कविता दौरे हाजि़र पर एक गहरी नज़र हैं ग़ज़ाला की ग़ज़लेंसमकालीन जनमतMarch 8, 2020March 27, 2020 by समकालीन जनमतMarch 8, 2020March 27, 20202 4254 नवनीत शर्मा ग़ज़ाला की ग़ज़लों में सबके अहसास अपनी लिखी कहानी को ही जी रही हूँ अब इक जैसा ही तो है मेरा किरदार ,और...
कविताजनमत नवनीत की ग़ज़लें यथास्थितिवाद का प्रतिकार हैंसमकालीन जनमतFebruary 16, 2020February 16, 2020 by समकालीन जनमतFebruary 16, 2020February 16, 20206 4291 प्रभात मिलिंद मेरी नज़र में एक ग़ज़लगो होना और एक शायर होना दो मुख़्तलिफ़ इल्म हैं. ग़ज़लगोई एक हुनर (स्किल) है और शायरी एक तेवर...
कविताजनमत भाषा के अनोखे बर्ताव के साथ कविता के मोर्चे पर चाक चौबंद कवि कुमार विजय गुप्तसमकालीन जनमतDecember 1, 2019December 1, 2019 by समकालीन जनमतDecember 1, 2019December 1, 201913288 नवनीत शर्मा इस कवि के यहां अनाज की बोरियों का दर्द के मारे फटा करेजा नुमायां होता है…। यह उन शब्दों की तलाश में है...