नई दिल्ली, 2 मार्च. जेएनयू स्टूडेंट नजीब अहमद के गायब होने के मामले में दिल्ली क्राइम ब्रांच ने नजीब के ऑटो से जामिया मिलिया इस्लामिया जाने की झूठी कहानी बनायी थी. इसके लिए दिल्ली क्राइम ब्रांच के अधिकारीयों ने एक ऑटो ड्राईवर को पकड़कर झूठा बयान दिलवाया था.
यह बात दिल्ली हाई कोर्ट में 27 फरवरी को नजीब अहमद के गायब होने के केस की सुनवाई के दौरान सामने आई. सुनवाई के दौरान नजीब की माँ फातीमा नफ़ीस के वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने इस बात को रिकॉर्ड पर लाने के लिए जिरह की कि दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने एक राह चलते सामान्य ऑटो चालक को पकडकर नजीब के अपनी मर्ज़ी से उसके ऑटो में बैठकर जामिया मिलिया इस्लामिया जाने की मनगढ़ंत कहानी रची. 14 नवंबर 2017 को ख़ुद सीबीआई ने कोर्ट के समक्ष इस तथ्य को दर्ज कराया कि कैसे एक ऑटो ड्राईवर को पकड़कर जबरन उससे यह झूठा बयान दर्ज करवाया गया.
हाई कोर्ट ने इस मामले की जाँच मई 2017 को सीबीआई को सौंपा था. इसके पहले दिल्ली क्राइम ब्रांच की पुलिस इस मामले की जाँच कर रही थी. नजीब 15 अक्टूबर 2016 से गायब है.नजीब का पता लगाने में देरी और इस मामले में आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर 26 फरवरी को छात्रों ने सीबीआई मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया था.
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील ने छात्रों के प्रदर्शन का उल्लेख किया और कहा कि नजीब के लिए न्याय कि मांग को लेकर कल हुए प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने सीबीआई गेट को अवरोधित कर दिया. इस बार हाई कोर्ट ने कहा कि नजीब केस बहुत ज्यादा खिंच रहा है. यह प्रदर्शन आम लोगों के दुःख और न्याय की चाहत का लोकतान्त्रिक इज़हार है.
सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि वह अभी भी सीएफएसएल (CFSL) चंडीगढ़ कि रिपोर्ट का इंतज़ार कर रहे हैं . यह रिपोर्ट उन 9 छात्रों के मोबाइल फ़ोन के कॉल डिटेल्स, व्हाट्सएप मेसेजेस और लोकेशन सम्बन्धी ब्योरों के बारे में है जो कि नजीब के गायब होने से पहले उसके साथ मारपीट करने के मामले में नामज़द हैं. हाई कोर्ट ने जिस तेज़ी के साथ नजीब मामले में छानबीन होनी चाहिए थी उसे सीबीआई ने सीएफएसएल चंडीगढ़ को तेजी से जाँच कर 19 मार्च को रिपोर्ट देने को कहा.
एडवोकेट कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा कि पुलिस ने ऑटो ड्राईवर की मनगढ़ंत कहानी के साथ पूरा एक साल बर्बाद कर दिया है. उन्होंने इस पूरे मामले की जाँच कोर्ट की निगरानी में कराये जाने की मांग को दोहराया. उन्होंने कोर्ट से अपनी दरख्वास्त में कहा कि किसी रिटायर्ड जज को इस मामले में नियुक्त कर कोर्ट के समक्ष क्राइम ब्रांच और सीबीआई द्वारा अभी तक प्रस्तुत किये गए तमाम दस्तावेजों की गहराई से जाँच कराये जाने की ज़रुरत है. जजों ने इस याचिका को सीएफएसएल की रिपोर्ट को देखने तक लंबित रखा है.
पूरी सुनवाई के दौरान वहां मौजूद जेएनयू छात्र संघ (जेएनएसयू ) की उपाध्यक्ष सिमोन ज़ोया खान, ने इस बात पर अपना असंतोष ज़ाहिर किया कि अभी तक इस पूरे मामले में एक भी ठोस सबूत पेश कर पाने में नाकाम सीबीआई और समय हासिल कर लेने की कोशिशों में लगी हुई है. उन्होंने कहा कि- ” जेएनएसयू की ओर से हम ये मांग करते हैं कि क्राइम ब्रांच के डीसीपी और जाँच अधिकारी के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए जिन्होंने कोर्ट के समक्ष झूठ बोला. उन सभी अधिकारियों की जाँच होनी चाहिए जिन्होंने ऑटो ड्राईवर वाली फ़र्ज़ी कहानी बनाकर जाँच को गुमराह करने का प्रयास किया.
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