पटना, 21 दिसंबर। जिस तरह पटना तीन नदियों से घिरा है उसी तरह संजय कुंदन की किताब भी कहानी, उपन्यास और कविताओं से मिलाकर बनी है। यह कहना है सुपरिचित कथाकार और विचारक प्रेम कुमार मणि का।
वे पटना कॉलेज, सेमिनार हॉल में आयोजित संजय कुंदन की पुस्तक ‘ज़ीरो माइल पटना’ के लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पटना में एक साथ उदारता और रूढ़िवादिता के तत्व रहे हैं। लेकिन यह शहर कुल मिलाकर सभी तरह के विचारों को जगह देता है। ज़ीरो माइल पटना इस शहर पर और भी किताब लिखने को प्रेरित करेगी।
इस अवसर पर रंगकर्मी जावेद अख़्तर खां ने कहा कि संजय कुंदन की किताब पटना शहर को नए नजरिए से देखती है। यह संस्मरण की शैली में लिखी गई है लेकिन यह उससे आगे जाती है। यह उसके वर्तमान और भविष्य को भी टटोलती है। यह किताब बताती है कि यह शहर किस तरह हिंदी के अलावा बांग्ला, उर्दू, मैथिली साहित्य-/संस्कृति का भी केंद्र है।
युवा पत्रकार ऋतु रोहिणी ने कहा कि यह किताब पटना शहर के आयामों को खोलती है। इसे पढ़कर पटना के सामाजिक विकास का पता चलता है। इससे नई पीढ़ी को अपने शहर के इतिहास से परिचित होने का अवसर मिलेगा।
संजय कुंदन ने शुरू में विस्तार से इस किताब के लिखे जाने की पृष्ठभूमि बताई और कहा कि पटना उनके दिल में बसा हुआ है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि वाम प्रकाशन विभिन्न शहरों पर ऐसी और भी किताबें लाने जा रहा है। कार्यक्रम की शुरुआत में प्रियदर्शी मातृशरण ने इंद्रधनुष संस्था का परिचय दिया और उसके उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
इस कार्यक्रम में अरुण कमल, तरुण कुमार, संतोष दीक्षित, शिव दयाल, अनिल विभाकर समेत अनेक कवि-लेखक, पत्रकार, संस्कृतिकर्मी, और रंगकर्मी उपस्थित थे।