लखनऊ। बेरोज़गारी की समस्या के खिलाफ एक मुकम्मल लड़ाई खड़ी करने तथा सम्मानजनक रोज़गार की माँग के साथ बने 10 से अधिक छात्र युवा संगठनों के साझा मंच ‘छात्र युवा रोज़गार अधिकार मोर्चा’ की ओर से 23 सितम्बर को लखनऊ के क़ैसरबाग़ स्थित गाँधी प्रेक्षागृह में ‘रोज़गार अधिकार सम्मेलन’ का सफल आयोजन किया गया। सम्मेलन के माध्यम से वर्तमान सरकार की छात्र-युवा-सामाजिक न्याय विरोधी नीतियों के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया गया।
गौरतलब है कि यह सम्मेलन ऐसे समय में हुआ है जब उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार 4 लाख नौकरियां देने का ढिंढोरा दिल्ली तक पीट चुकी है जबकि हकीकत यह है कि 70 लाख रोज़गार देने के वादे के साथ सत्ता में आई भाजपा सरकार का रिकॉर्ड रोज़गार देने के मामले में बेहद खराब रहा है। अनेक भर्तियों में धांधली, सामाजिक न्याय की हत्या, भ्र्ष्टाचार, पर्चा लीक आदि बातें देखने में आई हैं। 69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला इस बात का जीता जागता उदाहरण है। एक ओर तो निजीकरण की आंधी में सामाजिक न्याय का सवाल ही खत्म करने की साजिश चल रही है वहीं दूसरी ओर बची-खुची सरकारी नौकरियों में भी इस तरह की धांधली योगी सरकार की सामाजिक न्याय को खत्म करने की आतुरता का पर्दाफाश करती है।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए इंकलाबी नौजवान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार विधानसभा के सदस्य मनोज मंजिल ने कहा कि, “उत्तर प्रदेश में चल रहे रोज़गार आंदोलन पर योगी सरकार लगातार दमन कर रही है। वह सोच रही है कि लाठी, दमन से यह बात दब जाएगी लेकिन रोज़गार की लड़ाई यूपी में और अधिक मजबूत होती जा रही है। पूरे देश के बेरोजगार युवाओं की 10% आबादी यूपी में रहती है। कोरोनाकाल के दौरान लॉक डाउन में लाखों नौकरियाँ खत्म हुईं जिसका एक बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश से था लेकिन इसपर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।”
भोजपुर के अगिआंव के भाकपा माले विधायक ने आगे कहा कि, “नए रोज़गार देने की बात तो छोड़िए, खाली पदों को भरना भी दूर की बात है, लेकिन इस सरकार में तो नौकरियों को व्यवस्थित रूप से खत्म किया जा रहा है। इसके ख़िलाफ़ युवाओं द्वारा छेड़ी गयी यह लड़ाई सरकार के होश उड़ा देगी।”
वरिष्ठ हिंदी आलोचक वीरेंद्र यादव ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि, “युवा शक्ति अपने अस्तित्व यानि कि रोज़गार के लिए आज लड़ रही है, मुझे इस बात की खुशी है। यह लड़ाई एक वर्ग की लड़ाई नहीं है बल्कि देश बचाने की लड़ाई है। अम्बेडकर के प्रसिद्ध उद्धरण को याद करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय जनतंत्र को सामाजिक और आर्थिक जनतंत्र में बदलना था लेकिन आज राजनीतिक जनतंत्र की लड़ाई ही केंद्र में है, जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है। स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों को बचाये रखने की लड़ाई आज चल रही है और उसका नेतृत्व युवा वर्ग कर रहा है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, स्वास्थ्य हर पैमाने पर देश नीचे आ गया है। मिश्रित अर्थव्यवस्था के हमारे आदर्श को ध्वस्त करके निजीकरण की आंधी चलाई जा रही है।”
रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने सम्मेलन के आयोजनकर्ताओं को बधाई देते हुए कहा कि, “रोज़गार की लड़ाई सरकार बदलने की लड़ाई नहीं है बल्कि सरकार बदल जाने के बाद भी जारी रहने वाली लड़ाई है और इसे बड़ी एकजुटता के साथ जारी रखना होगा।”
अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय समन्वयक सदफ ज़फ़र ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि, “यह सरकार इस बात पर ज़ोर दे रही है कि हमें मोनेटाइजेशन करने की ज़रूरत है लेकिन यही सरकार सेंट्रल विस्ता जैसे फिजूलखर्ची वाले प्रोजेक्ट बना रही है। रोज़गार देना इस सरकार की प्राथमिकता नहीं है। यह सरकार चाहती है कि आप रोज़ी की लड़ाई में उलझे रहें और इनसे सवाल न पूछ सकें। उस सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए जिससे रोज़गार मांगने की ज़रूरत पड़ने लगे। समाज के एक बड़े हिस्से को, और खासकर वंचित तबकों को, इस सरकार ने गहरे गड्ढे में धकेल दिया है। सिंघु बॉर्डर पर शहीद हो रहे किसानों, इलाज के अभाव में मर रहे लोगों से सरकार को रत्ती भर भी संवेदना नहीं है।”
