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रांची में सीएए और एनआरसी के खिलाफ संविधान बचाओ मार्च , सभा

वाम-लोकतान्त्रिक सामाजिक और छात्र संगठनों ने आयोजित किया था मार्च
सभा में वक्ता बोले-झूठ बोल रही है केंद्र सरकार, विभाजन और विध्वंस की राजनीति नहीं चलेगी

रांची. वाम-लोकतान्त्रिक सामाजिक और छात्र संगठनों ने 30 दिसम्बर को संविधान बचाओ मार्च निकाला. अपने हाथों में झंडे, तख्तियां लेकर भिन्न इलाकों से रैली की शक्ल में बड़ी संख्या में लोग लोग संविधान बचाओ मार्च में शामिल हुए. जिला प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं मिलने पर जिला स्कूल के मैदान में ही सभा की गयी . सभा के पूर्व प्रतिरोध आन्दोलन के शहीदों को दो मिनत मौन रखकर श्रद्धाजंलि दी गई।

सभा को संबोधित करते हुए माले विधायक विनोद सिंह ने कहा की नागरिकता संशोधन कानून सिर्फ जरुरतमंदों को नागरिकता देने के नेक इरादे से नहीं लाया गया है बल्कि इसके पीछे संघ परिवार का गुप्त एजेंडा छुपा हुआ है.भाजपा झूठ बोलकर लोगों को गुमराह कर रही है. लोकसभा में राष्ट्रपति द्वारा दिए अभिभाषण में पूरे देश में एनआरसी लागू करने की बात कही गयी है. एनपीआर इसी का शुरुआती कदम है. धार्मिक आधार पर नागरिकता संशोधन लाया जाना, संविधान विरोधी है. देशव्यापी विरोध कोई जिहादी और माओवादी साजिश नहीं बल्कि देश और संविधान बचाने की लड़ाई है. हम झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार से भी कहेंगे कि संविधान विरोधी नागरिकता संशोधन कानून झारखण्ड में लागू न हो.

पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सुबोधकान्त सहाय ने कहा कि सीएए का विरोध इसलिए नहीं हो रहा है कि इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जा रही है। विरोध की वजह यह है कि पूरे देश में एनआरसी लागू करने की तैयारी है। धार्मिक आधार पर लाये जा रहे नागरिकता संशोधन कानून की खिलाफत वक्त की मांग है. भाजपा टुकड़े-टुकड़े गैंग की सरदार है. दूसरे पर आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांके.

पूर्व विधायक अरूप चटर्जी ने कहा कि देश जब मंदी, महंगाई, बेकारी से जूझ रहा तब इस तरह के मुद्दों को भड़काना अपनी नाकामी को ही छुपाना है. सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला ने कही की नागरिकता के लिए हमें सबूत देने की जरुरत नहीं. हमारे जल, जंगल, जमीन और पहाड़ ही हमारी नागरिकता का सबूत है.


माकपा के राज्य सचिव जी के बख्शी ने कहा की झारखण्ड का हवा पानी बदला है। अब देश से भाजपा की सफाए का समय आ गया है. सभा को माले राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद, अधिवक्ता एके राशिदी , जेवीएम नेता अंतु तिर्की, माले के भुवनेश्वर केवट, सुखनाथ लोहरा. फादर महेंद्र प्रकाश विप्लोव ,सुमित रॉय आदि ने संबोधित किया

सभा के माध्यम से 5 सूत्री राजनीतिक प्रस्ताव पारित कर एनपीआर, एनआरसी ,नागरिकता संशोधन कानून को संविधान विरोधी बताते हुए वापस लेने, जेएनयू, जामिया,अलीगढ समेत 33 विश्व विद्यालयों के छात्रो द्वारा जारी आन्दोलन के साथ एकजुटता जाहिर करते हुए छात्रों पर दमनात्मक कार्रवाई पर रोक लगाने, उतर प्रदेश के आम लोगों पर बर्बर सरकारी दमन पर रोक लगाने, .असम के डिटेंशन कैम्प में और आन्दोलन के दौरान मृत लोगों को दस लाख मुआवजा देने और दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की गई। प्रस्ताव में संविधान बचाओ मार्च की अनुमति नहीं देने पर जिला प्रशासन की कड़ी निंदा की गई।

