समकालीन जनमत

Tag : परिसंवाद

साहित्य-संस्कृति

‘जनता का अर्थशास्त्र ’ एक जरूरी किताब – प्रो रमेश दीक्षित

लखनऊ। आवारा पूंजी साम्राज्यवादी पूंजी का नया चेहरा है। वह राजनीति पर कब्जा जमाती है, उसे अपना गुलाम बनाती है। वह जिस अर्थशास्त्र को निर्मित...
साहित्य-संस्कृति

समानता का नया यूटोपिया रचती है ‘ देह ही देश ‘ – अनामिका

समकालीन जनमत
हिन्दू कालेज में प्रोफ़ेसर गरिमा श्रीवास्तव की किताब ‘ देह ही देश ‘ पर परिसंवाद  डॉ रचना सिंह   दिल्ली। ”देह ही देश” केवल यूरोप की...
जनमत

फासीवाद के खिलाफ संघर्ष में मार्क्स के विचार से बेहतर विचार नहीं- दीपंकर भट्टाचार्य

समकालीन जनमत
क्रोनी पूंजीवाद, सांप्रदायिक विभाजन और मनुवादी के बीच गठजोड़ है. लिचिंग स्थाई परिघटना बना दी गई है. लिचिंग करने वालों को पता है कि उन्हें...
साहित्य-संस्कृतिस्मृति

प्रो तुलसीराम का चिन्तन अम्बेडकरवाद और मार्क्सवाद के बीच पुल – वीरेन्द्र यादव

समकालीन जनमत
प्रो तुलसी राम ने जहां मार्क्सवाद के रास्ते दलित आंदोलन का क्रिटिक रचा, वहीं उन्होंने वामपंथ के अन्दर मौजूद जातिवादी प्रवृतियों का भी विरोध किया....
ख़बर

मोदी दोबारा सत्ता में नहीं आने वाले – राकेश सिंघा

कामरेड राकेश सिंघा का कहना था कि हिमांचल में वामपंथ आगे बढ़ सकता है तो देश के दूसरे हिस्से में भी यह संभव है। वित्तीय...
कविता

व्यवस्था की विसंगतियों पर प्रहार है देव नाथ द्विवेदी की गजलों में

समकालीन जनमत
लखनऊ में देव नाथ द्विवेदी के  गजल संग्रह ‘ हवा परिन्दों पर भारी है ’ का विमोचन और परिसंवाद कौशल किशोर लखनऊ. ‘ हिन्दुस्तानी जबान में...
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