समकालीन जनमत
स्मृति

कामरेड शाह चाँद की याद

जाने कितनी यादे हैं कामरेड शाह चाँद की। आईपीएफ और फिर इंकलाबी मुस्लिम कान्फ्रेंस में साथ काम करने की। कामरेड तकी रहीम से नोक-झोंक फिर हंसी-मज़ाक की। उस पहले दिन की भी जब भदासी कांड हुआ।

जनसंस्कृति मंच का विद्यापति भवन में सम्मेलन चल रहा था और अल-सुबह भदासी में घट रही घटना की खबर आई। उसी दिन वहाँ के ग्राम-प्रधान के रूप में उनका नाम पहली बार सुना। ग्राम-प्रधान के रूप में उन्हें आदर्श ग्राम प्रधान का खिताब सरकार ने दिया था। लेकिन सरकार को नहीं मालूम था कि शाह चाँद दूसरी मिट्टी के बने है।

ऐसे समय में जब अच्छे-अच्छे लोग शैतानों के झबरे बच्चे बनते जा रहे हैं, शाह चाँद गरीबों के शोषण के खिलाफ, उनके हक और अधिकार के लिए लड़नेवाले ग्राम प्रधान के रूप में सामने आए। मजदूरी के सवाल पर चल रहे संघर्ष का दमन करने पहुंची बिहार पुलिस। (जिसमें एक पुलिस इंस्पेक्टर मारा गया था।) उस दमन के विरोध में खड़े थे मुखिया शाह चाँद। उसी मामले में दूसरे दसियों साथियों के साथ शाह चाँद टाडा में बंद हुए। टाडा का कानून समाप्त कर दिया गया लेकिन बिहार की तथाकथित ‘गरीब परवर’ सरकार उनके ऊपर से टाडा उठाने से मुकर गई। अदालत ने उम्र-कैद की सज़ा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट ने भी ‘आतंकवाद की अमेरिकी-परिभाषा’ का उल्लेख करते हुए उनकी अपील खारिज कर दी।

जेल में रहते हुए लंबे समय वे काफी बीमार रहे। उन्हें पैरोल पर छोड़ने के लिए लगातार प्रयास जारी रहा। सरकार ने यह न कर उन्हें इलाज के लिए पीएमसीएच भेजा था। उम्र कैद की सज़ा काट रहे शाह चाँद ने आज की तारीख की दोपहर पीएमसीएच में अंतिम सासें ली थीं।

“तुम्हारे पास, हमारे पास,
सिर्फ एक चीज है –
ईमान का डंडा है,
बुद्धि का बल्लम है,
अभय की गेती है
हृदय की तगारी है – तसला है
नये-नये बनाने के लिए भवन
आत्मा के,
मनुष्य के,
हृदय की तगारी में ढोते हैं हमी लोग
जीवन की गीली और
महकती हुई मिट्टी को।“ (मुक्तिबोध)

कामरेड, हम लड़ेंगे अन्याय और अत्याचार की हुकूमत के खिलाफ उस जंग को, जिसे लड़ते हुए आपने अपने को कुर्बान कर दिया!

कामरेड शाह चाँद को लाल सलाम!

Related posts

4 comments

Comments are closed.

Fearlessly expressing peoples opinion