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भाकपा(माले) प्रत्याशी डॉ. कैलाश पाण्डेय ने नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट से नामांकन किया

नैनीताल. तीन कम्युनिस्ट पार्टियों के संयुक्त उम्मीदवार भाकपा (माले) नेता कामरेड डॉ. कैलाश पाण्डेय ने 22 मार्च को नैनीताल-उधमसिंह नगर लोकसभा क्षेत्र से सादगी के साथ नामांकन पत्र दाखिल किया।

इस अवसर पर कामरेड डॉ. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि,”लूट-झूठ और उन्माद के खिलाफ वामपंथ की दावेदारी पेश करने के लिए माले चुनाव मैदान में है। इसलिए बेरोजगारों, किसानों, मजदूरों के सवालों, महिला सुरक्षा, समाज के कमजोर हिस्सों के अधिकार, आशा-आंगनबाड़ी-भोजनमाता समेत सभी स्कीम वर्कर्स को न्यूनतम वेतन, सिडकुल में श्रम कानूनों के उल्लंघन और न्यूनतम वेतन, सेंचुरी मिल और सिडकुल समेत यहाँ की सभी फैक्ट्रियों में स्थानीय बेरोजगारों को वरीयता,जमरानी बांध का अविलंब निर्माण, बिन्दुखत्ता हाथी कॉरिडोर नहीं-राजस्व गाँव बनाओ, वन खत्तावासी पहाड़ी-गुर्जरों-थारुओं के अधिकार का सवाल, नगरों में बने प्राधिकरण खत्म करने के प्रश्न हमारे लिए मुख्य रहेंगे।”

उन्होंने कहा कि, “मोदी राज में लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थाओं पर जिस तरह से सुनियोजित हमले हुए हैं वह देश के लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। इसलिए सभी लोकतंत्र पसंद लोगों को इस सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए संकल्पबद्ध होना वक़्त की मांग है। लाल झंडे ने शुरू से ही मोदी सरकार के फासीवादी तौर तरीकों के खिलाफ लगातार संघर्ष चलाया है। छात्र- मजदूर- किसान हर मोर्चे पर यह वामपंथी ही थे, जिन्होंने इस सरकार के फासीवादी-जनविरोधी एजेंडे को देश की जनता के समक्ष लाने का कार्यभार संभाला और आंदोलनात्मक पहलकदमियों से सरकार को बैकफुट पर जाने को विवश किया। इसलिए वामपंथ ही भाजपा का सही विकल्प हो सकता है। हमने इस चुनाव में नारा दिया है, “भाजपा हराओ- वामपंथ को जिताओ”।

इस अवसर पर भाकपा(माले) के उत्तराखंड राज्य सचिव कामरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि, “लोकतांत्रिक संस्थाओं पर मोदी सरकार के योजनाबद्ध तरीके से किये गए हमलों का असर लगातार दिख रहा है। इसका ताजा उदाहरण नैनीताल-उधमसिंह नगर में कामरेड कैलाश पाण्डेय के प्रचार कार्य हेतु छापे जाने वाले पैम्फलेट का है, जिसमें कि हल्द्वानी के एमसीएमसी कार्यालय ने मोदी के कार्यकर्ता के रूप में आचरण करते हुए सरकार की आलोचना को सिरे से काट दिया।” उन्होंने कहा कि, “एक ओर तो चुनाव आयोग निष्पक्ष चुनाव निष्पादित करने के दावे करता है, दूसरी ओर सरकार की आलोचना करने वाले पर्चे को छापना दूभर बना दिया जाता है। और यह ऐसे समय में हो रहा है जब प्रधानमंत्री से लेकर तमाम भाजपा-कांग्रेस के नेता एक दूसरे के खिलाफ लगातार बड़े आरोप लगा रहे हैं। पर भाकपा माले का चुनाव को लेकर लिखा गया साधारण सा पर्चा आचार संहिता का उल्लंघन बन जाता है और उसपर लाल निशान लगा दिया जाता है।”

उन्होंने बताया कि, “भाकपा माले इस प्रकरण को राज्य चुनाव आयोग के समक्ष उठाएगी। लोकसभा चुनाव में लोकतंत्र के हरण की हर कोशिश के खिलाफ माले पूरी ताकत से लड़ेगी।”

नामांकन दाखिल करने में मुख्य रूप से भाकपा माले राज्य सचिव राजा बहुगुणा, वरिष्ठ नेता बहादुर सिंह जंगी, सीपीआई के जिला मंत्री एडवोकेट राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता, इन्द्रेश मैखुरी, विमला रौथाण, सी.पी.एम. नेता मनिंद्र मण्डल, ज्ञानी सुरेन सिंह, हरीश जोशी, ललित मटियाली, राजेंद्र शाह,भुवन जोशी, पुष्कर दुबड़िया, नैन सिंह कोरंगा, कमल जोशी, गोविंद सिंह जीना, तिल राम, रामकरण, विकास पासवान, रामपरिखन पासवान,किशन सिंह बघरी, प्रेमवती, कांति,उर्मिला, शीला, गीता, सरिता, बबली, सविता, गीता देवी आदि मौजूद रहे।

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