नई दिल्ली. अखिल भारतीय किसान महासभा ने दिल्ली के गाजीपुर बार्डर पर किसानों के शांतिपूर्ण मार्च को रोकने और आन्दोलनकारी किसानों का दमन करने की कड़ी निंदा की है.
किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि एक तरफ मोदी सरकार किसानों के शांतिपूर्ण आन्दोलन का दमन कर रही है और दूसरी ओर देश भर में भीड़ हत्याओं को संगठित करने वाले फासिस्ट गिरोहीं को खुला संरक्षण दे रही है. उन्होंने कहा कि सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते आत्महत्या को मजबूर देश के पीड़ित किसानों का दमन कर मोदी सरकार ने सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है.
किसान महासभा ने कहा कि किसान मोदी सरकार से फसलों की लागत का सीटू + के साथ पचास प्रतिशत मुनाफ़ा दिलाने, फसलों की खरीद की गारंटी का अधिकार देने, गन्ना का बकाया भुगतान कराने और बिजली के बढे बिलों को वापस लेने की मांग पर जोर देने के लिए यह शान्तिपूर्ण मार्च कर रहे थे. इनमें से ज्यादातर मांगें मोदी-योगी द्वारा किसानों से किया गया चुनावी वायदा हैं.
23 सितम्बर को हरिद्वार से चला किसानों का यह शांतिपूर्ण मार्च कल दिल्ली बार्डर पर पहुंच गया था. किसान दिल्ली के राजघाट तक शांतिपूर्ण मार्च करना चाहते थे जिसे मोदी-योगी सरकारों ने बलपूर्वक दिल्ली बार्डर पर रोक दिया था.
किसान महासभा ने एक तरफ शांतिपूर्ण मार्च कर रहे किसानों का बर्बर दमन और ठीक उसी समय केन्द्रीय गृहमंत्री के साथ वार्ता की टेबल पर बैठे कुछ किसान नेताओं की भी निंदा की है. किसान महासभा ने किसानों के आन्दोलन और उनकी मांगों को पूरा समर्थन देते हुए इस आन्दोलन को राष्ट्रव्यापी अभियान में बदने का आह्वान किया है. किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कामरेड प्रेमसिंह गहलावत और राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा के नेतृत्व में एक टीम घायल और आंदोलनरत किसानों से मिलने जाएंगी.