जनसंस्कृति मंच ने क्रांतिकारी रंगकर्मी सफ़दर हाशमी के शहादत दिवस पर पटना , आरा , दरभंगा , समस्तीपुर , बेगूसराय में गोष्ठी, नुक्कड़ नाटक, जनगीत का कार्यक्रम आयोजित कर उन्हे याद किया।
आरा में जय प्रकाश स्मारक के मुक्ताकाशी मंच पर जन संस्कृति मंच व युवानीति की ओर से मशहूर नाट्यकर्मी सफ़दर हाशमी की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में उपस्थित जसम के राज्य अध्यक्ष कवि-आलोचक जितेंद्र कुमार ने कहा कि सफ़दर हाशमी क्रांतिकारी संस्कृतिकर्मी थे। उन्होंने बच्चों, स्त्रियों व श्रमिकों के पक्ष में नाटकों की रचना की और उसे सड़कों तक ले आए।
युवा कवि-आलोचक सुधीर सुमन ने कहा कि सफ़दर बेहतर विचारधारा-बेहतर’ नाटक में यकीन करते थे। उन्होंने जनपक्षीय उद्देश्य से ‘जन नाट्य मंच’ की स्थापना की। बेरोजगारों को संघर्ष के लिए प्रेरित किया। राजनीतिक गुंडों द्वारा उनकी हत्या के बाद नुक्कड़ नाटकों का जो उभार देखने को मिलता है , उसमें युवानीति की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। तब से लेकर हर वर्ष युवानीति उनके शहादत दिवस पर उन्हें याद करती है।
सुधीर सुमन ने उनकी चर्चित कविता ‘किताबें बातें करती हैं’ का पाठ भी किया। बातचीत के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए राजनीतिकर्मी रामचंद्र सिंह ने कहा कि सफ़दर एक सचेत संस्कृतिकर्मी थे। उन्होंने शासक वर्ग द्वारा जारी हिंसा व दमन का कड़ा प्रतिवाद किया। युवा नाट्यकर्मी अमित मेहता ने सफ़दर को याद करते हुए युवानीति की उन प्रस्तुतियों को याद किया जिनसे जनवादी आंदोलनों का सीधा जुड़ाव रहा।
कार्यक्रम में उपस्थित कवि सुनील चौधरी ने सफ़दर को याद करते हुए उनकी कविता ‘पढ़ना-लिखना सीखो’ का पाठ किया। इस अवसर पर कहानीकार डॉ.सिद्धनाथ सागर और कॉ.कामता जी ने भी सफ़दर को याद किया। कार्यक्रम के दौरान उपस्थित छोटे बच्चों ने भी कई कविताएँ सुनाईं।
इस अवसर पर हंगरी के जाने-माने व्यंग्यकार व नाटककार लात्सलो ताबी के एक छोटे से किस्से पर आधारित नाटक ‘दो दुनी चार’ की प्रस्तुति सुधीर सुमन व अमित मेहता ने की। यह नाटक किसी भी तानाशाह व्यवस्था में आम नागरिक के भीतर मौजूद भय एवं आशंकाओं को रोचक अंदाज में व्यक्त करता है।
कार्यक्रम का संचालन कवि-कहानीकार सुमन कुमार सिंह ने किया।
दरभंगा में जनसंस्कृति मंच के तत्वावधान में लोहिया चरण सिंह कालेज के सभागार में इंकलाबी रंगकर्मी कामरेड सफदर हाशमी को शहदत दिवस पर पूरी शिद्दत से याद करते हुए फासिस्ट सत्ता के खिलाफ प्रतिरोध की संस्कृति के लिए संघर्ष करमे का संकल्प लिया गया।
इस अवसर पर जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं समकालीन चुनौती के संपादक डॉ सुरेन्द्र प्रसाद सुमन ने कहा कि”मौजूदा खूंख़्वार फासिस्ट सत्ता से दो-दो हाथ करने के लिए महान इंकलाबी रंगकर्मी कामरेड सफदर हाशमी की शहादत हमारी इंकलाबी कारवां के आगे-आगे मशाल बनकर चल रही है।
जसम, दरभंगा के जिला सचिव डॉ रामबाबू आर्य ने कहा कि “जब खूनी पंजा की सरकार पूरे मुल्क में कहर बरपा रही थी तो उसके खिलाफ दिल्ली के साहिबाबाद के झंडापुर गांव में कामरेड सफदर हाशमी ‘हल्ला बोल’ नाटक खेलते हुए शहीद हुए थे। आज जब फासिस्ट शक्तियां उससे भी कहीं अधिक खूंख़्वार रूप में मुल्क पर कहर बरपा रही हैं तो निश्चय ही सफदर हाशमी के कार्यभार को आगे बढ़ना हम सभी का दायित्व है।”
जसम, बिहार के राज्य उपाध्यक्ष डॉ कल्याण भारती ने कहा कि सफदर हाशमी के सपनों को साकार करने के लिए प्रतिरोध की संस्कृति को आगे बढ़ना होगा और प्रतिरोध के तमाम सांस्कृतिक संगठनों को अपनी चट्टानी एकता के बल पर फासिस्ट सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के मंसूबे को मुंहतोड़ जवाब देना होगा।”
