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अखिल भारतीय किसान महासभा की  किसान भाईयों से अपील

किसान आंदोलन की उपलब्धियों को सुदृढ़ करें और बड़ी जीत के लिए आगे बढ़ें!

वोट की चोट से कारपोरेट परस्त और विश्वासघाती भाजपा को दंडित करें!

किसान साथियों,
तीन कृषि कानून वापस लेने की मांग के साथ दिल्ली जाने के रास्ते में लाठी, गोली, आंसू गैस, पानी की बौछार, कील-कांटा, खाईयां पार करते हुए तेरह महीने का आंदोलन बहादुरी और धैर्य के साथ चला। आप द्वारा भाजपा की क्रूर सरकार को दिल्ली के चारों तरफ घेरकर चट्टानी एकता के द्वारा कृषि कानूनों को वापस कराया गया है। जिससे आज भारत सहित विश्व के किसानों का सिर सम्मान से  ऊंचा हो गया है। इसलिए अखिल भारतीय किसान महासभा की तरफ से हम आप को सलाम पेश करते हैं।

चूंकि, हमें लोकतंत्र पर यकीन है, इसलिए संसद द्वारा कानून  वापस लेने और केंद्रीय कृषि सचिव द्वारा लिखित समझौता पत्र प्राप्त होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा  ने आंदोलन को स्थगित किया था।

आपसी विचार  विमर्श द्वारा समस्याओं को हल करना ही लोकतंत्र का प्राण है। इसी आस्था पर यकीन करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने  घेरा बंदी हटायी।  जिसके बाद साढ़े सात सौ से ज्यादा  शहीद हुए किसानों की याद और भोगी हुई यातना दिल में लिए विजयी किसान अपने घरों को वापस गये।

हमारी जीत भाजपा की उदासीनता, षड्यंत्र, सांप्रदायिक खेल, कारपोरेट परस्ती, प्रशासनिक और संघी गुंडों के हमले को ध्वस्त करते हुए किसानों की चट्टानी एकता और संयुक्त किसान मोर्चा सहित सभी किसान संगठनों की दूरदर्शिता,  आपसी विश्वास और संयुक्त संघर्षों की ताकत से मिली है।

इसलिए इस उपलब्धि को बचाए रखना आज समय की मांग है।
एसकेएम ने 15 जनवरी तक का समय सरकार को लिखित पत्र का अनुपालन करने के लिए  इसलिए दिया था। लेकिन भाजपा सरकार पुनः विश्वासघाती और झूठी प्रमाणित हुई है। हमारे संगठन ने संघ-भाजपा सरकार के चरित्र को समझते हुए उस समय भी कहा था, कि सावधान रहने की जरूरत है। भाजपा के विश्वासघात के बाद अपनी एकता को और अधिक सुदृढ़ करने की जरूरत आ गयी है।

अखिल भारतीय किसान महासभा की  पंजाब इकाई सहित संपूर्ण महासभा ने तन, मन, धन से आंदोलन में योगदान दिया। इस दौरान हमने वैचारिक और राजनीतिक रूप से सीखा और खुद सहित आंदोलन को समृद्ध किया। संयुक्त किसान मोर्चा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर  13 महीने तक चले आंदोलन में  एक दर्जन से ज्यादा अपने कार्यकर्ताओं की  कुर्बानी भी दी। किसान शहीदों के खून में हमारा खून भी मिला हुआ है।

भाजपा सरकार के विश्वासघात के बाद शहीदों की स्मृतियों को दिलों में संजोए हुए निम्न मांगों के लिए लड़ना समय की मांग है।

