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संविधान पर बुलडोजर नहीं सहेंगे

बुलडोजर को रोकेंगे,

संघर्ष करेंगे जीतेंगे

बलिया के निर्दोष पत्रकारों को रिहा करो, सांप्रदायिक हिंसा पर रोक लगाओ जैसे नारों के साथ आज इलाहाबाद के नागरिक समाज ने मार्च निकालकर अपना प्रतिरोध दर्ज किया. यह मार्च भाजपा की केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा जिस प्रकार से देश में मुस्लिम,दलितों तथा महिलाओं के खिलाफ दमन चक्र चलाया जा रहा है और उनके घरों और दुकानों को उजाड़ा जा रहा है उसके खिलाफ पूरा देश आक्रोशित है.

सांप्रदायिक ताकतों को खुलकर समर्थन देते हुए केंद्र और भाजपा की राज्य सरकारें संविधान और धर्मनिरपेक्ष प्रजातंत्र का खुल्लमखुल्ला मजाक बना रही है.

खरगोन तथा जहांगीरपुरी में आर एस एस -भाजपा के लंपट तत्वों के द्वारा जिस प्रकार से मुसलमानों के घरों और दुकानों को उजाड़ा जा रहा है उससे देश में सांप्रदायिक सौहार्द का ताना-बाना छिन्न-भिन्न होता जा रहा है. देश की आर्थिक स्थितियां जैसे बेरोजगारी- महंगाई, सार्वजनिक क्षेत्रों को देशी -विदेशी पूँजीजीपतियों को औने -पौने दामों पर सौंपना, श्रम कानूनों के स्थान पर चार श्रम संहिताओं को लागू करके श्रमिकों के प्रजातांत्रिक अधिकारों का गला घोटने जैसा काम यह सरकार कर रही है. देश में अमन चैन और आर्थिक गतिविधियां कायम रहे, इसके लिए नागरिक समाज इलाहाबाद ने आज दिनांक 21 अप्रैल को एक प्रतिरोध मार्च नेताजी सुभाष चौराहे पर आयोजित किया. इसके बाद इन्हीं समस्याओं को लेकर जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भी दिया गया.

ज्ञापन लेने आए जिलाधिकारी के प्रतिनिधि द्वारा यह कहने पर कि बिना अनुमति आपलोगों ने कैसे चौराहे पर मार्च निकाला. इस पर थोड़ी कहासुनी भी हुई. लोगों ने कहा कि प्रशासन हफ्तों शांतिपूर्ण सभाओं के लिए भी अनुमति नहीं देता जबकि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध उसे बुलडोजर चलाने में कोई दिक्कत नहीं होती. प्रतिरोध मार्च का नेतृत्व वरिष्ठ अधिवक्ता तथा पीयूसीएल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि किरण जैन, वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता हरिश्चंद्र द्विवेदी, नसीम अंसारी, डॉ आशीष मित्तल ,रवि शंकर मिश्र, अनिल वर्मा, प्रगतिशील लेखक संघ से आनंद मालवीय,जनमत पत्रिका के संपादक के के पांडेय,पदमा सिंह , मनीष सिन्हा, अविनाश कुमार मिश्र, गायत्री गांगुली ने किया. मार्च में अन्नू सिंह कवि तथा समाजसेवी अंशु मालवीय, प्रोफेसर सुधांशु मालवीय,रश्मि मालवीय , दस्तक पत्रिका की संपादक सीमा आजाद, विश्व विजय, सुनील मौर्या, आइसा से शैलेश पासवान, मनीष, जोया, दिशा छात्र संगठन से अविनाश, शीबा, अखिल विकल्प , अखिल भारतीय खेत मजदूर सभा से भीम लाल, सुरेश निषाद, राजकुमार,समेत सैकड़ों की संख्या में नागरिक उपस्थित रहे. लेकिन यह दुखद है कि मुख्यधारा कहे जाने वाले प्रिंट अथवा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के पत्रकारों में से मार्च में अपने समानधर्मा कर्मियों पर हो रही गलत कार्यवाहियों के खिलाफ कोई भी शामिल नहीं हुआ.

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