जसम, दरभंगा के जिला उपाध्यक्ष डॉ आर.बी.कामत ने कहा कि “मौजूदा बर्बर फासिस्ट दौर में कामरेड सफदर हाशमी के इंकलाबी सांस्कृतिक अभियान को आगे बढ़ाना जनवादी मूल्यों एवं जनसंस्कृति को बचाने के लिए परम आवश्यक है।”
इस अवसर पर डॉ नन्दन कुमार सिंह, विनोद भारती,रौशन कुमार, रोहित कुमार, संतोष कुमार मंडल, मुकेश कुमार,लक्ष्मण कुमार यादव सहित कतिपय लोगों ने अपने विचार रखे और कामरेड सफदर हाशमी को श्रद्धांजलि दी।
कार्यक्रम के अंत में सफदर हाशमी के सुप्रसिद्ध गीत”पढ़ना लिखना सीखो वो मेहनत करनेवालों”की प्रस्तुति हुई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता एल.सी.एस.कालेज, दरभंगा के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ राम अवतार यादव ने की।
जसम समस्तीपुर ने मालगोदाम स्थित कार्यालय पर कार्यक्रम आयोजित द्वारा सफदर हाशमी को याद किया।
मुजफ्फरपुर में प्रगतिशील साझा मंच द्वारा सफदर सांस्कृतिक जमघट के रुप में सफदर को याद किया गया। जसम के बिहार राज्य कार्यकारिणी सदस्य स्वाधीन दास की पहलकदमी से यह कार्यक्रम आयेजित किया गया।
बेगूसराय में दिनकर कला भवन में रंगकर्मी सफदर हाशमी की शहादत दिवस पर जसम द्वारा विचारगोष्ठी व जनगीत का आयोजन किया गया l मुकेश कश्यप के साथ रंगनायक के कलाकारों अंकित राज और यथार्थ सिन्हा ने जनगीत पेश किया l ” आज के दौर में नुक्कड़ नाटक ” विषय पर अपनी बात रखते हुये बतौर मुख्य वक्ता वरिष्ठ रंगनिर्देशक व सिने अभिनेता हरीश हरिऔध ने कहा कि सफदर हाशमी ने लोकतंत्र की हिफाजत की लड़ाई लड़ी l सफदर के नाटकों में सामाजिक समरसता , भाईचारा , साम्प्रदायिक सद्भावना बहाल रखने की चिंता थी l तभी तो उस दौर के फासिस्टों ने नुक्कड़ नाटक करने के क्रम में दिल्ली के साहिबाबाद में उनकी व एक मजदूर रामबहादुर की निर्मम हत्या कर दी l
जसम के राज्य सचिव रंगकर्मी व साहित्यकार दीपक सिन्हा ने कहा कि फासीवादी दौर में आज भी नुक्कड़ नाटकों की प्रासंगिकता बनी हुई है l मूलत: नुक्कड़ नाटक प्रतिरोध का नाटक होता है साथ ही आम आदमी की आवाज होता है l
आशीर्वाद रंगमंडल के निदेशक रंगकर्मी अमित रौशन ने कहा रंगकर्मीओ को खुद तय करना होगा कि उन्हें क्या करना हैl आज के दौर में जहाँ छात्र दसवें वर्ग के बाद से ही अपने लक्ष्य को तय कर लेते हैं तो रंगकर्मी क्यों नहीं l
मॉडर्न थिएटर फाउंडेशन के निदेशक परवेज युसूफ ने कहा कि नुक्कड़ नाटक जैसे सशक्त विधा की जरुरत आज सबसे ज्यादा है l रंगकर्मी डब्लू ने कहा कि अगर सरकार जन विरोधी योजनाओं के लिए नुक्कड़ को माध्यम बनाती है तो इससे रंगकर्मियों को बचने की जरुरत है l
रंगकर्मी विजय ने कहा कि नुक्कड़ नाटक की धारा को तेज करने की जरुरत है l आज दर्शकों की संख्या कम हो रही है क्योंकि जन सरोकार के नुक्कड़ नाटक नहीं हो पा रहे हैं l रंगकर्मी चिंटू, इब्रान ने भी अपने वक्तव्य को रखा l
कार्यक्रम का संचालन रंग अभिनेता सचिन कुमार ने किया l
मौके पर रंगकर्मी अमित रौशन, परवेज युसूफ, विजय,रब्बान , सचिन, मोहित ने भी अपने अपने विचारों को रखा l
कार्यक्रम में रंगकर्मी मोहित मोहन,अमरेश,कुणाल, मंजीत,धमेन्द्र, रब्बान, अंकित,लाल बाबू,अरुण, मिथलेश कांति, घनश्याम आदि उपस्थित थे l
पटना में प्रेरणा नाट्य टीम के संयोजन में भी कार्यक्रम आयोजित किये गये जिसमें रंगकर्मी समता राय के नेतृत्व में संगीत नाट्य दल कोरस ( जसम ) ने नमक नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति कर अपनी भागीदारी दी जिसमें समता राय , मात्सी शरण ,अविनाश मिश्र , रवि कश्यप और नंदन ने अभिनय किया .