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इजरायल के गाज़ा नरसंहार के खिलाफ लखनऊ में प्रदर्शन

लखनऊ , 12 जून । एडवा, एपवा , महिला फेडरेशन, जसम, इप्टा, साझी दुनिया, जलेस, नौजवान भारत सभा, अमिट, स्त्री महिला लीग आदि संगठनों के आह्वान पर महिलाओं, लेखकों , बुद्धिजीवियों, छात्र एवं युवाओं तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 12 जून को बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व में इजरायल द्वारा फिलीस्तीन के खिलाफ चलाए जा रहे नरसंहारक युद्ध के खिलाफ परिवर्तन चौक पर मानव श्रृंखला बनाकर विरोध प्रदर्शन किया और फिलीस्तीन की संघर्षशील जनता के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की ।

इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित करते हुए कहा गया कि 20 महीने से चले इस युद्ध में 50,000 से ज्यादा फिलीस्तीनियों की हत्या कर दी गई है जिसमें 60% महिलाएं और बच्चे हैं। उनके घरों , अस्पतालों, स्कूलों और फसलों को नेस्तनाबूद कर दिया गया है और उन्हें उनके होमलैंड से बाहर कर फिलीस्तीन की 70% ज़मीन पर यहूदी बस्तियों को बसाया जा रहा है। यह सब साम्राज्यवादी देशों के समर्थन से हो रहा है। अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का इस संबंध में एक बेशर्म और अमानवीय बयान आ चुका है जिसमें वह ग़जा़ के लोगों को बेघर कर उस जगह को अमीरों के पर्यटन के लिए विकसित करना चाहता है ।

इज़राइल ने दो महीने पहले घोषित युद्धविराम समझौते को तोड़ दिया है और फिलीस्तीन पर हमले तेज़ कर दिये हैं ।‌ एक जानकारी के अनुसार पिछले दो हफ्तों में इजरायली हमले में 320 बच्चों की निर्मम हत्या हो चुकी है और 600 बच्चे घायल हैं। पिछले 30 दिनों से रफ़ा बार्डर से जाने वाली सहायता सामग्री दवाई, पानी भोजन ईंधन की आपूर्ति की नाकाबंदी कर दी है। राहत सामग्री लेने वालों पर गोलियां चलाई जा रही हैं ।दो दिन पहले ही राहत सामग्री लेने ‌गये 18 लोगों को इजरायली सेना ने गोलियों से भून दिया है। भूख से तड़पते बच्चों की तस्वीरें पूरी दुनिया के संवेदनशील लोगों को आहत कर रहीं हैं और दुनिया के तमाम देशों के लाखों लोग फिलीस्तीन जनता की मुक्ति और उनके साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए के लिए सड़कों पर हैं।‌

एक जून को पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग 11 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ ग़जा़ के लिए राहत सामग्री लेकर इटली से एक जहाज “मेडलिना” लेकर निकलीं । इस अभियान का नाम ‘फ्रीडम फ्लोटिला’ दिया गया। किन्तु ग़जा पहुंचने से पहले ही इन 12 बहादुर निहत्थे लोगों को इजरायल ने गिरफ्तार कर लिया है। ग्रेटा थनबर्ग सहित चार लोगों को वापस भेज दिया गया और शेष 8 लोगों को डिटेंशन सेंटर में रखा गया है ।

हम सब बहुत अफ़सोस के साथ कहना चाहते हैं कि हमारी वर्तमान सरकार भारत के दीर्धकालिक अधिकारिक रुख से पीछे हटी है और अमरीका के साथ उसके द्वारा की जा रही साम्राज्यवादी क्रूरता के समर्थन में खड़ी हुई है जिसका मुख्य कारण केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा-संघ परिवार के साथ मिलकर ग़जा़ पर इजरायली हमले को एक धार्मिक युद्ध की तरह देख रही है ।‌ यहुदियों को समर्थन देने के पीछे धर्म से राष्ट्रीयता की पहचान करने और मुसलमानों से नफ़रत की सोच है जो बेहद निंदनीय है।

प्रस्ताव के द्वारा मांग की गई है कि भारत सरकार अपनी ऐतिहासिक भूमिका को याद रखते हुए फिलीस्तीनी जनता के संघर्षों में उसके साथ मज़बूती से खड़ी हो। ग़जा में राहत सामग्री ले जाने वाले कार्यकर्ताओं की अविलंब रिहाई हो। फिलीस्तीन की जनता के लिए जाने वाली राहत सामग्री दवाई, भोजन , पानी , ईंधन की सप्लाई पर नाकाबंदी तुरंत हटाई जाये।‌ तुरंत युद्धविराम हो और उसकी शर्तों को माना जाये। फिलीस्तीन की जनता को उसकी ज़मीन वापस दी जाये जिसकी सीमाएं 1967 से पहले वाली हों।

आज़ के प्रदर्शन में एडवा की मधु गर्ग, साझी दुनिया की रूपरेखा वर्मा, इप्टा के राकेश, जसम के कौशल किशोर, प्रलेस के शकील सिद्दीकी, महिला फेडरेशन की कांति मिश्रा, कात्यायनी, एपवा की मीना सिंह और कमल गौतम, भाकपा-माले के रमेश सिंह सिंगर, जसम के धर्मेंद्र कुमार, सईदा सायरा, फरजाना मेहंदी, शांतम निधि, सत्य प्रकाश चौधरी, बबीता सिंह, अरुंधती धुरु आदि सहित बड़ी संख्या में नागरिक समाज से जुड़े लोग शामिल हुए।

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