वामपंथ को बाहर रखकर महागठबंधन द्वारा सीटों के बंटवारे से भाजपा विरोधी मतों के ध्रुवीकरण की संभावना कमजोर हुई – माले
2015 के जनादेश के साथ हुए विश्वासघात और गठबंधन की विफलता से कोई सबक नहीं लिया गया
पटना. भाजपा आज देश के लोकतंत्र, संविधान, जनता के अधिकार और देश की गंगा-जमुनी संस्कृति के खिलाफ बड़ा खतरा बन कर सामने आई है. परिस्थिति की मांग है कि उपरोक्त खतरे के मद्देनजर लोकसभा चुनावों में विपक्ष का एक-एक वोट संगठित हो और भाजपा को कड़ी शिकस्त दे लेकिन कांग्रेस-राजद सहित अन्य दलों के जरिए कल जिस तरह वामपंथ को बाहर रखते हुए भाजपा विरोधी गठबंधन का स्वरूप सामने लाया गया है, वह भाजपा विरोधी वोटों के व्यापक ध्रुवीकरण और बिहार की जमीनी हकीकत के अनुकूल नहीं है. ऐसा लगता है कि 2015 के जनादेश के साथ हुए विश्वासघात और गठबंधन की विफलता से कोई सबक नहीं लिया गया है.
यह बातें भाकपा माले नेताओं ने 23 मार्च को पत्रकार वार्ता में कही. भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा, अमर, केडी यादव और राजाराम ने पत्रकार वार्ता में कहा कि भाकपा माले व वामपंथ बिहार में भाजपा के खिलाफ निरंतर लड़नेवाली मजबूत व उसूली ताकत के रूप में स्थापित है. वामपंथ बिहार की जनता के संघर्षों की आवाज भी है. गठबंधन में वामपंथ की मजबूत उपस्थिति से न सिर्फ गठबंधन की विश्वसनीयता को बल मिलता बल्कि उसे व्यापक मजदूर-किसान, छात्र-नौजवान व लोकतांत्रिक ताकतों का समर्थन भी मिलता. महागठबंधन ने जिस तरह सीटों का आपस मे बंटवारा किया है और वामदलों व उनकी स्वाभाविक दावेदारी वाली सीटों को नजरअंदाज किया है, वह न्यायसंगत नही है.
माले नेताओं ने कहा कि बिहार विधानसभा के भीतर पार्टियों की दलगत स्थिति और राज्य में पिछले दो वर्षों से चले जनांदोलनों की अभिव्यक्ति भी इस गठबंधन में नहीं दिखती. इन तमाम चीजों ने बिहार में भाजपा विरोधी मतों के ध्रुवीकरण की संभावना को कमजोर किया है. इसने बिहार के व्यापक वाम, लोकतांत्रिक और प्रगतिशील समूहों को निराश किया है. भाकपा माले उनकी चिंता और आग्रह के साथ खड़ी है और आगे भी खड़ी रहेगी.
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माले नेताओं ने कहा कि पहले ही हमने कम सीटों पर लड़ने का फैसला किया था ताकि भाजपा विरोधी मतों में बिखराव न हो. माले ने 6 सीटों पर लड़ने का फैसला किया था जिसमें से बाद में हमने वाल्मीकिनगर सीट भी छोड़ दी. शेष पांच सीटें आरा, सीवान, काराकाट, जहानाबाद और पाटलिपुत्र हैं. राजद की ओर से अपने कोटे से एक सीट का आफर माले को किया गया है. हम भी अपनी उपरोक्त पांच लड़ी जाने वाली सीटों में से एक सीट राजद के लिए छोड़ देंगे. इसके साथ ही माले सीपीआई को बेगूसराय में और सीपीएम को उजियारपुर में अपना समर्थन देगी और बिहार की शेष सीटों पर भाजपा-राजग को हराने के लिए अभियान चलाएगी.
भाकपा माले भगत सिंह के शहादत दिवस 23 मार्च से शुरू कर कामरेड चंदू के शहादत दिवस 31 मार्च, 13 अप्रैल जलियांवाला कांड की शतवार्षिकी और 14 अप्रैल बाबा साहेब अम्बेडकर जयंती तक पूरे राज्य में ‘भाजपा हराओ-देश बचाओ, ‘ भगत सिंह-अम्बेडकर का देश बनाओ ’ नारे के साथ पूरे राज्य में अभियान चलाएगी.