समकालीन जनमत

Tag : मीर

शख्सियत

‘क्यों कर न हो मुशब्बक शीशे सा दिल हमारा’ -शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी की याद

मृत्युंजय
फ़ारूक़ी साहब नहीं रहे। यह इलाहाबाद ही नहीं, समूचे हिन्दी-उर्दू दोआब के लिए बेहद अफसोसनाक खबर है। वे उर्दू के जबरदस्त नक्काद [आलोचक] थे, बेहतरीन...
साहित्य-संस्कृति

मीर, ग़ालिब, नज़ीर के बग़ैर भारतीय साहित्य की संकल्पना पूरी नहीं -असद ज़ैदी

समकालीन जनमत
आगरा. दयालबाग़ एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के कला संकाय की ओर से आयोजित ‘गालिब जयंती’ समारोह के मुख्य अतिथि के बतौर बोलते हुए प्रसिद्ध कवि असद ज़ैदी...
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