समकालीन जनमत

Tag : कुंदन सिद्धार्थ

कविता

उम्मीद की दूब के ज़िंदा रहने की कामना से भरी ज्योति रीता की कविताएँ

समकालीन जनमत
कुंदन सिद्धार्थ   “जब धरती पर सारी संवेदनाएँ समाप्ति पर होंगी तब बचा लेना प्रेम अपनी हथेली पर कहीं जब धरती बंजरपन की ओर अग्रसर...
कविताजनमत

स्मृति और प्रेम का कवि कुंदन सिद्धार्थ

समकालीन जनमत
जैसे पूरा गांव ही कमरे में समा गया हो! जब भी कोई शहर से लौटकर गाँव आता तो सारे लोग उसे घेरकर घण्टों शहर की...
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