खतौली (मुज़फ्फरनगर). रिहाई मंच के एक प्रतिनिधि मंडल ने मुज़फ्फरनगर का तीन दिवसीय दौरा किया. प्रतिनिधि मंडल ने दो अप्रैल भारत बंद के दौरान गिरफ्तार किये गए रासुका में निरुद्ध उपकार बावरा, अर्जुन, विकास मेडियन और पुरबालियान में शमशेर, महबूब, आफताब और यामीन के परिजनों से मुलाक़ात की.
प्रतिनिधि मंडल के सदस्य राजीव यादव, आशू चौधरी, रविश आलम, ज़ाकिर अली त्यागी और अबुज़र चौधरी ने मुज़फ्फरनगर में रासुका के तहत निरूद्ध किये गए लोगों से जेल में भी मुलाकात की.
बाद में पत्रकार वार्ता में रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा कि मुज़फ्फरनगर में रासुका और एनकाउंटर के नाम पर जिस तरह से दलित और मुस्लिम को निशाना बनाया गया वह योगी सरकार के मनुवादी हमले को उजागर करता है. एक तरफ 2013 की साम्प्रदायिक हिंसा जिसके आरोपी भाजपा विधायक और सांसद तक हैं इनके मामलों को वापस लिया जा रहा है वहीं छोटे-छोटे मामलों को तूल देकर वंचित समाज पर फर्जी मुकदमे लादे जा रहे हैं. जिनमें गाय के नाम पर खतौली में नाबालिग बच्चियों और महिलाओं की गिरफ्तारी प्रमुख है.
उन्होंने देवबंद से हुई गिरफ्तारियों पर कहा कि सरकार मुस्लिम बाहुल्य इलाकों को बदनाम करती है उसके बाद उसकी भयावाह तस्वीर पेश कर साम्प्रदायिक धुर्वीकरण की राजनीति करती है. इसी राजनीति के तहत देवबंद से कश्मीर, आज़मगढ़, जौनपुर, उड़ीसा के छात्रों को उठाया गया और सवाल उठने के बाद दो कश्मीरी युवकों पर मुकदमा लाद शेष को छोड़ दिया गया. ठीक इसी तरह से एएमयू के छात्रों पर देशद्रोह का झूठा मुकदमा दर्ज किया.
भारत बंद के दौरान शहीद हुए अमरेश के पिता सुरेश कुमार ने कहा कि मेरा बेटा पुलिस की गोली का शिकार हुआ था पर उसका मुकदमा अज्ञात में लिखा गया. इस मामले को लेकर हाईकोर्ट गए. लेकिन पुनः जांच के आदेश के बाद भी दोषियों को पुलिस ने बचाया क्योंकि असली मुजरिम खुद पुलिस है. मेरे ऊपर दबाव बनाया गया कि मैं किसी मुसलमान का नाम ले लूं तो मुझे मुआवजा मिल जाएगा लेकिन मैंने ठुकरा दिया क्योंकि मुझे इंसाफ चाहिए.
रासुका में निरूद्ध विकास मेडियन के पिता डॉ राकेश भी पत्रकारवार्ता मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि जब मेरे बेटे को छह केसों में जमानत मिल गयी तो पुलिस ने उस पर रासुका लगा दिया. उन्होंने सवाल किया कि रासुका लगाकर कहा जा रहा है कि उसके बाहर आने से समाज में डर-दहशत का माहौल बनेगा. अगर ऐसा कुछ था तो कोर्ट में पुलिस को बोलना चाहिए था और ऐसा कुछ होता तो उसे जमानत ही नहीं मिलती. पुलिस ने रासुका को हथियार बनाया जिसका शिकार मेरा बेटा और परिवार हुए.
प्रतिनिधि मंडल के रविश आलम और आशू चौधरी ने बताया कि 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान रासुका में निरूद्ध उपकार जिनको पिछले दिनों जेल में ब्रेन स्ट्रोक आया था उनके पिता अतर सिंह और माता रूपेश देवी से मुलाकात की. उपकार की हालत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है जिसके लिए जिला प्रशासन और योगी सरकार ज़िम्मेदार है. अर्जुन के पिता पूरण सिंह, मां धनवती देवी, भाई बबलू और विकास मेडियन के पिता ने भी बताया कि उनके बच्चों को किस तरह से फंसाया गया और अब जेल में सड़ाया जा रहा है. पुरबालियान में खेल-खेल में बच्चों के बीच हुए विवाद के बाद रासुका में निरुद्ध आफ़ताब के चचेरे भाई नूर मोहम्मद और ताऊ मेहरबान समेत शमशेर, महबूब और यामीन के परिजनों और पुरबालियान के ग्राम वासियों से प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात की. जिन्होंने ने बताया कि पुलिस ने एक तरफा कार्रवाई करते हुए बच्चों और महिलाओं तक को उत्पीड़ित किया.
प्रतिनिधिमंडल के सदस्य ज़ाकिर अली त्यागी और अबूजर चौधरी ने कहा कि कैराना पलायन मामले को लेकर फुरकान को मुठभेड़ में पुलिस ने पैर में गोली मारकर पकड़ने का दावा किया था. कल जेल में उसने बोला था कि कल उसकी रिहाई है और पुलिस उसे उठाने की फिराक में है और आज सूचना आ रही है कि सुबह छूटने के बाद उसे कैराना पुलिस उठा ले गई है.
इंजीनियर उस्मान ने कहा कि रिहाई मंच का यह दौरा काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि ह्यूमन राइट्स वाच जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने मोदी राज में गाय के नाम पर 44 अल्पसंख्यको की हत्या पर चिंता जाहिर की है वंही कुछ ही दिनों पहले यूएन ने योगी राज में मुज़फ्फरनगर के 16 पुलिसिया एनकाउंटर समेत यूपी में हुए एनकाउंटर पर भी सवाल उठाया है. यूएस कमेटी आन इंटरनेशनल रिलिजन फ्रीडम ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जबसे मोदी सरकार सत्ता में आयी है अल्पसंख्यको का जीवन असुरक्षित हुआ है वंही रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि मुज़फ्फरनगर और सहारनपुर के पीड़ितों को अभी तक इंसाफ नही मिला है. उन्होंने कहा कि रिहाई मंच ने मुज़फ्फरनगर में दलितों और मुसलमानों के उत्पीडन की जो भयावह तस्वीर पेश की है वह चिंताजनक ही नहीं मानवता को भी शर्मसार करने वाली है. उन्होंने मांग की है कि उपकार बावरा जिनकी जेल में हालात काफी खराब है समेत रासुका में निरूद्ध सभी को तत्काल रिहा किया जाए।
पत्रकार वार्ता में अरशद सिद्दीकी, क़ाज़ी फसीह अख्तर, फैसल ज़मीर, अफाक़ पठान, सलीम मालिक, राजकुमार, आदि लोग मौजूद रहे.