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दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों का ऐतिहासिक आंदोलन

पिछले एक हफ्ते से दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक एक ऐतिहासिक आंदोलन में हैं। 4 दिसम्बर को दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने निम्नलिखित मांगों पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान किया था-

1.28 अगस्त 2019 पत्र को वापस लें (जिसके अनुसार अब एडहॉक नियुक्तियों के स्थान पर गेस्ट नियुक्तियाँ होंगी)
2.सभी सेवारत तदर्थ शिक्षकों का नवीनीकरण और उनके वेतन को तत्काल जारी किया जाए
3. विकल्प और पदोन्नति प्रपत्र जारी किया जाए
4. पिछली सेवाओं की गणना हो
5. ठंडे बस्ते में पड़ा EWS आरक्षण का कार्यान्वयन जारी रखें; EWS एक्सपैंशन पोस्ट जारी की जाएँ
6. शिक्षकों से अवैध वसूली बंद हो और पेंशन पाने वालों को उनकी पूरी पेंशन मिले
7. शारीरिक शिक्षा के शिक्षकों की सेवा शर्तों पर हमला बंद हो
8. काले कमेटी की रिपोर्ट को लागू किया जाए

इस आंदोलन की शुरुआत दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति के घेराव से हुई लगभग 5000 शिक्षकों का जमावड़ा हुआ और सारे बैरिकेडों, पुलिस घेरे और रुकावटों को तोड़ते हुए शिक्षक कुलपति कार्यालय के अंदर जा घुसे। यह ऐतिहासिक क्षण था जब हज़ारों की संख्या में दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक VC ऑफिस के अंदर थे और उसे पूरी तरह से occupy कर लिया गया था।

शिक्षकों का कुलपति घेराव

शिक्षक लगातार VC ऑफिस को occupy किये रहे। दबाव में सरकार ने कुछ फौरी राहत तो दी पर शिक्षक इससे संतुष्ट न थे। आंदोलन जारी रहा और आज भी जारी है। यह लड़ाई सिर्फ़ शिक्षकों की रोज़ी-रोटी की लड़ाई नहीं उनके सम्मान और उच्च शिक्षा को बचाने की एक बड़ी लड़ाई है।

इसी क्रम में कल दिनांक 9 दिसम्बर को Absorption की माँग के लिए 3000 से अधिक शिक्षकों का संसद मार्च  हुआ जहाँ शिक्षकों ने अभी तक कोई सुनवाई न होने पर संसद मार्ग थाने में गिरफ़्तारी देकर अपना आक्रोश ज़ाहिर किया।

पिछले हफ्ते भर से एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के Absorption के लिए जारी DUTA का आंदोलन तेज हो गया है। आज संसद मार्ग पर तीन हजार से अधिक शिक्षकों ने मार्च किया, जहां उनमें से सैकड़ों की DUTA नेतृत्व के साथ गिरफ्तारी हुई।

MHRD ने DUTA की कुछ जरूरी मांगों पर सहमति जताई है, जिसमें 28 अगस्त के DU सर्कुलर में संशोधन और पदोन्नति के सभी लंबित मामलों में 2018 कैरियर एडवांसमेंट स्कीम के अनुसार पिछली सेवाओं की गिनती भी शामिल है। हालांकि, Absorption और पदोन्नति के लिए कुल सेवा के वर्षों की गिनती की मांग MHRD द्वारा स्वीकार नहीं की गई है।

अमानवीय और शोषणकारी स्थितियां जिनके अंतर्गत एडहॉक शिक्षकों को कई वर्षों तक काम करने के लिए मजबूर किया गया है, जिसमें न्यूनतम कर्मचारी अधिकारों जैसे कि मातृत्व अवकाश आदि को अस्वीकार करना भी शामिल है, मात्र Absorption के माध्यम से दूर किया जा सकता है।

गिरफ़्तारी के बाद संसद मार्ग थाने के भीतर नारे लगाते शिक्षक

DUTA नेतृत्व ने मानव संसाधन विकास मंत्री को नीचे उल्लिखित निम्नलिखित पत्र लिखा है, इसमें मंत्रालय से आग्रह किया गया है कि ज्ञापन और पत्रों के रूप में बार-बार अपील के बावजूद, अब तक नजरअंदाज किए जा रहे सभी जरूरी और लंबित मुद्दों पर और बातचीत शुरू करें। अगर MHRD द्वारा DUTA की लंबित मांगों को नजरअंदाज करना जारी रहता है, तो वह शिक्षण समुदाय की सामूहिक नाराज़गी का सामना करेगा।

अस्थायी और एडहॉक शिक्षकों के एकमुश्त Absorption के लिए यूजीसी विनियमन की मांग और दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों की अन्य महत्वपूर्ण मांगों के संदर्भ में जो ज्ञापन मानव संसाधन मंत्रालय को सौंपा गया वह इस प्रकार है।

MHRD को ज्ञापन: 

श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक ’

माननीय मंत्री, मानव संसाधन विकास

शास्त्री भवन

नई दिल्ली – 110001

विषय: अस्थायी और एडहॉक शिक्षकों के Absorption  के लिए यूजीसी विनियमन की मांग और दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों की अन्य महत्वपूर्ण मांगें

