कविता अनिल अनलहातु की कविताएँ हमारी हताशा और जिजीविषा का अन्तर्द्वन्द्व हैंसमकालीन जनमतMarch 12, 2023March 12, 2023 by समकालीन जनमतMarch 12, 2023March 12, 2023063 प्रभात मिलिंद अनिल अनलहातु हमारे समय के विरल और अनिवार्य कवि हैं. कविताओं में वक्रोक्तियों का कारुणिक प्रयोग कैसे संभव हो सकता है, व्यंग्य में...
कविता सौम्या सुमन की कविताएँ अनसुने-अनकहे के दरमियान प्रेम के सहज सौन्दर्य की बानगी हैंसमकालीन जनमतDecember 26, 2021December 26, 2021 by समकालीन जनमतDecember 26, 2021December 26, 20210103 प्रभात मिलिंद मेरे विचार में कविताओं को पानी की शांत सतह पर गिरते हुए एक सूखे पत्ते की तरह होना चाहिए– दृश्य में एकदम स्पंदनहीन...
कविता फ़िरोज़ की कविताएँ इस राजनीतिक सन्निपात में एक सचेत बड़बड़ाहट हैंसमकालीन जनमतMay 23, 2021May 23, 2021 by समकालीन जनमतMay 23, 2021May 23, 202101340 प्रभात मिलिंद फ़िरोज़ खान की ये कविताएँ फ़ासीवाद के ख़िलाफ़ आक्रोश की कविताएँ है। काव्य-वक्रोक्ति की अनुपस्थिति में ये अपने लहज़े में थोड़ी खुली हुई...
कविता सियाह समय से परे एक नई सुबह की दरियाफ़्त करतीं शंकरानंद की कविताएँसमकालीन जनमतAugust 23, 2020August 23, 2020 by समकालीन जनमतAugust 23, 2020August 23, 202002660 प्रभात मिलिंद युवा कवि शंकरानंद की इन कविताओं को पढ़ना अपनी ही खोई हुई ज़मीन की तरफ़ फ़िर से लौटने, अपनी ही विस्मृत जड़ों को...
कविताजनमत नवनीत की ग़ज़लें यथास्थितिवाद का प्रतिकार हैंसमकालीन जनमतFebruary 16, 2020February 16, 2020 by समकालीन जनमतFebruary 16, 2020February 16, 20206 4289 प्रभात मिलिंद मेरी नज़र में एक ग़ज़लगो होना और एक शायर होना दो मुख़्तलिफ़ इल्म हैं. ग़ज़लगोई एक हुनर (स्किल) है और शायरी एक तेवर...
कविता विनय सौरभ लोक की धड़कती हुई ज़मीन के कवि हैंसमकालीन जनमतNovember 3, 2019November 4, 2019 by समकालीन जनमतNovember 3, 2019November 4, 20194 4404 प्रभात मिलिंद कवि अपनी कविता की यात्रा पर अकेला ही निकलता है. जब इस यात्रा के क्रम में पाठक उसके सहयात्री हो जाएँ तो समझिए...
कविता एकांत और संवेदना की नमी में आकंठ डूबा कवि प्रभात मिलिंदसमकालीन जनमतSeptember 22, 2019September 24, 2019 by समकालीन जनमतSeptember 22, 2019September 24, 201904079 रंजना मिश्र प्रभात मिलिंद की कविताओं से गुज़रना संवेदनशील आधुनिक मानव मन की निरी एकांत यात्रा तो है ही साथ ही परिवार समाज और देश...