समकालीन जनमत
कविता

चंद्र की कविताएँ बोलती भी हैं और भेद भी खोलती हैं

“चंद्र मेरी आज तक की जानकारी में पहले ऐसे व्यक्ति हैं जो खेती-बाड़ी में, मजूरी में पिसते अंतिम आदमी का जीवन जीते हुए पढ़ना-लिखना व कविताएँ करना चाहते हैं।”- कुमार मुकुल

मजदूर दिवस के अवसर पर आशुतोष कुमार द्वारा चंद्र की कविताओं का पाठ

 

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