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लोकरंग में बाकुम कला का प्रदर्शन (फ़ाइल फोटो)
साहित्य-संस्कृति

11 वां लोकरंग 13-14 अप्रैल को, 150 कलाकार दिखाएंगे बिहार, यूपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ की लोक कलाएं

गोड़उ नृत्य, पखावज, कठपुतली नाच, बणजारा-बणजारी और ग्रामीण भवाई नृत्य, घूमर लोक नृत्य, बिहार का जट-जटिन  नृत्य का होगा प्रदर्शन

कुशीनगर. लोकसंस्कृतियों के जनपक्षधर स्वरूप के संवर्द्धन के लिए हर वर्ष कुशीनगर जिले के फाजिलनगर के जोगिया जनूबी पट्टी में आयोजित होने वाला दो दिवसीय लोकरंग 13 और 14 अप्रैल को आयोजित किया जा रहा है। लोकरंग में देश के विभिन्न हिस्सों से आ रहे 150 लोक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।
इस वर्ष लोकरंग का 11वां साल है। 11वां लोकरंग प्रसिद्ध जन कवि रमाकांत द्विवेदी ‘ रमता ’ जी को समर्पित किया गया है। स्वाधीनता सेनानी और भोजपुरी के प्रसिद्ध कवि रमाकांत द्विवेदी ‘रमता’ जी ने अनेक यादगार गीतों की रचना की। ‘हमनी देशवा के नया रचवइया हईं जा, हमनी साथी हईं, आपस में भइया हईं जा या ’राजनीति सबके बूझे के बूझावे के परी’ आदि गीत भोजपुरी गीतों के क्रांतिकारी चेतना की थाती हैं।
लोकरंग में इस वर्ष भोजपुरी क्षेत्र की लोक कलाओं का प्रदर्शन तो होगा ही दर्शकों को राजस्थान और छत्तीसगढ़ की लोककला, गीत, नृत्य व नाटक देखने को मिलेगा।
राजस्थान का बांदी कुंई, बहुरूपिया कला के लिए दुनिया में जाना जाता है। इस कला से जुड़े शमशाद बहुरूपिया अपने दल के साथ लोकरंग में आ रहे हैं जो दोनों दिन गांव में बहुरूपिया कला का प्रदर्शन करेंगे।

राजस्थान की कठपुतली नाच को पहली बार लोकरंग के मंच पर प्रदर्शन होगा। बिहार का लवंड़ा नाच की अपनी ऐतिहासिक विशेषता रही है। इस बार लोकरंग के मंच पर बिहार के उदय सिंह ठाकुर इस कला के अनेक रूप प्रस्तुत करेंगे।

लोकरंग में बाउल गायन (फ़ाइल फोटो )

राजस्थान का घूमर, बणजारा-बणजारी और ग्रामीण भवाई लोक नृत्य, लोकरंग 2018 का विशेष आकर्षण है। देवास, मध्य प्रदेश से आ रहे सुप्रसिद्ध कबीरपंथी गायक दयाराम सरोलिया के नेतृत्व में लोक कलाकार मालवा लोकनृत्य/वर्षागीत/फकीरी और निर्गुन गायन प्रस्तुत करेंगे।

आल्हा गायन पर पुरुषों का एकाधिकार तोड़ने वाली शीलू राजपूत ने महिला आल्हा गायन की परंपरा को जीवंत किया है। उनका आल्हा गायन लोकरंग 2018 का विशेष आकर्षण रहेगा। इनके अलावा बांसुरी वादन, जनगीत, पखावज नृत्य, सूफी कौव्वाली और भोजपुरी के विविध लोकगीतों को प्रस्तुत किया जायेगा ।
हर वर्ष की तरह लोकरंग के दूसरे दिन 14 अप्रैल को प्रातः 11 बजे से ‘ सामाजिकता के निर्माण में लोक नाट्यों की भूमिका ’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया है। इसमें प्रेम कुमार मणि, तैयब हुसैन, अब्दुल बिसमिल्लाह, प्रो. दिनेश कुशवाह, जितेन्द्र भारती, बलभद,्र मदनमोहन, सुरेश कांटक, रामजी यादव, रामप्रकाश कुशवाहा, धीरेन्द नाथ, विद्याभूषण रावत, गीता गैरोला, डा. महेन्द्र प्रसाद कुशवाहा, प्रकाश उदय, डाॅ.के.के. श्रीवास्तव, योगेन्द्र चैबे आदि के भाग लेने की संभावना है।

