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सहरा करीमी जैसी तमाम आवाजों के साथ खड़े होने की जरूरत : प्रतिरोध का सिनेमा

हमें अफ़ग़ान महिलाओं, बच्चों, कलाकारों और फ़िल्म निर्माताओं की ओर से आपके समर्थन और आवाज़ की ज़रूरत है। यह सबसे बड़ी मदद है, जिसकी हमें अभी ज़रूरत है। कृपया हमारी मदद करें। इस दुनिया को अफ़ग़ानों को छोड़ने न दें। कृपया काबुल में तालिबान के सत्ता में आने से पहले हमारी मदद करें। हमारे पास केवल कुछ दिन हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद।

सहरा करीमी के ख़त से ये शब्द तब के है जब तालिबान, अफगानिस्तान की राजधानी काबुल की सीमा में दाखिल नहीं हुआ था। परिस्थिति अब पूरी तरह से बदल चुकी है, काबुल से इंटरनेट और दुनियाभर की मीडिया एजेंसियों के माध्यम से जो खबरें आ रही है वो बहुत भयावह है। दो दशक से अमरीकी एजेंडा अफगानिस्तान के आतंरिक मामलों में सर से पैरों तक घुसा हुआ था और अंत में वियतनाम को दोहराते हुए युद्ध में मारे गए सिपाहियों और बेकसूर नागरिकों की अनगिनत संख्या के सिवाय कुछ नहीं हासिल कर सका। अब जब बर्बरता अपने चरम पर है तब वे सभी विकसित देश, यूनाइटेड नेशन, अंतर्राष्ट्रीय सरकारी न्यूज़ एजेंसिया सिर्फ तस्वीरों/विडियो को साझा कर अपने भविष्य को युद्ध के उपरांत की दशा में सवारने के लिए जुट गये हैं।

यहाँ जरुरत सिर्फ अफगानी नागरिकों से संपर्क बनाये रखने की और किसी भी अन्य देश, संगठन के निजी एजेंडा को सेट न होने देने की है। हम पहले ही अनगिनत घटनाओं को देख चुके है; बेशकीमती बच्चो, औरतों, इस दुनिया के मजदूरों और अपने कलाकार साथियों को खो चुके हैं।

सहरा जैसी तमाम उन आवाज़ को सुनिए-साझा कीजिये और इन सभी अफगानों को ये दुनिया छोड़ने न दे। प्रतिरोध का सिनेमा अभियान उन सभी आवाजों के साथ खड़ा है जो अफगानिस्तान, भारत और उन तमाम देशों से आ रही है जहाँ लोग अपने अस्तित्व की लड़ाई इस दुनिया की सबसे मजबूत ताकतों से कर रही है। इस बयान में हमारे साथ शामिल हों और एक-दूसरे की आवाज़ बनें ।

जिंदाबाद

अफ़ग़ानिस्तान की फ़िल्म निर्देशक सहरा करीमी का ख़त 

मेरा नाम सहरा करीमी है और मैं एक फ़िल्म निर्देशक हूं। साथ ही अफ़ग़ान फिल्म की वर्तमान महानिदेशक हूं, जो 1968 में स्थापित एकमात्र सरकारी स्वामित्व वाली फ़िल्म कंपनी है।

मैं इसे टूटे दिल के साथ लिख रही हूं और इस गहरी उम्मीद के साथ कि आप मेरे ख़ूबसूरत लोगों को, ख़ासकर फ़िल्ममेकर्स को तालिबान से बचाने में शामिल होंगे। तालिबान ने पिछले कुछ हफ़्तों में कई प्रांतों पर कब्ज़ा कर लिया है। उन्होंने हमारे लोगों का नरसंहार किया। कई बच्चों का अपहरण किया। कई लड़कियों को चाइल्ड ब्राइड के रूप में अपने आदमियों को बेच दिया। उन्होंने एक महिला की हत्या उसकी पोशाक के लिए की। उन्होंने हमारे पसंदीदा हास्य कलाकारों में से एक को प्रताड़ित किया और मार डाला। उन्होंने एक ऐतिहासिक कवि को मार डाला। उन्होंने सरकार के कल्चर और मीडिया हेड को मार डाला। उन्होंने सरकार से जुड़े लोगों को मार डाला। उन्होंने कुछ आदमियों को सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका दिया। उन्होंने लाखों परिवारों को विस्थापित कर दिया।

