अखिल भारतीय किसान महासभा ने केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2020-21 की खरीफ कृषि उत्पादों की एमएसपी में बढ़ोत्तरी को किसानों के साथ खुला धोखा करार दिया है। किसान महासभा ने अपने बयान में वर्ष 2020-2021 के लिए मोदी सरकार द्वारा खरीफ फसल के घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य को पिछले 5 वर्षों में हुई बढ़ोत्तरी में सबसे कम बताया है।
किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रुलदू सिंह और महासचिव राजा राम सिंह ने कहा कि सरकार ने जिन 14 खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की घोषणा की उनमें 12 फसलों का मूल्य अब भी स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर 30 प्रतिशत कम है। यह महंगाई के कारण बढ़ती लागत के हिसाब से मूल्य बृद्धि नहीं बल्कि फसलों की लागत के वास्तविक मूल्य में कटौती है। किसान महासभा ने सरकार से किसानों के साथ की गई इस ठगी को तत्काल वापस लेने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर C-2 + कुल लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग की है।
मोदी सरकार ने इस वर्ष धान की औसत लागत 1245 रुपया प्रति क्विंटल लगाई है। जबकि पिछले वर्ष ही +C-2 के साथ धान की औसत लागत 1619 रुपया दिखाई गई थी। इसमें +50% मुनाफा जोड़कर इसकी लागत पिछले वर्ष ही 2428.50रुपया प्रति क्विंटल बैठती थी। पंजाब के कृषि मंत्रालय ने पिछले साल धान की औसत लागत 2740 रुपया प्रति क्विंटल बताई थी। केरला सरकार 2690 रुपया प्रति क्विंटल के हिसाब से किसानों का धान खरीद रही है। जबकि छत्तीसगढ़ सरकार भी 2500 रुपया प्रति क्विंटल के हिसाब से पिछले साल से ही किसानों का धान खरीद रही है।
अब एक साल बाद जबकि फसलों का लागत मूल्य और बढ़ा है, मोदी सरकार ने धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 रुपया प्रति क्विंटल तय किया है। जो पिछले साल की कुल लागत के साथ 50% मुनाफे के हिसाब से 560 रुपया प्रति क्विंटल कम है। यह धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में पिछले साल हुई बढ़ोतरी 3.71% से भी घटाकर 2.92% कर काफी कम किया गया है। मोदी सरकार इसे ही डेढ़ गुना बढ़ोतरी बता कर देश के सामने झूठ परोस रही है।
किसान महासभा ने अन्य किसान सांगठनों के साथ मिलकर किसानों से की जा रही इस धोखाधड़ी के खिलाफ आंदोलन चलाने की घोषणा की है।