1- आंदोलन के शहीदों को शहीद का दर्जा दिलाने और देश के लिए शहीद होने वाले परिवारों को मिलने वाले सभी सम्मान और सुविधाओं  के लिए।
2- सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य  के लिए। साथ ही सी+२ पर ५० प्रतिशत लाभ जोड़ कर फसलों का मूल्य तय करने के लिए।
3- बिजली बिल 2020 की वापसी।  खाद, पानी,  बीज, बिजली का मूल्य घटाने के लिए।
4- कृषि उत्पादन को कारपोरेट की तिजोरी में  बंद कर रोटी और भूख के व्यापार को बंद करने के लिए।
5- गन्ना के मूल्य सहित किसानों के सारे बकाए के समय पर भुगतान के लिए।
6- आंदोलन के दौरान लादे गये सभी मुकदमों को समाप्त कराने के लिए।  लखीमपुर के किसान शहीदों की स्मृति को ध्यान में रखते हुए षड्यंत्रकारी गृहमंत्री  टेनी के इस्तीफे और सजा दिलाने के लिए।
7- सरकारी संस्थाओं को मित्र पूंजीपतियों को कौड़ी के भाव बेचने और निजीकरण के खिलाफ  कर्मचारियों, मजदूरों के साथ साझा संघर्ष के लिए।
8- छात्रों नौजवानों के रोजगार के लिए।
9- ग्रामीण खेत मजदूरों और बटाईदार किसानों के अधिकार के लिए।
10- दलितों अल्पसंख्यकों और नागरिक समाज के खिलाफ सरकारी षड्यंत्र को नेस्तनाबूद कर के लोकतंत्र, संविधान को बचाने के लिए ।

साथियों, भाजपा  2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का घोषणा की थी। लेकिन भाजपा ने किसान सहित देश के सभी  नागरिकों के साथ विश्वासघात किया है । इसलिए उसे सजा देना जरूरी है। यह एकजुट संघर्ष से ही संभव होगा।

लोकतंत्र में सबसे कारगर अस्त्र वोट की चोट  होती है। इसलिए आप वोट देने जाएं तो ईवीएम पर उंगली दबाकर भाजपा को दंडित करें । जिससे भविष्य में कोई सरकार किसानों सहित अन्य वर्गों के साथ विश्वासघात करने की हिम्मत न जुटा सके।

हमारी आप से अपील है, कि अपनी एकता को बनाये रखते हुए  किसानों के सवाल को चुनाव का मुद्दा बनाने की हर संभव कोशिश हमें करनी चाहिए ।
किसान आंदोलन के हित में जरुरी है, कि वे योद्धा जो सड़क के संघर्ष में थे, उन्हें विधान सभा में भी जाना चाहिए। जिससे हमारे संघर्ष की आवाज सदन के अंदर बुलंद हो सके। आज सड़क और सदन यानी दोनों पैरों से लड़ने  का समय है।

संघर्ष के इस मोड़ पर हमें पंजाब, हरियाणा पश्चिमी उत्तर प्रदेश, तराई व राजस्थान के किसान साथियों की भूमिका को बार-बार सलाम करने की जरूरत है।
किसान महासभा आंदोलन के हर मोड़ पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड, बंगाल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु सहित सभी राज्यों में संयुक्त मोर्चे के साथ चट्टान की तरह से खड़ी रही है। 13 महीने तक चले  ऐतिहासिक आंदोलन में सभी किसान भाइयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर महासभा का प्रत्येक कार्यकर्ता लड़ा है और भविष्य में भी हम विश्वासघाती भाजपा सरकार को दंडित करने की  प्रत्येक लड़ाई की अग्रिम पंक्ति में रहेंगे। महासभा  किसान आंदोलन के सभी फैसलों को लागू करने के लिए कटिबद्ध है।

किसान महासभा की सभी किसान भाइयों से अपील है, कि विश्वासघाती भाजपा से शहीदों के खून का बदला लेने के लिए पांच राज्यों के चुनाव में उसे वोट की चोट देकर दंडित करें और किसानों की एकता का संदेश दें!

किसान एकता जिंदाबाद!
संयुक्त किसान संघर्ष जिंदाबाद!

गर्मजोशी भरे अभिवादन के साथ सभी किसान साथियों को सलाम!

 ‌ आप का साथी
जयप्रकाश नारायण      ईश्वरीप्रसाद कुशवाहा
अध्यक्ष                             महा सचिव
अखिल भारतीय किसान महासभा, उत्तर प्रदेश द्वारा जारी।
मो. 9415835719    7307667573

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