इन प्रांतों से भागने के बाद, परिवार काबुल में शिविरों में हैं, जहां वे बदहाली की स्थिति में हैं। वहां इन शिविरों में लूटपाट हो रही है। दूध के अभाव में बच्चों की मौत हो रही है। यह एक मानवीय संकट है। फिर भी दुनिया ख़ामोश है।

हमें इस चुप्पी की आदत है, लेकिन हम जानते हैं कि यह उचित नहीं है। हम जानते हैं कि हमारे लोगों को छोड़ने का यह फ़ैसला ग़लत है। 20 साल में हमने जो हासिल किया है, वह अब सब बर्बाद हो रहा है। हमें आपकी आवाज़ की ज़रूरत है।

मैंने अपने देश में एक फ़िल्म निर्माता के रूप में जिस चीज़ के लिए इतनी मेहनत की है, उसके टूटने की संभावना है। यदि तालिबान सत्ता संभालता है, तो वे सभी कलाओं पर प्रतिबंध लगा देंगे। मैं और अन्य फ़िल्म निर्माता उनकी हिट लिस्ट में अगले हो सकते हैं।

वे महिलाओं के अधिकारों का हनन करेंगे और हमारी अभिव्यक्ति को मौन में दबा दिया जाएगा। जब तालिबान सत्ता में था, तब स्कूल जाने वाली लड़कियों की संख्या शून्य थी। तब से, स्कूल में 9 मिलियन से अधिक अफ़ग़ान लड़कियां हैं। तालिबान द्वारा जीते गये तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात में इसके विश्वविद्यालय में 50% महिलाएं थीं। ये अविश्वसनीय उपलब्धियां हैं, जिन्हें दुनिया नहीं जानती। इन कुछ हफ़्तों में तालिबान ने कई स्कूलों को तबाह कर दिया है और 20 लाख लड़कियों को फिर से स्कूल से निकाल दिया है।

मैं इस दुनिया को नहीं समझती। मैं इस चुप्पी को नहीं समझती। मैं खड़ी हो जाऊंगी और अपने देश के लिए लड़ूंगी, लेकिन मैं इसे अकेले नहीं कर सकती। मुझे आप जैसे सहयोगी चाहिए। हमारे साथ क्या हो रहा है, इस पर ध्यान देने में इस दुनिया की मदद करें। अपने देशों के प्रमुख मीडिया को अफ़ग़ानिस्तान में क्या हो रहा है, यह बता कर हमारी मदद करें। अफ़ग़ानिस्तान के बाहर हमारी आवाज़ बनें। यदि तालिबान काबुल पर कब्ज़ा कर लेता है, तो हमारे पास इंटरनेट या संचार के किसी अन्य माध्यम तक पहुंच नहीं हो सकती है।

कृपया अपने फ़िल्म निर्माताओं और कलाकारों को हमारी आवाज़ के रूप में समर्थन दें। इस तथ्य को अपने मीडिया के साथ साझा करें और अपने सोशल मीडिया पर हमारे बारे में लिखें। दुनिया हमारी ओर नहीं देखती है।

हमें अफ़ग़ान महिलाओं, बच्चों, कलाकारों और फ़िल्म निर्माताओं की ओर से आपके समर्थन और आवाज़ की ज़रूरत है। यह सबसे बड़ी मदद है, जिसकी हमें अभी ज़रूरत है। कृपया हमारी मदद करें। इस दुनिया को अफ़ग़ानों को छोड़ने न दें।

कृपया काबुल में तालिबान के सत्ता में आने से पहले हमारी मदद करें। हमारे पास केवल कुछ दिन हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद।

(हिंदी अनुवाद अविनाश दास की फेसबुक वाल से साभार)

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