जनमतपुस्तक ‘बैठकर काशी में अपना भूला काशाना’ : मिर्ज़ा ग़ालिबसमकालीन जनमतJuly 16, 2019July 16, 2019 by समकालीन जनमतJuly 16, 2019July 16, 20194 1749 कुमार मुकुल ‘चिराग़-ए-दैर (मंदिर का दीया)’ मिर्ज़ा ग़ालिब की बनारस पर केंद्रित कविताओं का संकलन है जिसका मूल फारसी से सादिक ने अनुवाद किया है। चिराग़-ए-दैर की...
कविता कुमार अरुण की कविताओं की भाषा के तिलिस्म में छुपा यथार्थ समकालीन जनमतJune 7, 2019June 13, 2019 by समकालीन जनमतJune 7, 2019June 13, 201912 3045 कुमार मुकुल माँ को समन्दर देखने की बड़ी इच्छा कि आखिर कितना बड़ा होता होगा अरे बड़ा कितना जितना हमारे पैसों और जरूरतों के बीच...
कविताजनमत ज़मीनी हक़ीक़त बयाँ करतीं चंद्र की कविताएँसमकालीन जनमतFebruary 24, 2019February 24, 2019 by समकालीन जनमतFebruary 24, 2019February 24, 201902633 कुमार मुकुल चंद्र मेरी आज तक की जानकारी में पहले ऐसे व्यक्ति हैं जो खेती-बाड़ी में, मजूरी में पिसते अंतिम आदमी का जीवन जीते हुए पढ़ना-लिखना...
कविताजनमत नित्यानंद गायेन की कविताओं में प्रेम अपनी सच्ची ज़िद के साथ अभिव्यक्त होता हैउमा रागOctober 21, 2018October 21, 2018 by उमा रागOctober 21, 2018October 21, 20186 3487 कुमार मुकुल नित्यानंद जब मिलते हैं तो लगातार बोलते हैं, तब मुझे अपने पुराने दिन याद आते हैं। कवियों की बातें , ‘कांट का...