जन संस्कृति मंच की दिल्ली राज्य इकाई ने दिवंगत चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को श्रद्धांजलि दी।
इस श्रद्धांजलि सभा का आयोजन दिल्ली स्थित गढ़ी ललित कला अकादमी आर्टिस्ट स्टूडियो में ‘आर्ट इनसाइड’ के राष्ट्रीय संयोजक वीर द्वारा किया गया।
आरा के राकेश कुमार दिवाकर जी की 17 मई को सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई। राकेश कुमार दिवाकर जन पक्षधर चित्रकार एवं पेशे से कला अध्यापक थे। वे किसी भी प्रकार की कला की महत्ता उसके जन पक्षधर होने को ही मानते थे। कह सकते हैं कि राकेश कुमार दिवाकर बाज़ार द्वारा स्थापित कला मानकों के विरुद्ध अपनी कला को ‘सड़क की कला’ के रूप में देखते थे।
वे पूंजी केंद्रित वर्तमान कला- दुनिया के विषय में लिखते हैं- “मेरे समय में कला सृजन कर जीवन यापन करना मेरे बस की बात नहीं थी। कला सृजन मेरा शौक रहा। यह शौक कालांतर में मेरी अभिव्यक्ति का साधन बन गया। सौन्दर्य साधक मैं भी था, सुंदरता मुझे भी भाती थी और जब मैं कभी खुश होता था, शृंगार रस का चित्रण किया करता था। हालाँकि ऐसा मौका कम ही आता था। मेरे समय की पूंजीवादी व्यवस्था घोर विषमताओं पर आधारित थी। दुःख, पीड़ा, शोषण, अपराध, बीमारी, बदहाली मेरे आसपास भरी पड़ी थी।”
इस श्रद्धांजलि सभा में वरिष्ठ चित्रकार एवं जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अशोक भौमिक, मूर्तिकार सावी सावरकर, जन संस्कृति मंच के राज्य सचिव डॉ. अनुपम सिंह ‘प्रतिरोध का सिनेमा’ के संस्थापक- संजय जोशी, इंद्रप्रस्थ कॉलेज की प्राध्यापिका उमा राग, अंबेडकर यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक मृत्युंजय, तूलिका दिनेश, मीनू, ललित कला अकादमी गढ़ी में कला का अभ्यास करने वाले तथा अनेक कला प्रेमी उपस्थित थे।
इस सभा में अशोक भौमिक ने राकेश कुमार दिवाकर एवं उन जैसे जन पक्षधर कलाकारों के महत्व एवं संघर्ष को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि आने वाले समयों में जन संस्कृति मंच राकेश कुमार दिवाकर के चित्रों की ‘जन प्रर्दशनी’ का आयोजन करेगा, तथा कला के विषय में उनके विचारों, उनकी कला समीक्षाओं एवं कविताओं व लेखनी के विभन्न रूपों को संग्रहित कर जनता के लाएगा। जन संस्कृति मंच उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष कला व्याख्यान माला का आयोजन भी करेगा।