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दलित विरोधी हिंसा के खिलाफ माले का धरना-प्रदर्शन

दलित विरोधी हिंसा के खिलाफ माले का धरना प्रदर्शन

आज़मगढ़ 17 जून 2020,  दलितों पर हो रहे हिंसक हमलों एवं कानूनी कार्रवाईयों में पुलिस प्रशासन द्वारा संप्रदाय व जाति के आधार पर किए जा रहे भेदभाव के विरुद्ध भाकपा माले आजमगढ़ की जिला लीडिंग टीम के आह्वान पर आज जिले की छः तहसील क्षेत्रों के दर्जनों गांवों में धरना प्रदर्शन हुआ।

समूचे उतर प्रदेश और खास तौर पर जनपद आज़मगढ़ में दलितों पर सामंती अपराधी तत्वों द्वारा हिंसक हमले किए जा रहे हैं। पुलिस प्रशासन कार्रवाई करने की बजाय अपराधियों को संरक्षण ही देता दिख रहा है। आज़मगढ़ में ऐसे हमलों की बाढ़ सी आयी हुई है। दलितों पर हो रहे हमले एवं सांप्रदायिक-जातिवादी नजरिये से पक्षपातपूर्ण पुलिसिया कार्रवाईयों के विरुद्ध आज जिले भर में विरोध दिवस मनाया गया और शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए गांवों में धरने दिए गये।

उक्त कार्यक्रम के जरिये निम्नलिखित मांगे प्रस्तुत की गयी –
1. विगत दिनांक 1 जून को आज़मगढ़ के थाना गम्भीरपुर स्थित तियरी मनिराम की दलित बस्ती में घुसकर गिरोहबंद अपराधियों ने फायरिंग की। इतना लम्बा समय बीत जाने के बाद भी एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई। तत्काल एफआईआर दर्ज कर अपराधियों को गिरफ्तार किया जाय।
2. दिनांक 13 जून को गम्भीरपुर थाना क्षेत्र के ही ग्राम उबारपुर में मनरेगा का काम कर रहे दलित मजदूरों पर, जिसमें महिलाएं भी थीं, हमला किया गया। भाजपा के लालगंज जिलाध्यक्ष और उनके परिवार वालों ने गुंडों के साथ हमले को अंजाम दिया। रोड जाम के बाद एफआईआर तो हुआ किन्तु मुख्य आरोपी भाजपाध्यक्ष का नाम हटा दिया गया। हमारी मांग है कि भाजपाध्यक्ष का नाम शामिल करते हुए हमलावरों को गिरफ्तार किया जाय।
3. विगत दिनों ग्राम सिकंदरपुर अमिया थाना महराजगंज जनपद आजमगढ़ में दो पक्षों में विवाद व मारपीट हुई। चूंकि पक्षकार अलग अलग संप्रदाय के हैं, सांप्रदायिक ताकतें(राजनीतिक व प्रशासनिक) सक्रिय हो गईं। पहले मारपीट की घटना को छेड़खानी में बदला गया और फिर मारपीट जैसे मामले में गम्भीर धाराएं लगाकर जेल भेज दिया गया और अब रासुका के तहत कार्रवाई की तैयारी हो रही है। हमारा मानना है कि अपराध के अनुरूप ही कार्रवाई होनी चाहिए और जिले व प्रदेश में सभी घटनाओं के मामले में भेदभाव रहित नजरिया होना चाहिए। यहां उल्लेखनीय है कि आजमगढ़ में एक मामले में तेज एक्शन हुआ तो तियरी मनिराम एवं उबारपुर में अपराधियों को बचाने की कोशिश। हम सांप्रदायिक जातिवादी नजरिए से कानून व्यवस्था के भेदभावपूर्ण संचालन
की नीति को तत्काल बंद करने की मांग करते हैं।
4. सिकन्दरपुर अमिया प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराई जाय और गम्भीर मामले में फंसे निर्दोषों को रिहा किया जाय।
5. जिले में छोटी से छोटी घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देने की साजिशों पर रोक लगाई जाय।


धरना प्रदर्शन के अवसर पर माले नेता जयप्रकाश नारायण ने कहा, कि योगी सरकार पुर्वांचल को पश्चिमी यूपी की तरह दलित विरोधी हिंसा और सांप्रदायिक राजनीति की प्रयोगशाला में बदलने की कोशिश कर रही है। एक तरफ माफियाओं-अपराधियों द्वारा दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों पर हमले की खुली छूट तो दूसरी ओर अल्पसंख्यकों के विरुद्ध दलितों-पिछड़ों को सांप्रदायिक आधार पर गोलबंद करने की साजिश, पूरे यूपी खासकर आज़मगढ़ में शासन प्रशासन व सरकार की यही नीति बन गई है। उन्होंने कहा कि कि हम आज़मगढ़ को इन साजिशों का केन्द्र नहीं बनने दे सकते।

कार्यक्रम बूढ़नपुर,निजामाबाद, लालगंज, मेहनगर,सदर एवं सगड़ी तहसीलों के विभिन्न गांवों में हुआ।

जयप्रकाश नारायण के अलावा बृजेश नारायण, निधि राय, राजेन्द्र प्रसाद, रामजीत, हरिचरन, मंगल, विनोद, सुदर्शन, मैनू, बसंत अपने अपने गाँव में इस धरने में बैठे तथा तियरी और उबारपुर के ग्रामीण धरने पर बैठे।

(ओमप्रकाश सिंह,सदस्य राज्य स्टैंडिंग कमेटी
भाकपा(मालेे), उत्त्तर प्रदेेश द्वारा जारी)

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