प्रिय श्री पोखरियाल,

आपको ज्ञात होगा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक लंबे समय से उनसे जुड़े लंबित मुद्दों को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ-साथ UGC / MHRD की पूर्ण उदासीनता को लेकर आंदोलित हैं, खासकर युवा शिक्षकों से जुड़ा विषय जैसा कई वर्षों से अत्यंत शोषणकारी और अनिश्चित परिस्थितियों में काम करना और CAS के तहत लंबे समय से बकाया पदोन्नति करना। दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 अगस्त के सर्कुलर जिसका उद्देश्य पर्याप्त पदों के विरुद्ध अतिथि नियुक्तियों के साथ एडहॉक पदों को प्रतिस्थापित करना था, के कारण हजारों शिक्षकों को बेरोजगार करने के लिए तत्काल संकट पैदा हो गया, जो शिक्षकों की सामूहिक नाराज़गी की अभिव्यक्ति का कारण बन गया।

DUTA आपके 5 दिसंबर 2019 के पत्र जो हमें 6 दिसंबर 2019 को भेजा गया के माध्यम से समाधान खोजने के लिए शिक्षक प्रतिनिधियों के साथ बैठक और हमारी कुछ प्रमुख मांगों को स्वीकार करने के लिए MHRD और UGC के समयबद्ध हस्तक्षेप का स्वागत करता है।

संसद मार्ग की ओर बढ़ते शिक्षक

हालांकि, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि MHRD/ UGC ने 200 प्वाइंट DOPT रोस्टर के आधार पर अस्थायी और एडहॉक शिक्षकों के एकमुश्त समायोजन के लिए यूजीसी विनियमन की प्रमुख मांग की प्राप्ति के प्रति कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई। हमारा मानना है कि यह हजारों युवा शिक्षकों के सामने आने वाली कठिनाइयों को दूर करने का एकमात्र उपाय है जो अपने स्थायी सहयोगियों के समान ही योग्य हैं और उन्होंने संस्थान के शैक्षणिक और कॉर्पोरेट पहलुओं में काफी बड़ा योगदान दिया है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन शिक्षकों को गरिमा का जीवन जीने के बुनियादी अधिकारों से वंचित किया जाता है। महिला शिक्षकों को मातृत्व अवकाश के अधिकार तक से भी वंचित कर दिया जाता है जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत और न्यायालय के निर्णयों के खिलाफ जाता है। NEP की सिफारिशें जो tenure-track नियुक्तियों की परिकल्पना करती हैं, इन शिक्षकों के करियर को और अनिश्चितता में धकेल देंगी।

हम पदोन्नति के सभी लंबित मामलों में यूजीसी विनियमन 2018 के अनुसार पिछली सेवा की गणना के प्रावधान को बढ़ाने के लिए धन्यवाद देते हैं। हालांकि, हम आपके ध्यान में लाना चाहते हैं कि DUTA सेवा की कुल अवधि की गिनती की मांग कर रहा है केवल पहली पदोन्नति के लिए नहीं और आशा है कि यूजीसी जल्द ही इसे विसंगति समिति की रिपोर्ट के माध्यम से सुलझाएगा। इसके अलावा, आप इस बात से अवगत होंगे कि दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोन्नति लंबे समय से स्थगित है और यह अत्यधिक विलंब उन शिक्षकों के एक बड़े वर्ग के बीच गिरते मनोबल का कारण है जो कैरियर की उन्नति के किसी भी लाभ से वंचित हैं।

DUTA भी लंबे समय से यह मांग कर रहा है कि दूसरी किश्त की नियुक्तियों के लिए काफी समय से लंबित पड़े OBC एक्सपैंशन और EWS एक्सपैंशन को DoPT के निर्देशानुसार उसे टीचिंग रोस्टर में लाया जाए

शिक्षक अपने बच्चों के साथ VC ऑफिस के समक्ष धरना चलाते हुए

इस संदर्भ में, हम यह भी मांग करते हैं कि दिल्ली विश्वविद्यालय में काले कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकार किया जाए और उस पर अमल किया जाए और यूजीसी के अनुमोदित सेल्फ-फाइनेंसिंग कोर्स और इन पदों पर काम करने वाले शिक्षकों को समावेशित किया जाए।

इसके अलावा, सेवानिवृत्त शिक्षकों और कर्मचारियों को पेंशन देने के खिलाफ दायर SLP को वापस लेने की न तो DUTA की मांग पर, न ही डीयू प्रशासन द्वारा की जा रही अवैध वसूली पर और न ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनिवार्य कदम उठाने के संबंध में आप की ओर से कोई आश्वासन दिया गया है। DUTA विश्वविद्यालय में शारीरिक शिक्षा के शिक्षकों की सेवा शर्तों के लिए लगातार खतरे को समाप्त करने की भी मांग कर रहा है।

इस संदर्भ में, शिक्षकों के पास अपनी मांगों के त्वरित समाधान के लिए दबाव बनाने हेतु अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। शिक्षक इन मांगों के लिए दबाव बनाने के लिए कल (9 दिसंबर 2019) दोपहर 12 बजे मंडी हाउस से संसद मार्ग तक मार्च भी करेंगे।

हमें उम्मीद है कि आप 5 दिसंबर को DUTA के साथ शुरू किए गए संवाद को जारी रखेंगे और दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों के सामने आने वाले संकट को हल करने का एक मार्ग ढूँढ निकालेंगे।

(डूटा अध्यक्ष राजीब रे और डूटा सचिव राजिंदर सिंह द्वारा जारी)

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