लोकरंग के आयोजन में दोनों रात नाटक प्रस्तुत किए जायेंगे। पहली रात ‘बड़े भाई साहब’ नाटक कहानी शैली में प्रस्तुत किया जायेगा। इसे गुड़ी सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थान, रायगढ़, छत्तीसगढ़ प्रस्तुत करेगी। यह नाटक मुंशी प्रेमचंद की कहानी पर आधारित है जिसका निर्देशन सुप्रसिद्ध रंगकर्मी योगेन्द्र चैबे ने किया है।

लोकरंग -2017 में प्रस्तुत नाटक

दूसरी रात नौटंकी शैली में नाटक-नेटुआ का मंचन साइक्लोरामा नाट्य समूह, दिल्ली द्वारा किया जायेगा। इस नाटक के लेखक रतन वर्मा और निर्देशक सुप्रसिद्ध रंगकर्मी दिलीप गुप्ता हैं ।

कार्यक्रम

शुक्रवारः 13 अप्रैल, 2018

रात्रि 8.30 से 8.45

‘लोकरंग-2018’ पत्रिका का लोकार्पण

रात्रि 8.45 से 9.00

कार्यक्रम का अनौपचारिक उद्घाटन

रात्रि 9.00 से 9.15

गांव की महिलाओं द्वारा लोकगीत

रात्रि 9.15 से 9.30

कठपुतली नाच, जयपुर, राजस्थानी कलाकारों द्वारा

रात्रि 9.30 से 10.00

मालवा लोकनृत्य/वर्षागीत/फकीरी और निर्गुन गायन। मुख्य गायक-दयाराम सरोलिया, देवास, मध्यप्रदेश

रात्रि 10.00 से 10.35

राजस्थानी लोक गीत एवं घूमर लोक नृत्य, लोकनृत्य समूह, जयपुर, राजस्थान की प्रस्तुति

रात्रि 10.35 से 11.10

महिला आल्हा गायन । शीलू राजपूत एवं अन्य कलाकार, रायबरेली ।

रात्रि 11.10 से 11.40

बिहार का जट-जटिन और कमला पूजा नृत्य, मुख्य कलाकार-कुमार उदय सिंह, पटना, बिहार ।

रात्रि 11.40 से 11.55
बांसुरी वादन। कलाकार-राजन गोविन्द राव, फरना रामकोला, रामकोला, कुशीनगर ।

 

रात्रि 12.05

नाटक-बड़े भाई साहब । शैली-कहानी का रंगमंच। गुड़ी सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थान, रायगढ़, छत्तीसगढ़। लेखक-मुंशी प्रेमचंद, निर्देशक-योगेन्द्र चैबे।

शनिवारः 14 अपै्रल

पूर्वाह्न 11 से अपराह्न 2 बजे

विचार गोष्ठी-विषय-सामाजिकता के निर्माण में लोक नाट्यों की भूमिका।

 

रात्रि 8.30 से 9.00

संकल्प, बलिया का गायन । निर्देशन-आशीष त्रिवेदी

रात्रि 9.00 से 9.30

निर्गुन गायन । मुख्य कलाकार-निर्मला यादव, कटहरी बाग, बिहार बुजुर्ग, कुशीनगर ।

रात्रि 9.30 से 10.00

गोड़उ नृत्य । मुख्य गायक-नंदलाल राम, चैबे छपरा, बलिया। संग में मशहूर गायिका-चन्दन तिवारी, आरा

रात्रि 10.00 से 10.30

सूफी कौव्वाली। मुख्य कलाकार-अफ्फान हुसैन वारसी, देवा, बाराबंकी।

रात्रि 10.30 से 11.00

बणजारा-बणजारी और ग्रामीण भवाई नृत्य, लोकनृत्य समूह, जयपुर, राजस्थान की प्रस्तुति। निर्देशन-चन्दनलाल कालबेलिया।

रात्रि 11.00 से 11.20

पखावज नृत्य। मुख्य गायक-श्यामलाल, लाला गुरवलिया, कुशीनगर।

 

रात्रि 11.30 से प्रातः 1.00
नाटक-नेटुआ । प्रस्तुति-साइक्लोरामा नाट्य समूह, दिल्ली । लेखक-रतन वर्मा। निर्देशन-दिलीप गुप्ता।

 

 

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