मीडिया की मोदीभक्ति अब दलाली के घृणित स्तर पर गिर गई है. भोजपुर में उन्हें लड़ाई ‘ विकास बनाम जातिवाद ‘ की दिखती है.
मतलब, भाजपा वालों ने विकास तो खूब कर दिया, लेकिन वहां के दलित-पिछड़े इतने जातिवादी हैं कि पूछिये मत.
घोर साम्प्रदायिक, घोर मनुवादी और आर के सिंह जैसे बदजुबान वयक्ति को, जिन्होंने कभी अपने विरोधियो को जूते से पीटने की बात कही, जिस आरएसएस को आतंकवादी बताया फिर उसी के गोद में गिर गए, ‘ हिंदुस्तान ‘ को ‘विकास पुरुष’ नजर आते हैं.
मनुवादी व घोर जातिवादी आग्रह जिसमें वे भाकपा माले को चमार-दुसाध की पार्टी कहकर प्रचार नहीं करने देते, उनका ‘जातिवाद’ हिनदुस्तान को जातिवाद नहीं दिखता.
हिंदुस्तान अखबार के संपादक महोदय, वे विकास नहीं, विनाश पुरुष हैं. आप मोदीभक्ति करते रहिए.
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