कविता ‘मजदूर थे वो जब तक सबके ही काम आए/मजबूर हो गए तो सबको ही खल रहे हैं’समकालीन जनमतMay 18, 2020May 19, 2020 by समकालीन जनमतMay 18, 2020May 19, 20206 3539 लखनऊ। लोग कोरोना की चपेट में ही नहीं हैं बल्कि लाॅक डाउन से पैदा हुई अव्यवस्था के भी शिकार हुए हैं, हो रहे हैं। लोगों...
कविता कोरोना काल में कविता : ‘ रिसते दिखे पाँवों से खून, इस पर क्या लिखूं / दिखे आंखों से बहते खून…..समकालीन जनमतApril 20, 2020April 20, 2020 by समकालीन जनमतApril 20, 2020April 20, 202002825 कविता अपने समय को रचती है और समय भी अपने कवि को बनाता है। कोरोना काल मानव जाति के लिए बड़ा संकट का काल है।...
कविता कोरोना काल में कविता : ‘ प्रेम संवाद की भाषा बन जाए ’समकालीन जनमतApril 13, 2020April 25, 2020 by समकालीन जनमतApril 13, 2020April 25, 202002717 यह कोरोना काल है। पूरी दुनिया इस महामारी के खिलाफ जंग लड़ रही है। लाॅक डाउन चल रहा है। लोग घरों में हैं। सामाजिक व...