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बाबा नागर्जुन की जन्म भूमि पर हुआ जसम की छह दिवसीय सांस्कृतिक यात्रा के प्रथम चरण का समापन

मधुबनी। जनसंस्कृति मंच, बिहार के तत्वावधान में आयोजित राज्य स्तरीय सांस्कृतिक यात्रा ‘ उठो मेरे देश ’ के प्रथम चरण का समापन 20 अगस्त को इंकलाबी कवि बाबा नागार्जुन की जन्म भूमि हुसैनपुर, सतलखा, मधुबनी में हुआ।

 सांस्कृतिक यात्रा की शुरुआत 15 अगस्त को आरा से हुई थी। आरा से पटना, बेगूसराय, समस्तीपुर, दरभंगा होते हुए 20 अगस्त को यह यात्रा मधुबनी पहुंची।

मधुबनी जिले में सांस्कृतिक यात्रा में शामिल कलाकारों, बुद्धिजीवियों, रंगकर्मियों का नरपत नगर में स्वागत किया गया। खेग्रामस राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य कल्याण भारती की अगुवाई में सांस्कृतिक टीम ने स्वतंत्रता सेनानी शहीद सूर्यनारायण सिंह की मूर्ति पर माल्यार्पण किया। यहां से सांस्कृतिक जत्थ बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर प्रतिमा, अकलू गणेशी की प्रतिमा, कॉ भोगेन्द्र झा की प्रतिमा, कॉ भोगेंद्र यादव की प्रतिमा, कॉ उचित नारायण यादव की प्रतिमा की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते और सांस्कृतिक कार्यक्रम करते हुए, मशहूर इंकलाबी कवि बाबा नागार्जुन की जन्मस्थली हुसैनपुर,सतलखा पहुंचा। यहां बाबा नागार्जुन की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद सांस्कृतिक यात्रा विद्यापति की जन्म भूमि बिस्फी पहुंची। उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण, गीत, नाटक एवं संक्षिप्त सभा के बाद प्रथम चरण के सांस्कृतिक यात्रा का समापन हुआ।

इन स्थानों के अलावा मधुबनी के तीन प्रमुख स्थलों पंडौल मुसहरी, लहरियागंज, बिस्फी में संगोष्ठी एवं जसम राज्य सचिव रंगकर्मी दीपक सिन्हा द्वारा रचित नाटक ‘ उठो मेरे देश ’ का मंचन जसम राज्य कार्यकारिणी सदस्य राजू रंजन के निर्देशन और युवा रंगकर्मी मनोज कुमार के सह-निर्देशन में हुआ। इस नाटक में रिक्की कुमार, मनोज कुमार, अभय, अशोक कुमार पासवान ने अभिनय किया।

सांस्कृतिक टीम के नेतृत्वकारी साथी वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी कॉमरेड प्रमोद यादव, वरिष्ठ एक्टिविस्ट कॉमरेड गालिब, जनगायक कृष्ण कुमार निर्मोही, पुनीत ने सभा स्थलों पर जसम बिहार की सांस्कृतिक यात्रा के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि आज शोषण, दमन, अन्याय की सदियों पुरानी विषबेल फिर से जड़ जमा रहीं हैं। साम्प्रदायिक ताकतें सत्ता का दुरुपयोग करते हुए राजनीतिक-सामाजिक-आर्थिक स्तरों पर जनतांत्रिक मूल्यों को अधिकाधिक क्षति पहुँचाकर,बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर निर्मित भारतीय संविधान को ध्वस्त कर मनुवादी संविधान देश पर थोपना चाह रही है। ऐसे समय में एक बड़े सांस्कृतिक पुनर्जागरण की आवश्यकता है। इस सांस्कृतिक आंदोलन के माध्यम से हम जनजागृति की ऐतिहासिक भूमिका निभाने का सतत प्रयास कर रहे हैं।

बिस्फी में हुए समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कल्याण भारती ने कहा कि आज हम अघोषित आपातकाल के दौर में जी रहे हैं। तमाम लोकत्रांतिक संस्थाओं का मनमाना इस्तेमाल किया जा रहा। हाल ही में गुजरात सरकार द्वारा बिल्किस बानो केस के दोषियों को दोषमुक्त कर दिया गया। यह अल्पसंख्यक समाज के प्रति निरंतर बढ़ रहे हमले का वीभत्स उदाहरण है। इस दौर में जाति, धर्म, लिंग, वर्ग के आधार पर हमारे समाज को बाँटने की गहरी साजिश चल रही। इस साजिश को नाकाम करना जरूरी है। जसम, बिहार की यह पहल इसमें योग करती है।

जसम राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. सुरेंद्र सुमन ने कहा कि भगत सिंह-अम्बेडकर जैसे हमारे महान पुरखों ने दिशा दिखाई है कि सामाजिक-आर्थिक बराबरी के बिना हमारा राजनीतिक लोकतंत्र अधूरा है। मुकम्मल आजादी की लड़ाई हमें लड़नी होगी। जरूरी है कि आमजन आगे आएँ और यह तय करें कि यह देश स्वाधीनता आंदोलन के गद्दार गोडसे और सावरकर के सपनों का देश बनेगा या शहीद-ऐ-आजम भगत सिंह और अम्बेडकर के सपनों का देश बनेगा।

बिस्फी में सांस्कृतिक टीम का स्वागत जानेमाने शिक्षाविद एवं समाजसेवी रवींद्र शर्मा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन अवकाशप्राप्त शिक्षक श्री शिवशंकर प्रसाद राय ने किया। कार्यक्रम का संचालन जसम ,बिहार के राज्य कार्यकारिणी सदस्य समीर ने किया।

मौके पर भाकपा माले के जिला सचिव ध्रुव नारायण कर्ण, माकपा जिला सचिव मनोज यादव, भाकपा के अरविंद प्रसाद, जटाधर पासवान, सोनधारी यादव, शनिचरी यादव, शांति देवी, सीताराम सदा, विशम्भर कामत, रंजीत यादव, वकील यादव, रामस्वार्थ यादव, सीपीआई बिस्फी के अंचल मंत्री कॉमरेड महेश यादव, प्रो.लाल बाबू अकेला, दिलीप कुमार, आशीष आदि लोग उपस्थित थे।

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