आर. राम
अनुच्छेद 370 को लेकर संसद और संसद के बाहर एक झूठ फैलाया जा रहा है कि डॉ आंबेडकर ने अनुच्छेद 370 को लागू किए जाने का विरोध किया था और 370 के मसौदे को तैयार करने से मना कर दिया था।
मीडिया में यह झूठ धड़ल्ले से उड़ाया जा रहा है कि डॉ. अम्बेडकर ने शेख अब्दुल्ला को कोई पत्र लिखा था जिसमे उन्होंने 370 को गलत बताया था।जबकि कोई भी मीडिया चैनल या अखबार इस बात के पक्ष में कोई प्रमाण नहीं दे रहा है। ये कहा जा कि इस बात को आरएसएस के नेता बलराज मधोक ने कहीं कहा है।
सच यह है कि बलराज मधोक के हवाले से कही जाने वाली यह बात पहली बार 1991 के तरुण भारत पत्रिका जो आरएसएस की पत्रिका है में पहली बार उल्लिखित की गई,जब डॉ आंबेडकर के परिनिर्वाण के लगभग चार दशक बीत चुके थे।
इस बात के पक्ष में कोई भी लिखित दस्तावेज उपलब्ध नही है।यह विशुद्ध रूप से संघी झूठ है।अगर उस बात को सच भी मान लें तो बात यहीं खत्म नहीं हो जाती।
सच यह है कि डॉ आंबेडकर कश्मीर के विभाजन के पक्ष में थे।उनका कहना था कि कश्मीर के मुस्लिम बहुल हिस्से को पाकिस्तान को दे देना चाहिए और हिन्दू,सिख और बौद्ध आबादी जिस क्षेत्र में है उसे भारत मे रहना चाहिए।इस बात के स्पष्ट प्रमाण मौजूद हैं।
हम अपना अधिकतम समय इस बात की चर्चा पर लगा रहे हैं कि कौन सही है और कौन ग़लत। मेरे विचार से असली मुद्दा यह नहीं है कि सही कौन है बल्कि यह कि सही क्या है। और इसे यदि मूल सवाल के तौर पर लें तो मेरा विचार हमेशा से यही रहा है कि कश्मीर का विभाजन ही सही समाधान है। हिंदू और बौद्ध हिस्से भारत को दे दिए जाएं और मुस्लिम हिस्सा पाकिस्तान को जैसा कि हमने भारत के मामले में किया। कश्मीर के मुस्लिम भाग से हमारा कोई लेनादेना नहीं है। यह कश्मीर के मुसलमानों और पाकिस्तान का मामला है। वे जैसा चाहें, वैसा तय करें। या यदि आप चाहें तो इसे तीन भागों में बांट दें; युद्धविराम क्षेत्र, घाटी और जम्मू-लद्दाख का इलाका और जनमतसंग्रह केवल घाटी में कराएं। अभी जिस जनमतसंग्रह का प्रस्ताव है, उसको लेकर मेरी यही आशंका है कि यह चूंकि पूरे इलाके में होने की बात है, तो इससे कश्मीर के हिंदू और बौद्ध अपनी इच्छा के विरुद्ध पाकिस्तान में रहने को बाध्य हो जाएंगे और हमें वैसी ही समस्याओं का सामना करना पड़ेगा जैसा कि हम आज पूर्वी बंगाल में देख पा रहे हैं।’’