समकालीन जनमत के फेसबुक लाइव कार्यक्रम की कड़ी में हिरावल, पटना के डी. पी. सोनी ने अपने गीतों की प्रस्तुति दी ।
गीतों की श्रृंखला की शुरुआत से पहले डी. पी. सोनी ने अभी कल और आज की दुःखद खबरों अभिनेता इरफ़ान खान और ऋषि कपूर के निधन पर शोक व्यक्त किया, उन्हें याद किया और हिरावल तथा जन संस्कृति मंच की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की ।
लॉक डाउन में मजदूरों के सामने अंतहीन कष्ट और समस्याओं का जिक्र करते हुए डी. पी. सोनी ने उम्मीद जताई कि बदलाव भी यहीं से आएगा ।
कार्यक्रम की शुरुआत साहिर लुधियानवी के मशहूर गीत से हुई ।
ये किसका लहू है कौन मरा
ऐ रहबर-ए-मुल्क-ओ-कौम बता
ये किसका लहू है कौन मरा.
ऐ रहबर-ए-मुल्क-ओ-कौम बता
ये किसका लहू है कौन मरा.
ये जलते हुए घर किसके हैं
ये कटते हुए तन किसके है,
तकसीम के अंधे तूफाँ में
लुटते हुए गुलशन किसके हैं,
बदबख्त फिजायें किसकी हैं
बरबाद नशेमन किसके हैं,
ये कटते हुए तन किसके है,
तकसीम के अंधे तूफाँ में
लुटते हुए गुलशन किसके हैं,
बदबख्त फिजायें किसकी हैं
बरबाद नशेमन किसके हैं,
कुछ हम भी सुने, हमको भी सुना.
ऐ रहबर-ए-मुल्क-ओ-कौम बता
ये किसका लहू है कौन मरा.
ये किसका लहू है कौन मरा.
इसके बाद ‘मशालें लेकर चलना कि जब तक रात बाकी है/संभल कर हर कदम रखना कि जब तक रात बाकी है’, ‘बंद हैं तो और भी खोजेंगे हम/रास्ते हैं कम नहीं तादाद में, और फिर प्रगतिशील शायर वामिक जौनपुरी की ग़ज़ल ‘रात के समंदर में/ग़म की नाव चलती है/दिन के गर्म साहिल पर/जिंदा लाश जलती है’ से इस शानदार प्रस्तुति को आगे बढ़ाया ।
इस गीत प्रस्तुति का समापन साहिर लुधियानवी की ही एक नज़्म से हुआ ।
इन काली सदियों के सर से जब रात का आंचल ढलकेगा,
जब दुख के बादल पिघलेंगे जब सुख का सागर झलकेगा,
जब अम्बर झूम के नाचेगा जब धरती नग़मे गाएगी,
वो सुबह कभी तो आएगी.
इस पूरी प्रस्तुति को समकालीन जनमत के पेज पर जाकर अथवा नीचे दिए गए लिंक पर जाकर देखा सुना जा सकता है.
https://www.facebook.com/s.janmat/videos/1339816686222587/
लाइव कार्यक्रम की इस श्रृंखला में आज शाम सात बजे हिरावल, पटना से संतोष झा के गीतों की प्रस्तुति होगी ।
आभार
समकालीन जनमत टीम