साहित्य-संस्कृति गज़ल ‘बहुलता की संस्कृति’ की रक्षा करने वाली विधा – डा. जीवन सिंहसमकालीन जनमतApril 22, 2019April 22, 2019 by समकालीन जनमतApril 22, 2019April 22, 20194 1830 डी. एम. मिश्र के गज़ल संग्रह ‘वो पता ढूँढे हमारा ’ का विमोचन सम्पन्न दुष्यन्त ने गज़ल को यथार्थपरक बनाया – कौशल किशोर डी. एम....
कवितासाहित्य-संस्कृति ‘यह तश्ना की है गज़ल, इस शायरी में गाने-बजाने को कुछ नहीं’समकालीन जनमतFebruary 3, 2018May 31, 2020 by समकालीन जनमतFebruary 3, 2018May 31, 20206 2957 तश्ना आलमी की याद में लखनऊ में सजी गज़लों की शाम लखनऊ । तश्ना आलमी की शायरी गहरे तक छूती है। ऐसा लगता है कि...