देसवा गाँव की औरतों का कुबूलनामा- तीनसमकालीन जनमतAugust 17, 2020August 17, 2020 by समकालीन जनमतAugust 17, 2020August 17, 202002182 कीर्ति “कत्ले हुसैन असल में मरगे यज़ीद है इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद।” ये वही हुसैन हैं, जिनके लिए उनकी माँ...
देसवा गाँव की औरतों का कुबूलनामा- दोसमकालीन जनमतAugust 5, 2020August 5, 2020 by समकालीन जनमतAugust 5, 2020August 5, 202001176 कीर्ति (कीर्ति, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बी.ए. अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही हैं। कोरोना और लाॅकडाउन के दौरान उन्होंने गाँव की औरतों के जीवन को...
देसवा गाँव की औरतों का कुबूलनामा-एकसमकालीन जनमतJuly 23, 2020July 23, 2020 by समकालीन जनमतJuly 23, 2020July 23, 202002509 कीर्ति (कीर्ति इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बी.ए तृतीय वर्ष की छात्रा हैं। गाँव की औरतों के जीवन को लेकर उन्होंने एक आलेख-श्रृंखला प्रारम्भ की है। इसमें...