5 अक्टूबर, शुक्रवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ का चुनाव हुआ। सात बजे से ही समर्थक और छात्र कला संकाय के लाइब्रेरी गेट पर जमे थे। शनिवार को करीब 1 बजे इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव का परिणाम आ गया। परिणाम आते ही बम चलने लगे, नारे लगने लगे थे।
इस चुनाव में एबीवीपी को फिर मुँह की खानी पड़ी। धनबल, बाहुबल के साथ मंत्री-विधायक के प्रचार के बाद भी एबीवीपी एक सीट से ज्यादा नहीं जीत पाई। दो सीट, अध्यक्ष और उपमंत्री पर समाजवादी छात्रसभा ने भारी मतों से जीत दर्ज की, वहीं लंबे समय बाद एनएसयूआई ने छात्रसंघ में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। एनएसयूआई की उपाध्यक्ष और सांस्कृतिक सचिव के पोस्ट पर जीत हुई और एबीवीपी पुनः एक सीट पर सिमट कर रह गयी।
परिणाम घोषणा के बाद जब समाजवादी छात्रसभा अपने जीते हुए पैनल के साथ नरेबाज़ी करते हुए हॉलैंड होस्टल पहुंचा तो हॉस्टल का माहौल ही कुछ और था। हार से बौखलाए हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा नवनिर्वाचित अध्यक्ष उदय प्रकाश यादव और निवर्तमान छात्रसंघ अध्यक्ष अवनीश यादव के कमरों सहित पांच कमरों में आग लगा दी गयी, ऐसा उदय प्रकाश यादव ने आरोप लगाया है।
जनमत के स्थानीय संवाददाता ने अध्यक्ष उदय प्रकाश यादव से जब बात की तो उदय ने बताया कि इस सुनियोजित काण्ड में उनकी डिग्रियां, पैसे और कुछ कीमती सामान जलकर खाक हो गया।
बताते चलें कि वर्तमान अध्यक्ष उदय प्रकाश यादव हॉलैंड हॉल हॉस्टल (ऑक्सफ़ोर्ड ब्लॉक) के अंतःवासी हैं उनके ठीक बगल में निवर्तमान अध्यक्ष अवनीश यादव का कमरा है जो अब राख के मलबे में तब्दील हो चुका है।
उदय प्रकाश ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अतेंन्द्र सिंह सहित 7 लोगों पर नामजद मुकदमा दर्ज करवाया है। जिसमें से तीन लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। पुलिस पूछताछ कर रही है। बाकी आरोपी फरार हैं। अतेंन्द्र सिंह भी हॉलैंड हॉल का ही अंतःवासी है। दोनों का चुनाव कार्यालय उसी हॉस्टल में था।
हॉलैंड हॉल छात्रावास एक अंतःवासी से बात करने पर हमें बताया गया कि पहले उदय प्रकाश, अवनीश यादव के रूम सहित पाँच कमरे फूंक दिए गए हैं । बाद में अतेंन्द्र सिंह का चुनाव कार्यालय भी फूँका गया।
विश्वविद्यालय के छात्र से बात करने पर उसने बताया कि जनता इन्हें पहचान चुकी है। चाहे जेएनयू में पोस्ट पोल वोइलेन्स के बाद मारपीट का मामला हो या डीयू में गुंडागर्दी करना हो। चुनाव तक भैया बाबू करने वाले ये लोग चुनाव हारने के बाद जनता के फैसले को पचा नहीं पाते हैं और अपने असली रूप में आ जाते हैं और आगजनी पर उतर आते हैं। इसे 2019 का पूर्वाभ्यास भी समझा जाना चाहिए।