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आरक्षी स्नेहा कांड की सीबीआई जांच से क्यों भाग रही है बिहार सरकार

माले का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा मुंगेर, आन्दोलनकारियों से मिला, सीबीआई जांच की मांग

पटना. भाकपा-माले विधायक सत्यदेव राम, राज्य कमिटी के सदस्य उमेश सिंह व ऐपवा की नेता संगीता सिंह की तीन सदस्यों की टीम आज मुंगेर पहुंची और आरक्षी स्नेहा कांड की सीबीआई जांच कराने के सवाल पर 24 जून से आंदोलनरत लोगों से मुलाकात की व उनके आंदोलन को अपना समर्थन दिया.

माले विधायक सत्यदेव राम ने न्याय की मांग कर रहे अनशनकारियों व अन्य आंदोलनकारियों पर झूठे मुकदमे थोपने की कड़ी निंदा की और उसे अविलंब वापस लेने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इस सवाल को विधानसभा के अंदर भी मजबूती से उठाया जाएगा. जांच टीम में पार्टी के स्थानीय नेता काॅ. दशरथ सिंह, विनय प्रसाद सिंह, सतीश प्रसाद सिंह, बीडी राम आदि शामिल थे.

माले जांच दल ने कहा है कि सिवान में तैनात आरक्षी (महिला) स्नेहा कांड के संबंध में जो घटनाक्रम उभरकर सामने आया है उससे प्रतीत होता है कि स्नेहा का लंबे समय से यौन शोषण किया जा रहा था और फिर उसकी हत्या कर दी गई. मामले को रफा-दफा करने के लिए उसके लाश को भी गायब कर दिया गया. इसमें पुलिस के उच्च अधिकारी तक शामिल हैं. जब इस कांड की सीबीआई जांच की मांग उठी तो आनन-फानन में उसे खारिज कर दिया गया और सीआईडी जांच बैठा दिया गया.

मृतक स्नेहा के पिता मुंगेर निवासी विवेकानंद मंडल बताते हैं कि सिवान पुलिस को क्लिन चिट दिया जाना उच्च अधिकारियों को बचाने की कवायद है. यदि मामले की सही से जांच हो तो सिवान पुलिस के उच्च अधिकारी की सहभागिता स्पष्ट हो जाएगी.

29 मई को विवेकानंद मंडल को स्थानीय चैकीदार के माध्यम से पता चला कि उनकी बेटी की तबीयत खराब है. वे सिवान अपनी बेटी को देखने पहुंचे लेकिन उन्हें अपनी बेटी से मिलने नहीं दिया गया. कहा गया कि हाॅस्पीटल में भरती है. सिवान पुलिस इधर-उधर की बात करते रही. फिर बताया गया कि उनकी बेटी की मौत हो गई. उसके बाद भी बेटी की लाश विवेकानंद मंडल को नहीं दिखलाया गया. सिवान में पोस्टमार्टम की बजाए स्नेहा का पोस्टमार्टम पीएमसीएच, पटना में कराया गया. सिवान के डाॅक्टरों ने जब गलत पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने से इंकार कर दिया, तो सिवान पुलिस ने उनकी जमकर पिटाई भी कर दी.

पीपीएमसीएच में बिना शव को दिखाए उसके पिता विवेकानंद मंडल का सुपुर्द किया गया और शव को घर ले जाने के लिए मजबूर किया गया. विवेकानंद मंडल का कहना है कि शव उनकी बेटी का था ही नहीं, उसकी जगह 20-25 दिनों का सड़ा’-गला लाश उन्हें सुपुर्द किया गया. जब लाश लेने से परिजनों ने इंकार कर दिया तब मुंगेर एसपी गौरव मंगला और एसडीओ खगेशचंद झा के द्वारा नौवागढ़ी के लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजने की धमकी दी गई. पुलिस प्रशासन ने अपनी मौजूदगी में उस लाश का अंतिम संस्कार करवाया. इसके खिलाफ 2 जून को आक्रोशित समुदाय ने सड़क जाम किया तो प्रशासन ने सबके उपर मुकदमा दायर कर दिया गया.

इस बर्बर घटना के खिलाफ मुंगेर में 24 जून से धरना व 25 जून से धारावाहिक अनशन का कार्यक्रम चल रहा है. स्नेहा के पिता विवेकांनद की हालत बेहद खराब हो चुकी है और वे फिलहाल आईसीयू में भर्ती हैं.
भाकपा-माले जांच दल ने कहा है कि इस सवाल को प्रमुखता से विधानसभा में उठाया जाएगा. हमारी मांग है कि बिहार सरकार दोषी पुलिस अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करे और पूरे मामले की सीबीआई जांच कराये. इसके पहले भी पटना में महिला आरक्षियों के आक्रोश का विस्फोट हम सब देख चुके हैं. यह बेहद शर्मिंदगी की बात है कि पुलिस विभाग में महिला आरक्षियों का यौन शोषण हो रहा है. महिला सशक्तीकरण का दावा करने वाली भाजपा-जदयू सरकार का असली महिला विरोधी चेहरा हर दिन बेनकाब हो रहा है.

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