नई दिल्ली।अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने आज दिल्ली के प्रेस क्लब में किसान आंदोलन के अगले संघर्ष और अभियान की घोषणा की। इसके तहत दो अक्टूबर को संसद में कृषि कानूनों का विरोध नहीं करने वाले नेताओं और जनप्रतिनिधियों का “सामाजिक बहिष्कार” किया जाएगा। इसी दिन से लगातार आंदोलन होगा और 26-27 नवम्बर को लाखों किसान दिल्ली कूच करेंगे।
प्रेस वार्ता को समन्वय समिति के राष्ट्रीय संयोजक वीएम सिंह, स्वराज अभियान के संयोजक योगेंद्र यादव, अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव हन्नान मौलाह, अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा और अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन के राष्ट्री महासचिव सत्यवान ने संबोधित किया।
कृषि संबंधी तीनों काले कानूनों के खिलाफ 25 सितम्बर को सफल अखिल भारतीय प्रतिवाद दिवस/ भारत बंद मनाने के बाद, जो अनेक राज्यों में बंद का रूप ले लिया तथा चक्काजाम, रेल रोको का कार्यक्रम भी अनेकों स्थानो पर लागू हुआ. पंजाब में रेल बंद अभी भी चालू है.
28 सितम्बर को शहीद भगत सिंह के जन्मदिवस पर दसियों हजार स्थानों पर किसान आंदोलन को मांगों की पूर्ति तक आंदोलन चलाने का संकल्प लिया गया. कर्नाटक राज्य में 28 सितम्बर को 3 कृषि कानूनों और 4 श्रम कोडों के खिलाफ सम्पूर्ण बन्द रहा। इन कार्यक्रमों में किसानों की व्यापक भागीदारी हुई।
अ.भा. किसान संघर्ष समन्वय समिति ने आम किसानों का और संबद्ध संगठनों के कार्यकर्ताओं का अभिनंदन किया है और अनेक राज्यों में तथा स्थानीय तौर से इन काले कानूनों के खिलाफ जो बंद, चक्का जाम, प्रदर्शन एवं विरोध की कार्वाईयां चल रही है, उनका समर्थन करते हुए अ. भा. किसान संघर्ष समन्वय समिति ने निम्नलिखित अगले कार्यक्रमों की घोषणा की है।
दो अक्टूबर को भारत के किसान यह संकल्प लेंगे कि हम उन राजनीतिक नेताओं और जनप्रतिनिधियों का “सामाजिक बहिष्कार” करेंगे जिनकी पार्टियों ने इन काले कृषि कानूनों का संसद में विरोध नहीं किया है। उस दिन सभी गांवो में किसानों एवं अन्य पीड़ित वर्गों की बैठक कर केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए किसान विरोधी काले कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करेंगे।
14 अक्टूबर को देश भर की मंडियों, तहसीलों में किसान पहुंचेंगे। उस दिन को “एमएसपी अधिकार दिवस” के रूप में मनाया जायेगा जहाँ केन्द्र सरकार के इस झूठे प्रचार का भंडाफोड़ किया जायेगा कि वह डा. स्वामीनाथन कमिशन के आधार पर निम्नतम समर्थन मूल्य दे रही है.
इन काले कानूनों के खिलाफ आंदोलन और अभियान चलाते हुए अ. भा. किसान संघर्ष समन्वय समिति देश के सभी किसानों का आह्वान करती है कि 26-27 नवम्बर को ” दिल्ली चलो” के नारे को सफल करें, इस अभियान में ज्यादा से ज्यादा किसानों की भागीदारी होगी, ताकि केन्द्र सरकार कृषि संबंधी इन काले कानूनों को वापस लेने पर मजबूर किया जा सके। क्योंकि ये कानून भारत के किसानों की जिन्दगी पर अमानवीय हमला कर उनका भविष्य बर्बाद करने वाले हैं।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने कहा कि वह तब तक आराम नहीं करेगी, जब तक भारत के किसान इस संघर्ष में जीत हासिल नहीं कर लेते हैं.