लखनऊ, 11 जून। हमारा यह समाज कैसा बन रहा है जहां आम आदमी शान्ति से रहना चाहे तो भी उसे रहने नहीे दिया जायेगा। गुण्डों, लम्पटों, बाहुबलियों, दबंगों, धनपशुओं, समाज में रसूख रखने वालों की सत्ता व खाकी वर्दीधारियों के साथ ऐसी साठगांठ है कि इनकी राह में जो कोई आये, उसे वे ठोकर मार कर गिरा देने में ही अपनी शान समझते हैं। ऐसी ही एक घटना कवि, पत्रकार और ‘जनसंदेश टाइम्स’ के प्रधान संपादक सुभाष राय के साथ घटी। उन्हें और उनकी पत्नी शशि राय के साथ अभद्रता की गई, गालियां दी गई, उन पर शारीरिक हमला करने की कोशिश की गई।
एसटीएफ के एक इंस्पेक्टर जो सादी वर्दी में था, उनके घर में अवैध रूप से घुस आया यह कहते हुए कि ‘मैं एसटीएफ से रणजीत राय हूं.. जो उखाड़ना है उखाड़ लो….तुम्हारी औकात ही क्या है।’ मामला सिर्फ इतना था कि सुभाष राय के गोमती नगर स्थित मकान के गेट पर ट्रक भर मौरंग गिरा दिया गया जिससे उनकी गाड़ी का निकलना तो दूर की बात घर वालों का निकलना भी दूभर हो गया। यहां तक कि वे 9 जून को अपने दफ्तर भी नहीं जा पाये।
सुभाष राय ने पहले मौरंग गिराने वाले राकेश तिवारी से इसे हटाने का आग्रह किया। बार बार आग्रह करने पर भी जब नहीं हटा तो उन्होंने कानूनी सहायता ली और 100 नम्बर डायल कर इसकी सूचना दी।
यह विचारणीय है कि जब सुभाष राय जैसे सम्मानित पत्रकार व संपादक के साथ ऐसी धटना घट रही है और उनके और उनकी पत्नी के सम्मान को ठोकर मारी जा रही है तो प्रदेश में आम आदमी के जीवन में अमन-चैन, व उसकी सुरक्षा कैसे होगी तथा प्रदेश में किस तरह के तत्वों को खुली छूअ मिली है तथा कैसा राज है, यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। यह कसी भी संवेदनशील नागरिक के लिए चिन्ता का विषय ही नहीं बलिक आक्रोश से भर देने वाला है।
जन संस्कृति मंच इस घटना पर अपना विरोध प्रकट करता है तथा प्रदेश की सरकार व प्रशासन से उसकी मांग है कि सादी वर्दी में आये और अपने रुतबे का बेजा इस्तेमाल कर धमकी, गाली गलौज करने, मार-पीट पर उदत्त एसटीएफ के दरोगा के खिलाफ कार्रवाई की जाय। साथ ही दबंगई करने वाले राकेश तिवारी और उनके इशारे पर इसमें शामिल लम्पट तत्वों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई हो।
इस घटना पर जसम के प्रदेश अध्यक्ष शिवमूर्ति, कार्यकारी अध्यक्ष कौशल किशोर, कवि चन्द्रेश्वर व भगवान स्वरूप कटियार, जसम लखनऊ के संयोजक श्याम अंकुरम, कलाकार मंजू प्रसाद, एपवा की विमल किशोर, कथाकार प्रताप दीक्षित सहित बड़ी संख्या में लेखकों व संस्कृतिकर्मियों ने अपना विरोध जताया है। इस घटना के विरोध में 12 जून को हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर लेखक व पत्रकार जुटेंगे और अपना प्रतिवाद दर्ज करेंगे।