले कई महीनों से उनका मालिक उनको परेशान कर रहा था. मकान मालिक रोज ये कह कर परेशान करता रहा कि तुम विश्वविद्यालय के हो, कमरा छोड़ दो.
रजनीकांत ने हॉस्टल के लिए अप्लाई किया था. उनको केपीयूसी हॉस्टल मिला था लेकिन पजेशन नहीं मिल रहा था। इस संबंध में वह केपीयूसी छात्रवास के अधीक्षक हौसला सिंह से कई बार मिल चुके थे. जितनी बार मिले हौसला सिंह उनको डांट कर भगा देते थे। रजनीकांत ने 28 जनवरी को अधीक्षक हौसला सिंह से जाकर कहा कि मेरी तबियत बहुत ख़राब है सर, तो हौसला सिंह ने कहा कहीं जाओ मरो. लिहाजा वो बहुत परेशान हो गये और अंततः आत्महत्या करने पर मजबूर हो गये.
विश्वविद्यालय के छात्रों को आज सुबह जब रजनीकांत के आत्महत्या की खबर मिली तो वे आक्रोशित हो गये। छात्रों ने मांग की कि हॉस्टल के अधीक्षक हौसला सिंह तथा मकान मालिक की तत्काल गिरफ्तारी हो और विश्वविद्यालय प्रशासन परिजनों को मुआवजा दे.
रजनीकांत के भाई शशिकांत यादव इलाहाबाद के छात्र रह चुके हैं और फिलहाल वह पुलिस विभाग में कांस्टेबल हैं. उन्होंने मांग की कि हॉस्टल के अधीक्षक हौसला सिंह और मकान मालिक की तत्काल गिरफ्तारी हो तथा उचित मुआवजा दिया जाए.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई कर रहे संदीप गुप्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन का गैर जिम्मेदाराना रवैया छात्रो को आत्महत्या की तरफ धकेलता है जो भारतीय कानून संहिता में धारा 306 के तहत संगेय और गैर जमानती अपराध है. हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद भी विश्वविद्यालय सचेत नहीं हुए. कारण ये कि अब तक रोहित वेमुला के केस में कोई कानून कारवाई नहीं हुई जबकि इस तरह के मामले में तुरंत कारवाई होनी चाहिए।
आइसा की नीलम सरोज ने कहा कि ये सांस्थानिक हत्या है। प्रशासन द्वारा इस तरह का माहौल पैदा कर दिया जा रहा है कि छात्र आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं। हमारी मांग है कि हॉस्टल के अधीक्षक हौसला सिंह की तत्काल गिरफ्तारी हो और विश्वविद्यालय प्रशासन परिजनों को मुआवजा दे. पुलिस प्रशासन मकान मालिक को कड़ी से कड़ी सजा दे.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय का हाल ये है कि सात फीसदी से भी कम छात्रों को ही हॉस्टल मिल पाता है. जिनको मिलता है भी तो पजेशन भी बहुत मुश्किल से मिलता है. इस साल अब तक हॉस्टल आवंटन नहीं हो पाया है जबकि साल के आखिरी सेमेस्टर के परीक्षा की तारीख आ गयी है.
विश्वविद्यालय के छात्र बाहर कमरा लेकर रहने को मजबूर हैं, ऊपर से माकन मालिकों का रवैया ठीक नहीं रहता है. इस तरह की खबरें लगातार आती रहती हैं लेकिन छात्रों कि मज़बूरी है कि वो कमरा लेकर रहें क्यूंकि विश्वविद्यालय के पास इतना हॉस्टल नहीं है.
छात्रों का प्रदर्शन जारी है अब देखना ये है कि विश्वविद्यालय प्रशासन क्या कदम उठाता है। कोई कारवाई करता है या इस मामले में रोहित वेमुला की तरह लीपापोती ही करेगा.
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