कृष्णा सोबती के प्रसिद्ध लघु उपन्यास ‘ऐ लड़की’ का मंचन कालीदास रंगालय, पटना में कोरस टीम के द्वारा किया गया। इसका नाट्य रूपांतरण व निर्देशन समता राय ने किया।
पूरी कथा बिस्तर पड़ चुकी एक बुढ़िया की बड़बड़ाहट से बुना गया है। और यह बड़बड़ाहट, बड़बड़ाहट नहीं अपनी बात अपनी लड़की की ओर लक्षित है। लड़की अविवाहित और स्त्री की नई अस्मिता में यकीन रखने वाली है। घर में और सदस्य भी हैं। बेटा, बहू जो दूर अपने-अपने कामों में महदूद और व्यस्त हैं।
तो घर में बिस्तर पकड़ चुकी वो बूढ़ी मां, वह अविवाहित लड़की और नर्स सुसन हैं। यही रंगमंच का एक मुख्य फ्रेम है। और जीवन के अनुभव का महासमुद्र इसी में लहराता और अभिनीत होता है। जिसमें ऋतुएं भी आती जाती हैं अपने पूरे वजूद के साथ। और यह सबकुछ संवादों की भाषिक संरचना में। निर्देशक और रंगकर्मियों के लिए यह बड़ी चुनौती थी। इस सबको दर्शकों तक संप्रेषित कर ले जाने और उन्हें बांधे रखने की – यानी अतीत के संसार से आती भविष्य के गलियारे से संवाद करने की चुनौती।
कलाकारों में बूढ़ी मां के रूप में समता राय, लड़की की भूमिका में मात्सी शरण, नर्स की भूमिका में तूलिका भारती, बीच-बीच आने वाले डॉक्टर की भूमिका में राजीव। बूढ़ी मां को पसंद बेग़म अख्तर के गानें रात के सन्नाटे में झिंगुरों की आवाज़ें ऋतुओं को संकेतित करता संगीत का संयोजन मंच को जीवंत बनाए हुए था। प्रकाश संयोजन भी पूरे मंचन को जीवंत किए रखा। रिया का संगीत और रौशन व नितिश का प्रकाश,रवि द्वारा मंच संयोजन प्रभावशाली था।
अंततः
जो कुछ पुराना है अच्छा और जो कुछ नया है वह बुरा यह नहीं, बल्कि संवादों की जटिल संरचना के भीतर से दोनों का जीवंत पहलू घुलता मिलता नया अर्थ लेता विकसित हो रहा था – हमारे समय के ज़रूरी और निष्पक्ष सत्य की तरह जिन पर यकीन पैदा हो सके तो सभ्यता के बुढ़ाते अंश का बड़बड़ाना सफल हो जाय।
आज के इस आयोजन से कोरस ने नया समाज – संस्कृति रचने के संघर्ष में खास योगदान दे रहे जाने-अनजाने नायक-नायिकाओं को सम्मानित करने की शुरुआत भी की. पहला कोरस सम्मान लोकगायिका वीणा झा को दिया गया. सुख्यात महिला नेत्री व कोरस की अध्यक्ष शशि यादव के हाथों उन्हें यह सम्मान दिया गया.
कार्यक्रम का संचालन ऋचा और प्रभात ने किया और कार्यक्रम की व्यवस्था में कोरस के अन्य साथी अविनाश,उज्जवल ,आदित्य,अनु सिंह थे.
दर्शकों में मुख्य रूप से वरिष्ठ कवि आलोक धन्वा,डॉ विनय कुमार,डॉ सत्यजीत, डॉ विभा सिंह, व्यास जी,मीरा मिश्रा, रामजी राय , मीना राय, प्रतिभा,संजय कुमार कुंदन, मुसाफिर बैठा, कवि सतेंद्र शामिल थे.
(रिपोर्ट: डी पी सोनी)