सम्मेलन को मुख्य रूप से जेएनयू छात्रसंघ के महामंत्री सतीश चंद्र यादव, आम आदमी पार्टी के शिक्षक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष प्रोफेसर देव नारायण सिंह यादव, 69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाले के खिलाफ चल रहे आंदोलन के नेता विजय यादव, आज़ाद समाज पार्टी के प्रदेश कोषाध्यक्ष कमलेश भारती, आरएलडी यूथ विंग के अध्यक्ष अम्बुज पटेल, रेलवे अप्रेंटिस आंदोलन के नेता आशीष मिश्रा, UPSSSC आंदोलन के नेता तूफान सिंह, अखिल भारतीय कृषि छात्रसंघ के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ सौजन्य, उच्चतर एवं माध्यमिक सेवा आंदोलन के नेता अनुराग वर्मा तथा युवा हल्ला बोल से दिव्येन्दु ने सम्बोधित किया।
सम्मेलन का संचालन छात्र युवा रोज़गार अधिकार मोर्चा के संयोजक सुनील मौर्य ने किया। मोर्चे के संयोजन समिति के सदस्य आयुष श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। संम्मेलन में बतौर अतिथि जन संस्कृति मंच के महासचिव मनोज सिंह, जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष एन.साईं. बालाजी, इंकलाबी नौजवान सभा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष लाल बहादुर सिंह तथा राजीव गुप्ता, ओ पी राज, ज्योति राय, मकरध्वज, पीजी कॉलेज छात्रसंघ उपाध्यक्ष ग़ाज़ीपुर देवेंद्र यादव, ओ. पी. सिंह, अभय यादव, एडवोकेट वीरेंद्र त्रिपाठी, सुशील कश्यप, अमरेंद्र सिंह, अब्बास ग़ाज़ी, शैलेश पासवान , नितिन राज, शिवम सफीर, शाइस्ता, प्राची, अदनान, शिवा, अंजली, आदर्श, निखिल, शिवेंद्र, अंकित सिंह बाबू, आदि उपस्थित रहे।
सम्मेलन के अंत में विभिन्न आंदोलनों के प्रतिनिधियों द्वारा एक एक्शन प्लान भी पास हुआ जिसके अनुसार सम्मानजनक रोज़गार की लड़ाई आगे बढ़ेगी।
‘ रोजगार अधिकार सम्मेलन ‘ में 10 सूत्री मांग पारित की गयी और आंदोलन का कार्यक्रम घोषित किया गया ।
मांग
◆ देश की संपत्तियों को बेचने का फैसला वापस लो !
◆ पाँच वर्ष में 70 लाख नौकरी देने का वादे का क्या हुआ, योगी सरकार जबाव दो ! रोजगार पर श्वेतपत्र लाओ !
◆ रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया तुरंत घोषित करो !
◆ सभी स्वरोज़गारियों के क़र्ज़ अविलंब माफ़ करो !
◆ सभी बेरोजगार नौजवानों को 10 हजार रुपया बेरोजगारी भत्ता दो !
◆ 69000 शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच कराओ, आरक्षित पदों पर गैर आरक्षित अभ्यर्थियों की नियुक्ति रद्द करो !
◆ भर्तियों में सामाजिक न्याय से छेड़छाड़ नहीं सहेंगे। नौकरियों में सामाजिक न्याय की गारंटी करो !
◆ सभी संविदा कर्मियों को नियुक्ति दो, समान काम का समान वेतन की गारंटी करो !
◆ प्रतियोगी परीक्षाओं में हुए पर्चा लीक/ धांधली आदि की जांच कराकर दोषियों को सजा दो !
◆ भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता की गारंटी करने हेतु सांस्थानिक बदलाव लाओ !
आगामी कार्यक्रम एवं एक्शन प्लान –
◆ लगभग 25 लाख सरकारी नौकरियों के रिक्त पद हैं। इन 25 लाख रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रिया तत्काल शुरू करने की मांग करते हुए हम प्रदेशभर से 25 लाख नौजवानों के हस्ताक्षर करवाकर सरकार को सौपेंगे।
◆ 27 सितंबर के किसानों के भारत बंद का समर्थन करते हुए इसे सफल बनाएंगे।
◆ 28 सितंबर, शहीदे आजम भगत सिंह के जन्मदिन के मौके पर “रोजगार अधिकार दिवस” मनाएंगे। सभी जनपदों में विरोध प्रदर्शन आयोजित करेंगे।
◆ आने वाले दिनों में 25 जिलों में रोजगार सम्मेलन कर नौजवानों को आंदोलन में शामिल करवाएंगे .
◆रोजगार के सवाल पर विभिन्न जिलों में एकजूटता मनावश्रृंखला बनाना है और जिला अधिकारी को ज्ञापन देने हैं।
◆ अभियान को चलाते हुए 20 से 30 अक्टूबर के बीच जोनल लेवल की रोजगार अधिकार यात्राएं निकालेंगे.
◆ अपने इस अभियान के लिए 10 हजार वालंटियर भर्ती का अभियान चलाएंगे.
◆ इन सारे अभियानों को चलाते हुए, पूरे प्रदेश से युवाओं को गोलबंद करते हुए 25 नवम्बर को लखनऊ में विशाल रोजगार अधिकार मार्च आयोजित करेंगे .
◆ 30 नवंबर को 100 से अधिक शिक्षक कर्मचारी संगठनों ने रैली की घोषणा की है हम समर्थन में उस रैली में पूरी ताकत से शामिल होंगे।