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नाटक, जनगीत, कविता पाठ के साथ भोजपुर से जन संस्कृति मंच की सांस्कृतिक यात्रा का आगाज़ 

आरा। आज आजादी के पचहत्तरवें वर्ष पर जसम, बिहार ने अपनी सांस्कृतिक यात्रा का आगाज़ क्रांतिधर्मी भूमि भोजपुर से किया। संस्कृति कर्मियों ने यात्रा का आरंभ स्थानीय कर्मन टोला स्थित भगत सिंह तथा वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय स्थित क्रांति योद्धा वीर कुँवर सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ किया। संस्कृति कर्मियों के जत्था गाड़ी को भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता स्वदेश भट्टाचार्य ने तिरंगा लहरा के रवाना किया। भोजपुर में जत्थे का नेतृत्व जसम के राज्य अध्यक्ष व वरिष्ठ साहित्यकार जितेंद्र कुमार व वरिष्ठ एक्टिविस्ट गालिब जी किया।

वरिष्ठ वामपंथी नेता स्वदेश भट्टाचार्य ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि भूख, गरीबी , बेरोजगारी और नफरत के खिलाफ ‘उठो मेरे देश के’ आह्वान के साथ यह राज्यव्यापी सांस्कृतिक यात्रा है।

 

भोजपुर में यात्रा का पहला पड़ाव पवना बाजार तथा दूसरा रमना मैदान , आरा का जे.पी.मुक्ताकाश मंच रहा। दोनों जगह सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत जत्था के साथियों द्वारा 1857 के आजादी की पहली लड़ाई के नायक अज़ीमुल्ला खां द्वारा रचित “हम हैं इसके मालिक, हिंदुस्तान हमारा” गीत की प्रस्तुति से हुई । आरा में जत्था के संस्कृतिकर्मियों ने जे.पी.स्मारक पर माल्यार्पण के साथ कार्यक्रमों की शुरुआत की।

पवना में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जसम के राज्य अध्यक्ष जितेंद्र कुमार ने कहा कि देश की वर्तमान सरकार ने लोकतंत्र के सभी चारों स्तंभों पर कब्जा जमाकर जनता को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। वह लगातार लोक कल्याणकारी कार्यों की अनदेखी करती हुई आवाम को नफरत व उन्माद की भट्ठी में झोंके जा रही है। ऐसे में आजादी के अमृत काल की चर्चा बेमानी है। जसम की यह सांस्कृतिक यात्रा सरकार के छल-छद्म को बेनकाब करनेवाली यात्रा है। हम इसके सहारे आजादी के असल नायकों को याद करते हुए साझी संस्कृति को समृद्ध करने की लड़ाई में आगे बढ़ेंगे। पवना में संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल अंशुमन ने किया।

आरा में कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रलेस के राज्य सचिव प्रो. रविंद्र नाथ राय, जलेस से जुड़े वरिष्ठ कथाकार व ‘जनपथ’ पत्रिका के संपादक अनंत कुमार सिंह, जसम के गालिब खान तथा युवा कवि ओम प्रकाश मिश्र ने संयुक्त रूप से की। अपने संबोधन में इस यात्रा के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए गालिब खान ने कहा कि हमारे देश में आजादी का जश्न दो तरह से मनाया जा रहा है। एक सत्ता द्वारा तो दूसरा देश की अमन पसंद जनता द्वारा। हम जनता के लोकतांत्रिक हितों व आकांक्षाओं के साथ हैं।

प्रो.रविंद्रनाथ राय ने कहा कि यह अमृत काल पूँजीपतियों के लिए है। हमारे लिए यह गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, नफरत, उन्माद , साम्प्रदायिकता व साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष का काल है। कथाकार अनंत कुमार सिंह ने कहा कि इस घोर साम्प्रदायिक व उन्मादी समय में हमें अपनी छोटी-छोटी संकीर्णताओं से ऊपर उठकर व्यापक एकजुटता से संघर्ष को तेज़ करना होगा। वही कवि ओम प्रकाश मिश्र ने वरिष्ठ कवि अरुण कमल की कविता ‘देश’ का पाठ करते हुए अपनी बातें रखी।

इस अवसर पर पवना में दीपक सिन्हा लिखित व राजू रंजन निर्देशित लघु नाटक – ‘उठो मेरे देश’ की प्रस्तुति भी हुई। जत्थे में शामिल जन गायक ननकु पासवान , समता राय , अनिल अंशुमन , प्रमोद यादव ,गुनगुन, निपुण , कृष्ण कुमार निर्मोही आदि ने जनगीत गाये तो वहीं मनोज ,अभय , संजय, दिलीप आदि जसम के रंगकर्मियों ने नाटक में जोरदार अभिनय किया। आरा में इप्टा के नागेंद्र पाण्डेय , जसम के निर्मल नयन, युवा नीति व जसम के रंगकर्मी सूर्यप्रकाश, अमित मेहता आदि की भी जनगीत गायन में अच्छी भागीदारी रही। ‘ हम हैं इसके मालिक ‘ , ‘ जाग-जाग भारत के मजदूर किसान ‘, ‘ समय का पहिया चले रे साथी ‘, ‘ चल चलीं नया एगो दुनिया बनावे के ‘, ‘ सारा रे संपत्तिया कब्जइलें पूँजीपतिया ‘ तथा ‘ गाँव-गाँव से उठो, बस्ती-बस्ती से उठो’ जनगीत को श्रोताओं ने काफी पसंद किया।

इस दौरान कहानीकार डॉ.सिद्धनाथ सागर,अरुण प्रसाद , कथाकार अखिलेश कुमार( जलेस), कवि वल्लभ,कवि रविशंकर सिंह, रंगकर्मी श्रीधर शर्मा, धनंजय, सत्यदेव कुमार, सुनील श्रीवास्तव, कवयित्री प्रतिज्ञा साधना, आइसा राज्य सचिव सब्बीर कुमार, आर.वाई.ए.बिहार राज्य सचिव शिव प्रकाश रंजन, कवि अरविंद अनुराग, आरा भाकपा.माले नगर सचिव दिलराज प्रीतम, क्यामुदिन , जितेंद्र सिंह, जनमित्र आरा के विजय मेहता ,पवना के माले नेता रघुवर दास आदि ने पूरे कार्यक्रम में उपस्थित रहकर इसे सफल बनाया।

आरा में मंच संचालन युवा साहित्यकार सुमन कुमार सिंह ने तथा धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ पत्रकार-रंगकर्मी शमशाद प्रेम ने किया।

जसम के राज्य अध्यक्ष जितेंद्र कुमार ने बताया कि प्रथम चरण की यह सांस्कृतिक यात्रा आरा , पटना , बेगूसराय , समस्तीपुर , दरभंगा होते हुए जनकवि नागार्जुन के जन्म स्थली सतलखा ( मधुबनी) की ओर प्रस्थान करेगी। उन्होंने रंगकर्मियों साहित्यकारों व बुद्धिजीवियों से इस यात्रा में शामिल होने की अपील की। यहाँ से यात्रा जत्था अगले पड़ाव के लिए पटना की ओर रवाना हुआ।

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