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‘दलितों को अपनी मुक्ति संघर्ष की क्रांतिकारी दिशा तय करनी होगी ’

जन संघर्ष मंच हरियाणा ने आज हरियाणा के कैथल में ‘दलित मुक्ति संघर्ष की क्रांतिकारी दिशा क्या हो’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन आज पटवार भवन कैथल में किया ।

गोष्ठी के अध्यक्ष मंडल में मंच के प्रदेशाध्यक्ष काॅ फूल सिंह, काॅ सतबीर नरवाना और प्राध्यापक मलखान सिंह रहे।

विचार गोष्ठी में बहस के लिए एक पर्चा पेश करते हुए मंच के प्रांतीय प्रधान फूल सिंह ने भीमाकोरे गांव, उना कांड जैसी घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि आज दलितों पर अत्याचार, जातीय हिंसा लगातार बढ़ती जा रही है. साम्प्रदायिक ताकतों द्वारा लगातार हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व की कोई भी वैराइटी हो, हार्ड हो या साॅफ्ट वह वर्ण व्यवस्था, जाति व्यवस्था यानी सामाजिक असमानता की पक्षधर होती है और इसीलिए दलितों के हितों के विरुद्ध होती है।

उन्होंने कहा कि बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर ने भी कहा था कि दलितों के दो दुश्मन हैं-ब्राह्मणवाद और पूंजीवाद। दलितों की मुक्ति का प्रश्न अंततोगत्वा पूंजीवाद के खातमें से जुड़ा हुआ है और पूंजीवाद का खात्मा सुधारवादी रास्ते नहीं क्रांतिकारी ढंग से होगा। शहीद भगतसिंह ने दलितों को आह्वान किया था कि संगठनबद्ध हो जाओ, तुम ही असली सर्वहारा हो, उठो और वर्तमान व्यवस्था के विरुद्ध बगावत खड़ी कर दो।
अपने विचार रखते हुए मंच के सलाहकार डाॅ. सी.डी. शर्मा ने कहा कि यद्यपि संविधान में आज पेशे की स्वतंत्रता का अधिकार दिया हुआ है परंतु रोज़गार के अभाव में दलितों को मजबूरन जातिगत पेशों से बंधे रहना पड़ रहा है। दलितों को अपने आर्थिक शोषण से मुक्ति पाने के लिए संघर्ष को क्रांतिकारी दिशा में ले जाना होगा और पूंजीवाद के विरुद्ध संघर्ष को तेज करना होगा।


गोष्ठी में वक्तव्य रखते हुए मंच सलाहकार श्याम सुंदर ने कहा कि आज पूंजीवाद ब्राह्मणवादी- जातिवादी व्यवस्था के सामंती अवशेषों को अपने स्वार्थों में कायम रखे हुए। मजदूर वर्ग में जातिवाद का जहर फैलाया जा रहा है। बिना पूंजीवादी सत्ता को ध्वस्त किए और दलितों, मजदूरों, गरीब किसानों, आदिवासियों द्वारा सत्ता हाथ में लिए न तो समाज में सामाजिक समानता स्थापित की जा सकती है और न ही आर्थिक। उन्होंने कहा कि आज दलित अपनी मुक्ति संघर्ष के लिए सबसे पहले सामाजिक असमानता की ढाल हिन्दुत्व विचारधारा और हिन्दुत्व राष्ट्रवादी राजनीति का विरोध करें, दलित हितों के नाम पर जो नेता हिन्दुत्व की राजनीति के खेमे में जा घुसे हैं उनका पर्दाफाश करें और हिन्दुत्ववादी शक्तियों को परास्त करने के कार्य को एक चुनौती के रूप में लें। आज दलित पूंजीवादी संसदीय राजनीति के मोह से मुक्त होकर युक्तितर्क पर आधारित वैज्ञानिक विचारधारा के आधार पर ऐसे संगठन बनाएँ जो जनवाद के लिए लड़ें, हिन्दुत्व हमलों के खिलाफ संगठित होकर लड़ाई लड़ें और इस लड़ाई में अन्य जातियों के तमाम समानता के पक्षधर मजदूरों-मेहनतकशों को, मजदूर यूनियनों को अपने साथ जोड़ें तथा गैर-दलितों के अन्य भरोसेलायक संगठनों के साथ मोर्चा कायम करें ताकि जाति उन्मूलन, सामाजिक अत्याचार और साथ ही साथ आर्थिक शोषण के विरुद्ध लड़ाई को व्यापक रूप दिया जा सके।
विचार गोष्ठी में आए विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने प्रस्तुत पर्चे पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की । विचार गोष्ठी में भाग लेते हुए करनैल सिंह, सोमनाथ, सूबेदार भाग सिंह, पाल सिंह, अजय, सतवीर नरवाना, शीशपाल, डाॅ रमेश कुतुबपुर, होशियार सिंह एडवोकेट आदि ने अपने विचार रखे ।

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