समकालीन जनमत
कविता

रहमान की कविताएँ प्रेम में बराबरी की पैरोकार हैं

मेहजबीं


“मेरे जीवन में तुम सरई का फूल हो।”

युवा कवि रहमान की अभिव्यक्ति के केन्द्र में प्रेम है। काव्य कला की बात करें उनकी कविता के संदर्भ में, तो सीधी-सादी भाषा में लिखी गई कविताएँ हैं, जिन्हें समझने के लिए व्याख्या की शब्दकोश की ज़रूरत नहीं बल्कि विशाल हृदय की आवश्यकता है।

जिसके हृदय में प्रेम नहीं भावनाएँ नहीं, वो न कविता लिख सकता है न समझ सकता है। कवि बनने के लिए भाषा पर पकड़, व्याकरण, रस, छंद, अलंकार, ज्ञान से पहले प्रेमी हृदय का व्यक्ति होना ज़रूरी है। असल में अपनी भावनाओं का आदान-प्रदान करने का सबसे सुंदर माध्यम कविता है।

कवि रहमान अपनी कविता में यही बता रहे हैं।

“मैं हिंदी का छात्र नहीं हूँ
लेकिन
मुझे हिंदी वर्णमाला के वे सारे अक्षर प्यारे लगते हैं
जिन्हें मिलाकर तुम्हारा नाम लिखा जाता है
तुम प्रेम ही नहीं
उसे बरतने की भाषा भी सिखाती हो।”

कवि रहमान अपनी रचनाओं में सुंदर भावनाओं का आदान-प्रदान करते हुए नज़र आते हैं। फूल, जंगल, पहाड़, प्रेम, प्रेमिका उनकी अभिव्यक्ति के केन्द्र में हैं।

“जो तुम्हारी उपस्थिति में सुने गए
वे सारे गीत
प्रेम-गीत बन गए हैं
वे सारी जगहें जहाँ हम साथ बैठते थे
पवित्र स्थलों में बदल गयी हैं !”

बिना प्रेम और भावना के कवि क्या लिखता? शायद शब्दकोश लिखता, जो ख़ालिस शब्द ज्ञान के लिए होता। मनुष्य के मन में जब तक किसी के लिए आकर्षण न हो, किसी से संवेदना करुणा के स्तर पर लगाव न हो, कभी उसके जीवन में विरह वेदना न आई हो, वो रिपोर्ट के सिवा कुछ नहीं लिख सकता। यहाँ तक एक मार्मिक ख़त भी नहीं लिख सकता।

कवि रहमान की कविताएँ सुंदर भावनाओं में डूबकी लगाने की तरह हैं। वो अपनी प्रेमिका को प्रकृति में महसूस करते हैं। वो प्रकृति के भी बहुत क़रीब हैं तभी अपनी प्रेमिका के व्यक्तित्व की उपमा सरई के जंगली फूल से करते हैं।

“जंगल में सरई के फूल होने भर से
जंगल खिल उठता है
मेरे जीवन में तुम सरई का फूल हो।”

कवि रहमान की कविता की जो नायिका है, वो आज़ाद है। कवि की कविता में प्रेमी है वो अपनी प्रेमिका को बाँध कर नहीं रखता। नायक प्रेमिका से प्रेम करता है और उसे प्रकृति में महसूस करता है। वो यह कल्पना नहीं करता कि उसकी प्रेमिका अपनी पहचान अपने अस्तित्व को भूलकर उसके रंग में रम जाए, उसकी तरह बन जाए। अपनी इच्छाओं को मारकर उसकी इच्छानुसार करती रहे सबकुछ। नायक अपनी प्रेमिका को कहता है।

“मैं तुम्हें बुलाता हूँ
इसलिए नहीं कि
मुझे तुमसे प्यार है
बल्कि इसलिये कि
मैं इतना प्यार सिर्फ तुमसे ही कर सकता हूँ
जब तुम मुझे ठहरने के लिए कह रही होगी
उस समय तुम मुझे नहीं
बल्कि प्रेम को ठहरा रही होगी
मैं तुम्हें प्रेम में पड़ने के लिए नहीं कह रहा
मेरी इतनी गुज़ारिश है कि
तुम प्रेम के साथ खड़ी रहो
मेरा प्रेम आज़ादी का एक रूप है
तुम्हें आज़ादी को अपने आस-पास रहने देना चाहिए।”

