समकालीन जनमत

Tag : #गाँव #औरत #पितृसत्ता #धर्म #आजादी

देसवा

गाँव की औरतों का कुबूलनामा- तीन

समकालीन जनमत
कीर्ति   “कत्ले हुसैन असल में मरगे यज़ीद है इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद।” ये वही हुसैन हैं, जिनके लिए उनकी माँ...
देसवा

गाँव की औरतों का कुबूलनामा- दो

समकालीन जनमत
कीर्ति (कीर्ति, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बी.ए. अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही हैं। कोरोना और लाॅकडाउन के दौरान उन्होंने गाँव की औरतों के जीवन को...
देसवा

गाँव की औरतों का कुबूलनामा-एक

समकालीन जनमत
कीर्ति  (कीर्ति इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बी.ए तृतीय वर्ष की छात्रा हैं। गाँव की औरतों के जीवन को लेकर उन्होंने एक आलेख-श्रृंखला प्रारम्भ की है। इसमें...
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