संविधान बचाओ मार्च-सभा के बाद वाम- लोकतांत्रिक-सामाजिक संगठनों की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल विधायक कॉमरेड विनोद सिंह एव पूर्व विधायक कॉमरेड अरूप चटर्जी के नेतृत्व में नवनियुक्त मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिला और उन मुद्दों पर बात की। इसी मुख्यमंत्री ने सकारात्मक जवाब दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार बशीर अहमद, के.डी. सिंह (पूर्व राज्य सचिव-भाकपा, झारखंड) और प्रफुल्ल लिंडा (राज्य सचिव,आदिवासी अधिकार मंच) ने की। संचालन नदीम खान (सामाजिक कार्यकर्ता) और भुनेश्वर केवट(मजदूर नेता,एक्टू) ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन अलोका कुजूर(महिला अधिकार कार्यकर्ता ) ने की।

मार्च और सभा में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, एमएलए विनोद सिंह, पूर्व एमएलए अरूप चटर्जी, झारखंड बार के अधिवक्ता ए.के.रशीदी, अधिवक्ता फ़ादर महेंद्र पीटर तिग्गा, सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला, फ़ादर सॉलोमन, जनार्दन प्रसाद (राज्य सचिव,भाकपा माले,झारखंड), जीके बक्शी (राज्य सचिव,माकपा,झारखंड), प्रकाश विप्लवी (महासचिव, सीटू झारखंड),सुशांतो मुखर्जी (मासस),अजय सिंह (भाकपा), सुखनाथ लोहरा (माकपा), उमेश कुमार(इप्टा), सेराज दत्ता (सामाजिक कार्यकर्ता), प्रबीन पीटर, अलोका कुजूर, एमएल सिंह (बैंक नेता), ज़ेवियर कुजूर (एआईपीएफ), आकाश रंजन (सामाजिक कार्यकर्ता), दामोदर तुरी (विस्थापन विरोधी मोर्चा), जगरनाथ उरांव (मज़दूर नेता), सुमित राय (एसयूसीआई), अंतु तिर्की (जेवीएम), मंटू पासवान (एसयूसीआई), सुरेश मुंडा (रातू प्रमुख), मुंताज़िर आलम (उप प्रमुख-ओरमांझी ), सुफल महतो ( किसान नेता), प्रकाश टोप्पो (आदिवासी अधिकार मंच), मो शकील अंसारी (पसमांदा महाज़ रांची), रैप गायक ताबिश, जेएनयू के पूर्व छात्र नेता वीरेंद्र कुमार, शनम आफ़रीन, ज़ेबा ज़फ़र, एएमयू के पूर्व छात्र नेता कामरान आसिफ़, जामिया के छात्र हसन बन्ना, अखलाद,शोऐब, प्रोफेसर खुर्शीद हसन,
शिक्षक तनवीर आलम,सामाजिक कार्यकर्ता अकरम राशिद, सोनू, बब्बर, इमाम, मो गुलफ़ाम, मो नकीब, जावेद अहमद,नाहिद तबरेज़, इक़बाल बंटी,आरिफ़ खान, मो अली, अधिवक्ता सुलतान, दानिश सुल्तान, इमरान रज़ा,अबू रेहान,डॉ तारिक़,कमला मुंडा, महेश मुंडा,स्वाति सिंह, पॉवेल कुमार, इम्तियाज़ अहमद,साकिब, असफ़र,अरशद क़ुरैशी,मो अमीर,तारिक़ मुजीबी, महबूब आलम, परवेज़ उमर,आईसा से सोहैल, त्रिलोकी,पल्लवी, नौरीन, निशात खान,ओबैद, अमलकांत, एसएफआई से अमन कुमार, मुनाजिर खान, हर्ष कुमार,शाहजेब,एआईएसएफ़ से लोकेश कुमार, विक्रम, रवि कुमार, अधिवक्ता अफ़्फ़ाक़ रशीदी, एआईडीएसओ से श्यामल, जूलियस, दिनेश कुमार, एमएसएफ़ शहबाज़ आलम, आरवाईए के अविनाश रंजन, जगमोहन, सामाजिक कार्यकर्ता प्रतिभा, अनिता अग्रवाल, वनिता लियोफलको, शकीना धोराजीवाला, सुषमा बिरौली, अपर्णा बाड़ा, मनोज ठाकुर, मुन्ना बड़ाईक, अनिता तिर्की, सैमुएल कुजूर, विजय तीडू, रंजीत कुजूर आदि शामिल हुए।

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