कवि रहमान का सद्य प्रकाशित काव्य-संग्रह ‘प्रेम के पोस्टकार्ड’  में बराबरी पर आधारित प्रेम का ख़्वाब ही नहीं इस ख़्वाब की ताबीर के लिए व्यवस्था परिवर्तन का संघर्ष भी इन कविताओं में मौजूद है। उनकी कविता में व्यवस्था की चर्चा होती है और अवसरवादी मनुष्य भी उनकी कविता में हैं। मनुष्य की विशेषता उसके मनुष्य रहने में ही है। मानवीय व्यवहार संवेदनशील जिम्मेदार, निष्पक्ष, न्यायपूर्ण रहने में ही मनुष्यता है। वर्तमान समय में पूंजीपति वर्ग क्या, राजनीतिज्ञ क्या, आमतौर पर अधिकांश लोग भी सब व्यक्तिगत लाभ और अवसरवाद के प्रभाव में हैं। जब किसी का शोषण किया जाता है यही लोग चुपचाप देखते हैं, कोई किसी की मदद नहीं करता बल्कि मौक़े का फ़ायदा उठाकर लोग आगे बढ़ जाते हैं। यह आपदा में अवसर तलाशने का दौर है। जिस पर तीखी टिप्पणियाँ भी इन कविताओं का मजमून है।

“आदमी को आदमी के द्वारा लहूलुहान किये जान पर
एक तीसरे आदमी की मुस्कान से गिद्ध शर्मिंदा है
मैं उस तीसरे आदमी को
आदमी कहने के लिए माफ़ी चाहता हूँ।”

कवि रहमान को विस्तार से जानने के लिए उनकी कविताओं को पढ़ना होगा, तभी कवि की गहरी अभिव्यक्ति को समझ सकते हैं। रंगमंच से जुड़े, भावनात्मक व्यक्तिव के मालिक, प्रेम, करुणा से जुड़े कवि की कविताएँ आप सब भी पढ़िए।

 

रहमान की कविताएँ

1. साहस के तीन काम

अपने अब तक के जीवन में
मैंने मूलतः तीन साहस के काम किये

तुमसे प्रेम किया
तुमसे कह पाया
और तुम्हें जाने दिया

मैं अपने साहस पर आज तक अचंभित हूँ।

2. प्रेम की उपस्थिति

जो तुम्हारी उपस्थिति में सुने गए
वे सारे गीत
प्रेम-गीत बन गए हैं

वे सारी जगहें
जहाँ हम साथ बैठते थे
पवित्र स्थलों में बदल गयी हैं

जिन सड़कों पे हाथों में हाथ डाल हम चले
वे आबाद हैं
लंबे अरसे के लिए

मैं तुम्हारे साथ जहाँ भी गया
वहाँ एक फूल उग आया है
जिसकी जड़ें हमारे प्रेम में हैं।

3. आँखों की सुंदरता

संसार की दो आँखें सबसे सुंदर हैं
एक तुम्हारी आँखें
एक मेरी
उसने लजाते हुए कहा

मैंने अपनी मुस्कान दबाते हुए पूछा – वो कैसे ?

उसने कहा
मेरी आँखों में तुम रहते हो
तुम्हारी आँखों में मेरा बसेरा है

आँखों की सुंदरता किसी के लिए घर हो जाने में ही है।

4. तुम सरई का फूल हो

वीरान जंगल में
एक रोज़ बारिश होगी
बसंत भी आएगा
सरई के फूल खिलेंगे

उस दिन लोग उसे
वीरान जंगल नहीं
फूलों की ज़मीन कहेंगे

जंगल में सरई के फूल होने भर से
जंगल खिल उठता है

मेरी जीवन में तुम सरई का फूल हो।

5. आज़ादी पर प्रश्नचिन्ह

ये सृष्टि ईश्वर की एक अद्भुत रचना है
उसने जिसको भी बनाया उसे पूर्ण आज़ादी दी

पेड़ अपने मन से उगे
नदी अपनी इच्छा से बही
परिंदे उन्मुक्तता से उड़ते रहे
हवाएँ अपनी दिशा खुद तय करती रहीं

पर मनुष्यों का दखल
सबकी आज़ादी पर प्रश्नचिन्ह बन गया
ईश्वर की भी।

6. तीसरा आदमी

एक आदमी
दूसरे आदमी पर हमला बोलता है
तीसरा दूर खड़ा देखता है

पहला और दूसरा दोनों लहूलुहान हैं
तीसरे के मुँह पर चौड़ी मुस्कान है

ये सब देखकर छत की मुंडेर पे बैठा गिद्ध
उड़ गया

आदमी को आदमी के द्वारा लहूलुहान किये जान पर
एक तीसरे आदमी की मुस्कान से गिद्ध शर्मिंदा है

मैं उस तीसरे आदमी को
आदमी कहने के लिए माफ़ी चाहता हूँ।

7. पिता जादूगर होते हैं

उनकी ऊँगलियाँ भरोसे की लाठी हैं
जिनके विश्वास पर हम पहली बार चलते हैं

उनका कंधा सबसे सुरक्षित ऊँचाई है
जहाँ से आसमान बस चार अंगुल जितनी दूरी पर लगता है

