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बिहार में भयावह स्थितियों में जी रहे हैं लाखों गरीब परिवार

कर्ज की फांस से एक ही परिवार के 5 सदस्यों की मौत, भाकपा (माले) महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य मउ (विद्यापतिनगर, समस्तीपुर) पहुंचे,घटना की उच्चस्तरीय जांच, दोषियों पर कठोर कार्रवाई और परिजनों को उचित मुआवजा देने की मांग की

पटना। भाकपा (माले) महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य 6 जून को समस्तीपुर जिले के विद्यापतिनगर प्रखंड अंतर्गत मउ गांव पहुंचे जहां पिछले दिन 5 जून (रविवार) की सुबह एक ही परिवार के 5 सदस्यों जिनमें दो नाबालिग बच्चों और वृद्ध मां समेत परिवार के मुखिया और उनकी पत्नी द्वारा कथित तौर पर आत्महत्या कर लेने की दिल दहला देनेवाली घटना हुई थी, और परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों व ग्रामीणों, स्थानीय पत्रकारों व पार्टी कार्यकर्ताओं से बातचीत कर इस घटना की पूरी जानकारी हासिल की.

भाकपा (माले) के राज्य सचिव का. कुणाल, केन्द्रीय कमेटी की सदस्य व ऐपवा राज्य सचिव शशि यादव, खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा और समकालीन लोकयुद्ध के सपांदक सतोष सहर, पालीगंज के विधायक संदीप सौरभ तथा समस्तीपुर के जिता नेता सुरेन्द्र सिंह व ऐपवा नेत्री वंदना सिंह भी उनके साथ थे.

यह जांच रिपोर्ट पटना में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा, नेता विधायक दल महबूब आलम व पालीगंज विधायक संदीप सौरभ ने जारी किया.

जांच दल की रिपोर्ट

आर्थिक तंगी और कर्ज की फांस से परेशान मउ गांव (मउ दखिणी पंचायत, वार्ड न. 11) निवासी मनोज झा (45 वर्ष, पिता का नाम – रतिकांत झा) ने अपनी पत्नी सुंदरमणि देवी (38 वर्ष), पुत्र सत्यम कुमार (9 वर्ष) और शिवम कुमार (7 वर्ष) और अपनी मां सीता देवी (65 वर्ष) समेत अपने जर्जर हाल कच्चे मकान की एक तंग कोठरी में फांसी लटक कर जान दे दी. अब उनके परिवार में दो शादी शुदा बेटियां काजल व निभा झा ही बच रही हैं.

मृतक मनोज झा की बड़ी बेटी काजल झा के पति गोविंद झा ने बताया कि उनके ससुर मनोज झा सुबह-शाम विद्यापति नगर से दलसिंहसराय के बीच ऑटो चलाकर और दिन में गांव के छोटे से बाजार में खैनी बेच कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे. एक नया ऑटो रिक्शा भी खरीदा था लेकिन पैसा न चुका पाने के कारण उनकी गाड़ी छीन ली गई थी. (पैसा देने वाले ने छीन ली थी.) उसके बाद किसी फाईनेंस कंपनी से इंस्टालमेण्ट पर (17-18 किश्तों में) माल ढुलाई के लिए एक पिक अप वैन खरीदा था. लेकिन, किश्त अदा करने में असमर्थ होने की वजह से पिछले दिनों उनको अपनी गाड़ी बेचनी पड़ी थी.

गोविंद झा ने यह भी बताया कि पांच साल पहले (2017 में) जब उन्होंने अपनी बेटी की शादी की थी, तब उनकी हालत उतनी बुरी नहीं थी. वे किसी तरह की फिजूलखर्ची भी नहीं करते थे. पहली बेटी की शादी में अधिक से अधिक एक डेढ़ लाख रु. का खर्च आया होगा. दूसरी बेटी निभा की शादी तो इसी साल दो महीने पहले मंदिर में बिल्कुल साधरण तरीके से हुई थी.

परिवार की गरीबी, कर्ज की फांस व दबंग सूदखोरों का आतंक

गोविंद झा ने बताया कि गांव के ही मन्नू झा जिनका पड़ोस में ही मकान है और गाँव के एक दबंग आदमी हैं, मनोज झा को कर्ज देने की बात कहते थे. वे यह कहते थे कि उन्होंने जो कर्ज उनको दिया था, अब उसकी राशि बढ़ते-बढ़ते 17-18 लाख रूपये हो गई है. इस सवाल पर उन्होंने मनोज झा के पिता रविकांत झा को जिनकी छह माह हुए मृत्यु भी हो गई, मारा-पीटा और बुरी तरह से अपमानित किया था. गोविंद झा ने मन्नू झा के दावे को झूठा बताया. उन्होंने जर्जर घर को दिखाते हुए कहा कि अगर उन्होंने 17 लाख रू. कर्ज लिया होता तो वह कहीं तो दीखता? गांविंद ने यह भी बताया कि उनको माइक्रो फायनांस की स्थानीय इकाई से भी कुछ हजार रू. का कर्ज मिला था और एक दिन पहले ही उन लोगों ने भी उनको आकर बुरी तरह से धमकाया था.

