जनमतशख्सियतस्मृति नायक विहीन समय में प्रेमचंदसमकालीन जनमतJuly 31, 2019July 31, 2019 by समकालीन जनमतJuly 31, 2019July 31, 201904357 प्रो. सदानन्द शाही कुछ तारीखें कागज के कैलेण्डरों पर दर्ज होती हैं और याद रखी जाती हैं या पर कुछ तारीखें ऐसी भी होती हैं...
जनमतशख्सियतस्मृति किसान आत्म-हत्याओं के दौर में प्रेमचंद – प्रो. सदानन्द शाहीसमकालीन जनमतJuly 30, 2019July 30, 2019 by समकालीन जनमतJuly 30, 2019July 30, 201902082 प्रो.सदानन्द शाही किसानों की आत्म हत्यायें हमारे समाज की भयावह सचाई है। भारत जैसे देश में किसान आत्महत्यायें कर रहे हैं यह शर्मशार कर देने...
जनमतशख्सियतस्मृति सदगति : ‘ग़म क्या सिर के कटने का’*समकालीन जनमतJuly 29, 2019July 29, 2019 by समकालीन जनमतJuly 29, 2019July 29, 201905845 प्रो. सदानन्द शाही सदगति दलित पात्र दुखी की कहानी है। दुखी ने बेटी की शादी तय की है। साइत विचरवाने के लिए पं0. घासीराम को बुलाने...