हम सब इसी ऊँचाई पर बैठकर
एक नयी दुनिया से मिलते हैं

पिता जादूगर होते हैं
जिनके पास हमारी तमाम समस्याओं का हल है

यकीन पिता की ऊँगलियों में है
संघर्ष उनके हाथों में
कभी टटोलना उन हाथों को
जिनमें समय से लड़ते हुए
ढेरों निशान आते हैं

हथेली थोड़ी-थोड़ी कम होती है
निशान थोड़े-थोड़े बढ़ जाते हैं।

8. प्रेम व्याकरण

मैं हिंदी का छात्र नहीं हूँ
लेकिन
मुझे हिंदी वर्णमाला के वे सारे अक्षर प्यारे लगते हैं
जिन्हें मिलाकर तुम्हारा नाम लिखा जाता है

तुम प्रेम ही नहीं
उसे बरतने की भाषा भी सिखाती हो।

9. मेरा प्रेम आज़ादी का एक रूप है

मैं तुम्हें बुलाता हूँ
इसलिए नहीं कि
मुझे तुमसे प्यार है
बल्कि इसलिये कि
मैं इतना प्यार सिर्फ तुमसे ही कर सकता हूँ

जब तुम मुझे ठहरने के लिए कह रही होगी
उस समय तुम मुझे नहीं
बल्कि प्रेम को ठहरा रही होगी

मैं तुम्हें प्रेम में पड़ने के लिए नहीं कह रहा
मेरी इतनी गुज़ारिश है कि
तुम प्रेम के साथ खड़ी रहो

मेरा प्रेम आज़ादी का एक रूप है
तुम्हें आज़ादी को अपने आस-पास रहने देना चाहिए।

10. तुम्हारा स्पर्श मेरे लिए काव्य है

तुम मुझे अच्छी लगती हो
और तुम्हारी निकटता अर्थपूर्ण

मैं जब भी तुम्हारे आस-पास होता हूँ
शब्द उतरते हैं
जैसे उतरता है दूध माँ के स्तनों में
शिशु के स्पर्श से

तुम्हारा स्पर्श मेरे लिए काव्य है।

11. तुम मेरा ध्रुव तारा हो

कविताएँ पढ़ती हुई लड़कियाँ
हल्के नीले आसमान-सी लगती हैं
जिनके भीतर कविताएँ फूटती हैं
वो आसमान में चमकते सितारे-सी
और जिन लड़कियों के लिए
लिखी जाती हैं कविताएँ
वो ध्रुव तारे की तरह होती हैं

तुम मेरा ध्रुव तारा हो।

12. प्रेम में डूबी स्त्री का मन

दुनिया के तमाम खूबसूरत और सुगंधित फूलों को
एकत्र कर कहूँगा
तुम्हारी महक में वो बात नहीं

सारी चिड़ियों को ख़बर भिजवा दूँगा कि
तुम उसकी तरह नहीं चहक सकते

पहाड़ की आँखों में आँखे डाल कहूँगा कि
तुमसे भी ऊँचा और मजबूत है कोई

नदियों, झरनों और तालाबों को बताया जायेगा कि
वो तुमसे अधिक गतिशील है

फूलों, चिड़ियों, पहाड़ों और नदियों से जो आगे है
प्रेम में डूबी स्त्री का मन है।


कवि रहमान, जन्म 6 जून, 1999, बेगूसराय, बिहार। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा से जन्तु विज्ञान में स्नातक। रंगमंच के प्रति समर्पित। बेगूसराय के ‘रंगमंडल’ नाट्य संस्था से सम्बद्ध।

 रहमान ने ‘गिद्ध’, ‘कथा’, ‘जल डमरू बाजे’, ‘मधुशाला’, ‘स्टेटमेंट ए डिवाइस प्ले’, ‘शहर हमारा अपराध नगर हो गया’, ‘ड्रीम्स ऑफ़ गांधी’ आदि नाटकों में प्रभावशाली काम किया है। ‘प्रेम के पोस्टकार्ड’ रहमान की कविताओं का पहला संग्रह है।

संपर्क :

rahmanraja0786@gmail.com

 

टिप्पणीकार मेहजबीं, जन्म 16/12/1981. पैदाइश, परवरिश और रिहाइश दिल्ली में पिता सहारनपुर उत्तरप्रदेश से हैं माँ बिहार के दरभंगा से। ग्रेजुएट हिन्दी ऑनर्स और पोस्ट ग्रेजुएट दिल्ली विश्वविद्यालय से, पत्रकारिता की पढ़ाई जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय

व्यवसाय: सेल्फ टीचिंग हिन्दी उर्दू अर्बी इंग्लिश लेंग्वेज

स्वतंत्र लेखन : नज्म, कविता, संस्मरण, संस्मरणात्मक कहानी,फिल्म समीक्षा, लेख

सम्पर्क: 88020 80227

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