मृतक मनोज झा की बहन रीना झा ने बताया कि कर्ज वसूली के बहाने मन्नू झा उनके भाई के साथ हमेशा दुर्व्यवहार और मारपीट करता था. पिछले दिनों वह घर का सारा सामान उठा ले गया था और यहां तक कि उन्होंने कुछ साल पहले घर के सटे जो डेढ़ कट्ठा जमीन खरीदी थी, उसके कागजात भी छीन लिया था. (परिवार के पास मात्र यही भू संपत्ति हैं). उसने पिछले कुछ दिनों से तो परिवार का जीना दूभर कर रखा था.

रीना झा ने यह भी बताया कि मनोज झा की मां अपने पोते के साथ पंचायत के मुखिया दिनेश सिंह और सरपंच अर्जुन सिंह के पास मन्नू झा की शिकायत लेकर गई भी थीं लेकिन उन दोनों ने कोई कदम नहीं उठाया. माइक्रो फायनांस वालों की धमकी की शिकायत करने जब वे थाने गईं तो थाने से यह कहते हुए दुत्कार दिया गया कि इस मामले में वे कुछ नहीं कर सकते.

गोविंद झा ने जो राजधनी पटना के कंकड़बाग में रहते हैं और एक एनजीओ में गाड़ी चलाते हैं बताया कि मेरे ससुर कोविड काल से ही लगातार परेशान थे. बंदी के चलते रोजगार का संकट, महंगाई की मार, कर्ज की फांस और कर्ज देनेवालों का उत्पीड़न झेल रहे थे. घटना के एक दिन पहले जब उनसे फोन पर बात रही थी तो वे परेशान होकर बोले कि वे पूरे परिवार साथ गांव छोड़कर कहीं चले जायेंगे.

जांच दल का निष्कर्ष व मांग

जांच दल ने कहा कि वर्ष 2014 में भाकपा (माले) ने राज्य के विभिन्न जिलों में गरीबों के बीच एक सर्वेक्षण अभियान चलाते हुए राज्य में गरीब परिवारों पर महाजनी व सरकारी/संस्थानिक कर्जे की स्थिति की भयावहता की शिनाख्त करते हुए राज्य सरकार से गरीबों को कर्ज से मुक्त कराने का अभियान चलाने की पुरजोर मांग की थी. कोविड महामारी के दौरान और उसके बाद जब राज्य में माइक्रो फायनांस संस्थाओं द्वारा खस्ताहाल आर्थिक स्थिति में पहुंच चुके गरीब परिवारों से कर्ज वसूली का दबाव बनाया जा रहा था, इसके खिलाफ भाकपा (माले) और ऐपवा ने लगातार विरोध प्रदर्शनों के जरिए सरकार से इस पर रोक लगाने और गरीबों पर सभी तरह के कर्जों को माफ करने की मांग की थी और सरकार को भयावह होती जा रही इस स्थिति के प्रति आगाह कराया था.

भाकपा (माले) जांच दल ने कहा कि लागों को इस बात पर भी संदेह है कि यह आत्महत्या की घटना है या हत्या, इसलिए इसकी गहराई से जांच होनी चाहिए और इस मामले में मुख्य दोषियों, और साथ ही, मृतक परिवार द्वारा बार-बार शिकायत करने इके बावजूद ऐसी थिति रोकने के लिए कोई कदम न उठानेवालों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.

भाकपा (माले) जांच दल ने जोर देकर कहा है कि भाजपा-जदयू राज में सरकारी/सांस्थानिक और महाजनी कर्ज की भयावह फांस के बीच रोजगार के भारी संकट और कमरतोड़ महंगाई ने राज्य के लाखों गरीब परिवारों को मौत के मुहाने पर ला खड़ा किया है. गरीबों की कर्ज माफी का व्यापक अभियान नहीं चलाया गया तो आगे इसके और भी भयावह दुष्परिणाम सामने आयेंगे. जांच दल ने गरीबों की कर्ज माफी के लिए एक बड़ा आंदोलन खड़ा करने का आह्नान किया है.

साथ ही, भाकपा (माले) जांच दल ने मृतक परिवार का 20 लाख रू. का तत्काल मुआवजा देने तथा बच रहे परिजनों की दबंग सूदखोरों से पूरी सुरक्षा देने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने की मांग की है.

इस घटना के खिलाफ 11 जून को भाकपा-माले पूरे राज्य में कर्जा मुक्ति दिवस का आयोजन करेगा. 5 लाख तक के तमाम कर्ज को माफ करने की भी मांग करते हैं.

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