कविता मधु सक्सेना की कविताएँ प्रतिकूलता का डटकर सामना करती हैं।समकालीन जनमतJuly 14, 2024July 14, 2024 by समकालीन जनमतJuly 14, 2024July 14, 20240155 ख़ुदेजा ख़ान मधु सक्सेना की कविताओं का मूल स्वर भले ही स्त्री केंद्रित है तथापि इसमें सामाजिक संदर्भों की एक वृहत्तर शृंखला दिखलाई पड़ती है...
कविता ब्रज श्रीवास्तव की कविताएँ समकालीन बोध से संपृक्त हैंसमकालीन जनमतApril 28, 2024April 28, 2024 by समकालीन जनमतApril 28, 2024April 28, 20240189 ख़ुदेजा ख़ान समय बदलता है और बदल जाता है हमारे आसपास का परिवेश, वातावरण, पर्यावरण, संबंध और सामाजिक सरोकार इतना ही नहीं आर्थिक, राजनीतिक...
कविता सत्येंद्र कुमार रघुवंशी की कविताएँ सामाजिक संरचना की परख हैंसमकालीन जनमतMarch 31, 2024March 31, 2024 by समकालीन जनमतMarch 31, 2024March 31, 20240258 ख़ुदेजा ख़ान कवि सत्येंद्र कुमार रघुवंशी को पढ़ते हुए कहा जा सकता है कि कोई भी कविता या रचना का पाठ संवेदना के स्तर पर...
कविता ख़ुदेजा ख़ान की कविताएँ सिस्टम की मार सहते नागरिक की आवाज़ हैंउमा रागDecember 24, 2023 by उमा रागDecember 24, 202301535 मेहजबीं ख़ुदेजा ख़ान की कविताएँ अपने वर्तमान समय का दस्तावेज़ हैं। उनकी कविता के केन्द्र में आम लोग हैं, मतदाता हैं, बूढ़े हैं, बच्चे हैं,...