बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोरोना संकट में राज्य की जनता को बचाने के लिए तो कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं किये हैं, पर अपने परिवार और रिश्तेदारों को बचाने के लिए विश्व स्तर का एक नया कीर्तिमान गढ़ा है।
अपनी एक रिश्तेदार के कोरोना पोजेटिव आने के बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री निवास में ही उनके इलाज के लिए आईसीयू , वेंटिलेटर युक्त एक अस्पताल शुरू करवा दिया है। इसके लिए पटना मेडिकल कालेज से 6 डॉक्टर्स, नर्स के साथ ही मेडिकल यंत्र मुख्यमंत्री आवास में शिफ्ट किये गए हैं। बाकायदा उसके लिए आदेश जारी किया गया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जितने संवेदनशील अपने परिवार व रिश्तेदारों के लिए हैं क्या उतने ही संवेदनशील राज्य की जनता के प्रति भी हैं ? फिर सवाल उठना लाजमी है कि जब पटना मेडिकल कालेज की व्यवस्था इतनी खराब है कि राज्य के मुख्यमंत्री की रिश्तेदार का कोरोना इलाज करने में अक्षम है, तो फिर राज्य में कोरोना से आम जनता के इलाज की क्या व्यवस्था नीतीश-सुशील सरकार ने की होगी इसकी कल्पना ही भयानक डरावनी है।
यह सर्व विदित है कि कोरोना संक्रमण के आंकड़े कम दिखाने के लिए बिहार सरकार ने अब तक भी टेस्टिंग कम से कम करने की नीति अपनाई है। जबकि देश भर से सर्वाधिक प्रवासी मजदूर भी बिहार ही लौटे हैं। यही कारण है कि राज्य में कोरोना के इलाज की सुविधाएं अपर्याप्त हैं और जनता को उसके भाग्य के भरोसे छोड़ दिया गया है। कोरोना के प्रति नीतीश-सुशील सरकार की आपराधिक लापरवाही का ही नतीजा है कि राज्य में बड़े पैमाने पर डॉक्टर्स, नर्स, मेडिकल स्टाफ, आशा कार्यकर्ता कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। यहां तक नालन्दा मेडिकल कालेज अस्पताल के वार्डों में कोरोना से मृत लोगों की लाशों के बीच मरीजों के इलाज की वीडियो सामने आ रही हैं।
दुनिया में तमाम ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं जहां सत्ता की कुर्सियों में बैठे लोग कोरोना का इलाज कराने अस्पतालों में भर्ती हुए। इनमें प्रमुख उदाहरण ब्रिटेन के प्रधान मंत्री हैं, जिन्होंने कोरोना संक्रमण होने पर अस्पताल में अपना इलाज कराया। हमारे देश में ही दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन अपना कोरोना का इलाज कराने दो अस्पतालों में भर्ती हुए। पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक रिस्तेदार कोरोना पोजेटिव निकली तो उनके इलाज के लिए मुख्यमंत्री आवास में ही कोरोना अस्पताल बना दिया गया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू-भाजपा सरकार की यह कारस्तानी आपराधिक कार्यवाही है। यह जनता के धन व सरकारी संसाधनों का निजी हित के लिए बेजा इस्तेमाल की कार्यवाही है। यह राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार द्वारा ली गई शपथ का खुला उल्लंघन है। अपने इस कृत्य के जरिये नीतीश कुमार ने राज्य का मुख्यमंत्री होने का अपना हक खो दिया है।