16 जून 2022, प्रयागराज
आज पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार पत्थर गिरजा, सिविल लाइंस में इलाहाबाद नागरिक समाज के बैनर तले शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक तरीके से प्रतिरोध धरना किया गया,
धरने में शहर के कई बुद्धिजीवी, प्रोफेसर, ट्रेड यूनियन लीडर्स, साहित्यकार, अधिवक्ता, छात्र नौजवान और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए, धरने को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की बुलडोजर नीति भारतीय संविधान और भारतीय न्याय प्रणाली को समाप्त करने की नीति है, बुलडोजर नीति से आम नागरिकों में भय का वातावरण बन रहा है, जिससे लोगों के अंदर कानून के राज से प्रति विश्वास कमजोर होगा और पूरे भारतीय समाज में अराजकता का माहौल बनेगा, इसलिए यदि कोई व्यक्ति कानून का उल्लंघन करता है तो उसके ऊपर कार्यवाही भी पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत ही होनी चाहिए, न कि बुलडोजर नीति से उसके घर को जमीदोज करके ।
वक्ताओं ने कहा कि इलाहाबाद में 10 जून को शासन प्रसाशन की लापरवाही से जो हिंसक घटना हुई वो ग़लत है, लेकिन उपरोक्त घटना के नाम पर उत्तर प्रदेश सरकार की एकतरफा पुलिसिया उत्पीड़न की कार्रवाई भी उतनी ही ग़लत है। नागरिक समाज ने शहर में नागरिकों से अमन चैन और शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने की अपील की और बिना किसी ठोस सबूत के जावेद मोहमद को मास्टरमाइंड बताना और उनकी पत्नी परवीन फातिमा के घर को कोई भी कानूनी प्रक्रिया पूरी किए वग़ैर बुलडोजर से जमीदोज करना और 30 घन्टे से अधिक समय तक थाने में बैठाए रहना सरासर ग़लत है ।
अंत में इलाहाबाद नागरिक समाज की तरफ़ से महामहिम राष्ट्रपति, भारत सरकार को संबोधित विभिन्न मांगों का ज्ञापन द्वारा इलाहाबाद एसीएम 2 को सौंपा गया ।
इस धरने की मुख्य मांगें थीं कि 10 जून 2022 को दोपहर में इलाहाबाद अटाला क्षेत्र में हुई हिंसक घटना की निष्पक्ष न्यायिक जांच कराई जाय, परवीन फातिमा पत्नी जावेद मोहम्मद के अवैध ढंग से गिराए गए मकान के पुनर्निर्माण का आदेश देते हुए पांच करोड़ रुपए का मुवावजा दिलाया जाय, अवैध ढंग से परवीन फातिमा का मकान गिराए जाने के लिए जिम्मेदार प्रयागराज विकास प्राधिकरण के दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त दण्डात्मक कार्यवाही की जाए.
10 जून 2022 की घटना में विभिन्न मुकदमे में झूठे फंसाये गए सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. आशीष मित्तल, शाह आलम, जीशान रहमानी, उमर खालिद, इत्यादि निर्दोष नागरिकों का उत्पीड़न बंद किया जाय और झूठे मुकदमे तत्काल वापस लिया जाएं ।
धरने में मुख्य रूप से समकालीन जनमत के प्रधान संपादक राम जी राय, प्रो सुधांशु मालवीय, आनन्द मालवीय, हरीश चंद्र द्विवेदी, प्रो. बल्लभ, अधिवक्ता के के राय, राम सिंह, अविनाश मिश्रा, अधिवक्ता मंच संयोजक राजवेंद्र सिंह, एम सईद, स्मृति कार्तिकेय, प्रबल प्रताप, नौशाद खां, शहनाज़, राजीव कुमार, सबीहा मोहानी, सरताज़ सिद्दक़ी, कसान सिद्दक़ी, धर्मेंद्र सिंह, श्याम जी बौद्ध, मो. आज़म, शादाब, सतेंद्र आज़ाद, नितेश, विमल कुमार, राजकुमार, सुरेंद्र कुमार, राम तीरथ, भीमलाल, सुरेश निषाद, संतराम, आबिदा खातून, नदीम खान, देवेंद्र आज़ाद, देवानंद, अमरीष, राजू, विनोद तिवारी, प्रो बसंत त्रिपाठी, सीमा आज़ाद, अनिल वर्मा, अंशु मालवीय, विश्व विजय, सुनील मौर्य, विवेक सुल्तानवी, नीरज, ज़ोया आफरीन, महाप्रसाद, आशुतोष तिवारी, किरण मिश्रा, सतेंद्र सिंह, मनीष सिन्हा इत्यादि लोग धरने में शामिल रहे, धरने की अध्यक्षता पीयूसीएल के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता इलाहाबाद हाईकोर्ट रवि किरण जैन ने और संचालन डॉ. कमल उसरी ने किया ।
इलाहाबाद नागरिक समाज द्वारा जारी