20 जनवरी
यंग इंडिया अगेंस्ट CAA-NRC-NPR ’के बैनर तले 100 से अधिक छात्र-युवा संगठनों, छात्र संघों, छात्र समूहों और नागरिक समाज संगठनों ने दिल्ली के साथ-साथ विभिन्न शहरों में CAA-NRC-NPR के ख़िलाफ़ सार्वजनिक घोषणा विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया।
यंग इंडिया नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ने मल्लापुरम, मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली, पुणे, अहमदाबाद, पटना, कोलकाता, इलाहाबाद, वाराणसी और कई अन्य जगहों पर ये विरोध प्रदर्शन किया।
दिल्ली में, जामिया समन्वय समिति (JCC), ANHAD, JNUSU, शैक्षणिक और सामाजिक न्याय के लिए संयुक्त मंच, कारवां-ए-मोहब्बत, शाहीन बाग प्रोटेस्ट कमेटी (यूनाइटेड यूथ ब्रिगेड) के साथ मिलकर यंग इंडिया अगेंस्ट CAA-NRC-NPR ने जन घोषणा मार्च का आयोजन किया। जिसमें हजारों की संख्या में छात्रों और युवाओं ने भागीदारी की।
इस मार्च का उद्देश्य 22 जनवरी को सुनवाई के लिए सांप्रदायिक और असंवैधानिक सीएए को हटाने के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय में होने वाली सुनवाई के संदर्भ में जन अपील करना था।
मार्च के बाद सभा को सम्बोधित करते हुए भाकपा माले महासचिव कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि यह सरकार संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ काम कर रही है और अपने साम्प्रदायिक फासीवादी एजेंडे को लागू करने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रही है। लेकिन इसके ख़िलाफ़ जिस तरह से छात्रों, नौजवानों और महिलाओं ने जबरदस्त आंदोलन छेड़ा है वह इन्हें किसी भी हाल में इनके मंसूबों में कामयाब नहीं होने देगा।
प्रसिद्ध कवि और सामाजिक कार्यकर्ता गौहर रज़ा ने आज के इस तानाशाही निज़ाम के ख़िलाफ़ अपनी कविता का पाठ किया।
‘संगवारी’ के साथियों ने CAA-NPR-NRC के ख़िलाफ़ क्रांतिकारी गीत गाए।
सोशल एक्टिविस्ट हर्ष मंदर ने कहा, “हम आपसी प्रेम, सौहार्द और संविधान के लिए नफरत के खिलाफ लड़ रहे हैं। यंग इंडिया हमें उम्मीद दिखा रहा है और हम अपने भारत को वापस ले लेंगे। ‘
एन साई बालाजी, आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, “युवा भारत एक ऐसा शक्तिशाली मंच है, जो न केवल सभी छात्रों और युवाओं को एकजुट करता है, बल्कि आज यह दिखा चुका है कि वे नफ़रत से विभाजित नहीं हैं बल्कि उसने एकजुट होकर नागरिकता और संविधान की रक्षा के लिए एक अभियान को शुरू किया है।”
जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद ने कहा, ‘शिक्षण संस्थानों और शिक्षा के क्षेत्र में लगाने के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है, लेकिन पूरे देश में सीएए, एनआरसी और एनपीआर लागू करवाने के लिए सरकार के पास खूब पैसा है। सरकार अपने एजेंडे में देश के टैक्स पेयर्स की बात करती है, कुछ लोग कहते हैं कि जेएनयू जैसे संस्थानों में टैक्स के पैसे बर्बाद होते हैं, लेकिन आज सबके सामने है कि किसका पैसा कहां बर्बाद हो रहा है।”
जामिया की आंदोलनकारी छात्र नेता अखतरिस्ता अंसारी ने कहा “आज देश के 25 से ज्यादा शहरों में ये आंदोलन हो रहा है और ये जारी रहेगा, जब तक सरकार इस कानून को वापस नहीं ले लेती।’
इस प्रदर्शन में जामिया, शाहीनबाग, खोड़ा, अज़मेरी गेट समेत कई इलाकों से भारी संख्या में आई महिलाओं और युवा लड़कियों ने हिस्सा लिया। सभी ने सरकार पर अत्याचारी होने का आरोप लगाया, साथ ही मीडिया द्वारा उनके आंदोलन को बदनाम करने की पीड़ा भी बताई।
जामिया से आईं राफिया कहती हैं, ‘हमारे पीएम सिर्फ मन की बात करते हैं, हमारी बातें नहीं सुनते। हम महीने भर से शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन पीएम तो क्या उनके किसी मंत्री और नेता के पास भी समय नहीं है कि हमारा हालचाल ही पूछ लें, उल्टा सरकार और बीजेपी के नेता हमें बदनाम करने में लगे हैं कि हम पैसे लेकर धरना दे रहे हैं। हम पूछना चाहते हैं कि बीजेपी ने लोगों को पैसे देकर वोट लिए थे? क्या बीजेपी के जो लोग समर्थन दे रहे हैं, वो पैसे लेकर दे रहे हैं? हम सभी लोगों से कहना चाहते हैं कि इतनी ठंड़ में हम अपनी औलादों के साथ पैसे के लिए नहीं बैठते, बल्कि इसलिए बैठते हैं ताकि कल को कोई हमसे कागज़ के लिए पैसे ना मांगे, हम से हमारी नागरिकता का सबूत ना मांगे।’
DU के प्रोफ़ेसर रतनलाल और लक्ष्मण यादव ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया और कहा कि इस संविधान और सामाजिक न्याय विरोधी सरकार को जब तक उखाड़ नहीं देते तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी।
कार्यक्रम का समापन पूर्व डूटा अध्यक्ष और एक्टिविस्ट नंदिता नारायण द्वारा फ़ैज़ की नज़्म ‘हम देखेंगें’ के गायन के साथ हुआ।
यंग इंडिया ने मुंबई पुलिस द्वारा छात्रों को पुलिस स्टेशन में ही हिरासत में लेने की निंदा प्रस्ताव भी पास किया, जहां छात्र मरीन ड्राइव पर अपने मानव श्रृंखला कॉल के बारे में पुलिस को सूचित करने गए थे किंतु उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया।